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ब्रिटिश अधिकारियों का मनोरंजन केंद्र रहा 'फ्रेजर बंगला' चक्रवात 'यास' से तबाह

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Published : Jun 10, 2021, 10:56 PM IST

बाघ संरक्षित क्षेत्र सुंदरवन के दक्षिणी छोर पर स्थित एक सदी से अधिक पुराना फ्रेजरगंज बंगला पिछले महीने आए चक्रवात 'यास' और इससे समुद्र में उठी ऊंची लहरों की वजह से तबाह हो गया है. औपनिवेशक युग में यह बंगला ब्रिटिश अधिकारियों के मनोरंजन का केंद्र हुआ करता था जहां बैठकर वे मदिरा पीते थे और नृत्य-संगीत का लुत्फ उठाते थे.

Bungalow
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फ्रेजरगंज : वर्ष 1903 से 1908 तक बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर रहे सर एंड्रू फ्रेजर द्वारा निर्मित फ्रेजरगंज आवास एक विशाल बंगला था. चक्रवात के बाद मैंग्रोव वृक्षों की जड़ों से ढके इसके कुछ अवशेष ही नजर आ रहे हैं. ईंटों से निर्मित इसकी दीवारें टूटकर बिखर गई हैं.

यहां कभी भारत के ब्रिटिश शासकों की रातें मनोरंजन से सराबोर रहती थीं. वायसराय लॉर्ड जॉर्ज कर्जन जैसी हस्तियां यहां नृत्य-संगीत का लुत्फ उठाती थीं और हवा में उनकी पत्नियों के ठहाके तथा मदिरा भरे गिलासों की खनक गूंजती थी.

नामखाना खंड विकास अधिकारी शांतनु सिंह ठाकुर ने कहा कि बंगाल में 'शक्तिशाली' ब्रिटिश शासकों की विश्राम स्थली और मनोरंजन केंद्र रहा फ्रेजरगंगज ऐतिहासिक बंगला गत 26 मई को आए तूफान और इसकी वजह से उठीं लहरों की 'मार' नहीं झेल पाया.

तत्कालीन बॉम्बे प्रेजिडेंसी में 1848 में जन्मे फ्रेजर ने 1871 में भारतीय सिविल सेवा में नौकरी प्राप्त की थी. उसने नारायणतला में एक स्थल को देखा और निर्णय किया कि यह उसके विश्राम स्थल के रूप में उपयुक्त रहेगा तथा संभवत: बंगाल का लेफ्टिनेंट गवर्नर बनने से पहले ही उसने बंगले का निर्माण शुरू कर दिया.

उस समय बंगाल प्रांत में बिहार, ओडिशा, आज का बांग्लादेश, असम, मेघालय और पश्चिम बंगाल शामिल थे. पुरातत्वविद देबीशंकर मिड्डया ने कहा कि फ्रेजर ने बंगले के पास एक गोल्फ कोर्स भी बनवाया था और मैंने एक दौर में गोल्फ कोर्स के अवशेष देखे थे.

यह भी पढ़ें-देश के सभी AIIMS में 80 फीसदी महिलाएं होंगी Nursing Officer

समुद्र की लहरों और प्रतिकूल मौसम के चलते ऐतिहासिक बंगले में बहुत पहले ही क्षरण की शुरुआत होने लगी थी और पिछले साल आए चक्रवात 'अम्फान' तथा पिछले महीने आए चक्रवात 'यास' ने फ्रेजर बंगले पर अंतिम प्रहार किया. ठाकुर ने कहा कि अब केवल बंगले का बाथरूम ही बचा है.

(पीटीआई-भाषा)

फ्रेजरगंज : वर्ष 1903 से 1908 तक बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर रहे सर एंड्रू फ्रेजर द्वारा निर्मित फ्रेजरगंज आवास एक विशाल बंगला था. चक्रवात के बाद मैंग्रोव वृक्षों की जड़ों से ढके इसके कुछ अवशेष ही नजर आ रहे हैं. ईंटों से निर्मित इसकी दीवारें टूटकर बिखर गई हैं.

यहां कभी भारत के ब्रिटिश शासकों की रातें मनोरंजन से सराबोर रहती थीं. वायसराय लॉर्ड जॉर्ज कर्जन जैसी हस्तियां यहां नृत्य-संगीत का लुत्फ उठाती थीं और हवा में उनकी पत्नियों के ठहाके तथा मदिरा भरे गिलासों की खनक गूंजती थी.

नामखाना खंड विकास अधिकारी शांतनु सिंह ठाकुर ने कहा कि बंगाल में 'शक्तिशाली' ब्रिटिश शासकों की विश्राम स्थली और मनोरंजन केंद्र रहा फ्रेजरगंगज ऐतिहासिक बंगला गत 26 मई को आए तूफान और इसकी वजह से उठीं लहरों की 'मार' नहीं झेल पाया.

तत्कालीन बॉम्बे प्रेजिडेंसी में 1848 में जन्मे फ्रेजर ने 1871 में भारतीय सिविल सेवा में नौकरी प्राप्त की थी. उसने नारायणतला में एक स्थल को देखा और निर्णय किया कि यह उसके विश्राम स्थल के रूप में उपयुक्त रहेगा तथा संभवत: बंगाल का लेफ्टिनेंट गवर्नर बनने से पहले ही उसने बंगले का निर्माण शुरू कर दिया.

उस समय बंगाल प्रांत में बिहार, ओडिशा, आज का बांग्लादेश, असम, मेघालय और पश्चिम बंगाल शामिल थे. पुरातत्वविद देबीशंकर मिड्डया ने कहा कि फ्रेजर ने बंगले के पास एक गोल्फ कोर्स भी बनवाया था और मैंने एक दौर में गोल्फ कोर्स के अवशेष देखे थे.

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समुद्र की लहरों और प्रतिकूल मौसम के चलते ऐतिहासिक बंगले में बहुत पहले ही क्षरण की शुरुआत होने लगी थी और पिछले साल आए चक्रवात 'अम्फान' तथा पिछले महीने आए चक्रवात 'यास' ने फ्रेजर बंगले पर अंतिम प्रहार किया. ठाकुर ने कहा कि अब केवल बंगले का बाथरूम ही बचा है.

(पीटीआई-भाषा)

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