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उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री यशवंत सिंह आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में बरी - आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में बरी

एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने विधानसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री यशवंत सिंह को बरी कर दिया है.

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Published : Oct 26, 2021, 3:11 PM IST

मुजफ्फरनगर : जिले के जानसठ कोतवाली के गांव चुडयाला के मूल निवासी यशवंत सिंह ने सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र जानसठ में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. चुनाव में यशवंत सिंह पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहंचाने का आरोप था. एक विशेष अदालत ने के विधानसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री यशवंत सिंह को बरी कर दिया.

विशेष न्यायाधीश गोपाल उपाध्याय ने पूर्व मंत्री को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. अभियोजन पक्ष के अनुसार पुलिस ने सिंह के खिलाफ नियमों का उल्लंघन कर सरकारी भवनों की दीवारों पर कथित तौर पर चुनावी पोस्टर चिपकाने का मामला दर्ज किया था. बचाव पक्ष के वकील हाफिज अमीर अहमद ने कहा कि अभियोजन यह साबित करने में विफल रहा कि पोस्टर उसके मुवक्किल द्वारा चिपकाए गए थे.

यह भी पढ़ें-बीजेपी नेता का विवादित ट्वीट, कैलाश विजयवर्गीय और कुत्ते की तस्वीर के साथ लिखा...

क्या था पूरा मामला

चुनाव के दौरान यशवंत सिंह पर आरोप लगा था कि उन्होंने सरकारी अस्पताल की दीवार पर बिना अनुमति प्रचार के बाद भी पोस्टर चस्पा किए थे. इस संबंध में जानसठ कोतवाली में आचार संहिता उल्लंघन का मुकदमा दर्ज किया गया था. इस मामले में 14 सितंबर 2009 को आरोप तय हो गए थे. मुकदमे की सुनवाई विशेष एमपी एमएलए कोर्ट के जज गोपाल उपाध्याय की कोर्ट में चल रही थी. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सबूत के अभाव में बरी कर दिया.

मुजफ्फरनगर : जिले के जानसठ कोतवाली के गांव चुडयाला के मूल निवासी यशवंत सिंह ने सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र जानसठ में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था. चुनाव में यशवंत सिंह पर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहंचाने का आरोप था. एक विशेष अदालत ने के विधानसभा चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री यशवंत सिंह को बरी कर दिया.

विशेष न्यायाधीश गोपाल उपाध्याय ने पूर्व मंत्री को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. अभियोजन पक्ष के अनुसार पुलिस ने सिंह के खिलाफ नियमों का उल्लंघन कर सरकारी भवनों की दीवारों पर कथित तौर पर चुनावी पोस्टर चिपकाने का मामला दर्ज किया था. बचाव पक्ष के वकील हाफिज अमीर अहमद ने कहा कि अभियोजन यह साबित करने में विफल रहा कि पोस्टर उसके मुवक्किल द्वारा चिपकाए गए थे.

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क्या था पूरा मामला

चुनाव के दौरान यशवंत सिंह पर आरोप लगा था कि उन्होंने सरकारी अस्पताल की दीवार पर बिना अनुमति प्रचार के बाद भी पोस्टर चस्पा किए थे. इस संबंध में जानसठ कोतवाली में आचार संहिता उल्लंघन का मुकदमा दर्ज किया गया था. इस मामले में 14 सितंबर 2009 को आरोप तय हो गए थे. मुकदमे की सुनवाई विशेष एमपी एमएलए कोर्ट के जज गोपाल उपाध्याय की कोर्ट में चल रही थी. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने सबूत के अभाव में बरी कर दिया.

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