कुल्लू: अगर आस्था सच्ची हो और दिल में भगवान के प्रति निश्छल प्रेम हो तो भक्त बड़ी से बड़ी बाधा पार कर जाता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है लाहौल घाटी के युवा श्रद्धालु निशांत और उसके साथियों ने, हाड़ कपा देने वाली ठंड में निशांत अपने दोस्तों के साथ समुद्र तल से 13,124 फुट ऊंचे लाहौल घाटी की चोटी पर स्थित नीलकंठ महादेव के दर्शन के लिए नंगे पांव पहुंचा. इतना ही नहीं इन लोगों ने माइनस तापमान में नीलकंठ झील में स्नान भी किया.
![Neelkanth Mahadev](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/22-06-2023/18815405_hp1.jpg)
श्रद्धा और भक्ति के आगे पहाड़ बोने और मुश्किल राहें भी आसान लगने लगती है. ऐसा ही अहसास समुद्र तल से 13,124 फुट ऊंचे लाहौल घाटी स्थित नीलकंठ महादेव दर्शन को एक श्रद्धालु में साबित कर दिखाया है. लाहौल घाटी का युवक निशांत अपने तीन साथियों के साथ आगे रास्ते में पड़ी बर्फ के ऊपर नंगे पांव चढ़ाई चढ़ नीलकंठ महादेव के दर्शन को पहुंचा. वहां पहुंच कर इन चार श्रद्धालुओं ने इस पवित्र झील में माइनस तापमान के बीच स्नान भी किया.
![Neelkanth Mahadev](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/22-06-2023/18815405_hp.jpg)
इन श्रद्धालुओं ने बताया कि अभी भी नीलकंठ झील चारों ओर बर्फ से ढका है. जिसकी वजह से झील का पानी जमा हुआ है. अभी वहां रात्रि ठहराव करना भी सुरक्षित नहीं है. दूसरी ओर मौसम खराब होते ही बर्फ का गिरना अभी भी जारी है. लिहाजा, श्रद्धालु कुछ दिन बाद ही उस ओर तीर्थ यात्रा करें. बीते दिनों नीलकंठ महादेव का दर्शन कर लौटे लाहौल के बिहाड़ी गांव के चार युवा श्रद्धालु योगेश, निशांत, अमरजीत और राहुल ने बताया नीलकंठ महादेव की यात्रा अभी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है.
योगेश ने बताया कि अल्यास से आगे कई हिस्सों में डेढ़ फुट से अधिक बर्फ है. अभी झील का पानी भी जमा हुआ है. वहां का तापमान सुबह और शाम माइनस से नीचे चल रहा है. उन्होंने बताया श्रद्धालु अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कुछ दिन बाद ही दर्शन को निकले तो अच्छा रहेगा. वही, लाहोल स्पीति के एसपी पुलिस अधीक्षक मयंक चौधरी ने कहा श्रद्धालु मौसम को भांप कर ही नीलकंठ महादेव का रुख करें. क्योंकि अभी भी वहां मौसम खराब होता रहता है और बर्फ भी कई जगहों पर जमी हुई हैं.
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नीलकंठ महादेव पहुंचने का रास्ता: मनाली से 12:30 बजे एचआरटीसी की एक बस केलांग, जाहलमा होते हुए नैनगार गांव तक जाती है. वहां से आगे नीलकंठ महादेव का सफर तकरीबन 15 किमी है. इस बीच यात्री अल्यास में रात्रि ठहराव के बाद सुबह नीलकंठ महादेव का दर्शन कर वापिस अपने गंतव्य पहुंच सकते हैं. रात्रि ठहराव के लिए श्रद्धालुओं को अपने साथ टेंट और खाद्य सामग्री साथ ले जाना होगा. अल्यास में गद्दियों के टापरी भी है. श्रद्धालु उसमें भी रात गुजार लेते हैं. यहां सराय आदि की व्यवस्था नहीं है.
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