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अटल बिहारी वाजपेयी ने खाई थी इस दुकान की पूड़ी-कचौड़ी, तब से बदल गई दुकानदार की किस्मत - चिमनलाल

हरियाणा के पानीपत की वो (panipat famous chimanlal kachori shop) मशहूर कचौड़ी की दुकान, जिसका स्वाद भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ना सिर्फ चखा था बल्कि वो इन कचौड़ियों के दिवाने भी हो गए थे.

अटल बिहारी वाजपेयी ने खाई थी इस दुकान की पूरी-कचौड़ी
अटल बिहारी वाजपेयी ने खाई थी इस दुकान की पूरी-कचौड़ी
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Published : Jun 10, 2021, 11:02 AM IST

पानीपत: हरियाणा के पानीपत में स्थित एक पूड़ी-कचौड़ी की दुकान (panipat famous chimanlal kachori shop) है जो पानीपत वालों के लिए ही नहीं बल्कि दूर दराज के लोगों के लिए भी किसी पकवान से कम नहीं है. अगर शुद्ध सात्विक खाना पसंद करते हैं और जायका आपकी जुबान पर चढ़ा है तो ये दुकान आपके लिए सही ठिकाना साबित हो सकती है.

चिमनलाल की ये दुकान वैसे तो 150 साल पुरानी है, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी (former prime minister atal bihari vajpayee) जब प्रधानमंत्री हुआ करते थे तो वो यहां कचौड़ी खाने आए थे. तब से चिमनलाल की कचौड़ियां इतनी मशहूर हुई कि उनकी किस्मत चमक गई.

150 साल पहले इस दुकान की शुरुआत

यहां की कचौड़ियों से अटल बिहारी वाजपेयी (atal bihari vajpayee panipat kachori love) के प्रेम का अंदाजा आप ऐसे लगाइए कि उन्होंने देखा कि सभा में मौजूद लोगों में जोश नहीं है तो उन्होंने जोर से कहा कि 'क्या आज आप लोग पानीपत के चिमन की मलाई-कचौड़ी नहीं खाकर आए हैं?

क्या पानीपत वाले चिमनलाल की कचोरी खा कर नहीं आए हैं?

दरअसल, ये किस्सा है साल 2001 का, जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पानीपत की रिफाइनरी (atal bihari vajpayee panipat refinery visit) के दौरे पर थे. यहां भाषण देते वक्त जब उन्हें तालियों की गड़गड़ाहट नहीं सुनाई दी तो उन्होंने अपने भाषण में कहा कि क्या पानीपत वाले चिमनलाल की कचोरी खा कर नहीं आए हैं?. कहा जाता है कि इस भाषण में जिक्र होने के बाद पानीपत के डीसी ने चिमनलाल से मुलाकात की थी और उस दिन के बाद भी चिमनलाल कचौड़ी वाले के नाम से जाना गया और उसकी दुकान में ग्राहकों की भीड़ बढ़ गई.

150 साल पहले इस दुकान की शुरुआत

बता दें कि पानीपत शहर में किले के पास चिमनलाल की दुकान है और यहीं आरएसएस का कार्यालय भी है और अटल बिहारी वाजपेयी का यहां आना जाना लगा रहता था. चिमनलाल तो अब नहीं रहे लेकिन उनके बेटे राजीव उन यादों को के बारे में बताते हैं कि उनके परदादा बख्तावर सिंह ने करीब 150 साल पहले इस दुकान की शुरुआत की थी और वो अपने पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहे हैं.

पढ़ें : मुखर विपक्षी नेता के रूप में बेहद लोकप्रिय रहे वाजपेयी, पढ़ें चर्चित भाषण

कचौड़ियों का जायका

चिमनलाल की दुकान में कचौड़ी खाने वालों की कमी नहीं है. ऐसे कई ग्राहक हैं जो कई दशकों से यहां खासतौर पर कचौड़ियां खाने आ रहे हैं. प्रवीन नाम के ग्राहक ने बताया कि वो 30 साल से चिमनलाल की दुकान पर आ रहे हैं. इतने सालों से ना दुकान बदली है और ना यहां की कचौड़ियों का जायका.

आप भी चिमनलाल की मशहूर कचौड़ियां का आनंद लीजिए

अगर आप भी चिमनलाल की मशहूर कचौड़ियां खाना चाहते हैं तो जल्द से जल्द पानीपत के एतिहासिक किले पहुंच जाएं. जहां 150 साल पुरानी चिमनलाल कचौड़ी वाले की ये मशहूर दुकान आपको गली में घुसते ही तलती पूड़ियों की खुशबू अपनी ओर आकर्षित करेगी.

पानीपत: हरियाणा के पानीपत में स्थित एक पूड़ी-कचौड़ी की दुकान (panipat famous chimanlal kachori shop) है जो पानीपत वालों के लिए ही नहीं बल्कि दूर दराज के लोगों के लिए भी किसी पकवान से कम नहीं है. अगर शुद्ध सात्विक खाना पसंद करते हैं और जायका आपकी जुबान पर चढ़ा है तो ये दुकान आपके लिए सही ठिकाना साबित हो सकती है.

चिमनलाल की ये दुकान वैसे तो 150 साल पुरानी है, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी (former prime minister atal bihari vajpayee) जब प्रधानमंत्री हुआ करते थे तो वो यहां कचौड़ी खाने आए थे. तब से चिमनलाल की कचौड़ियां इतनी मशहूर हुई कि उनकी किस्मत चमक गई.

150 साल पहले इस दुकान की शुरुआत

यहां की कचौड़ियों से अटल बिहारी वाजपेयी (atal bihari vajpayee panipat kachori love) के प्रेम का अंदाजा आप ऐसे लगाइए कि उन्होंने देखा कि सभा में मौजूद लोगों में जोश नहीं है तो उन्होंने जोर से कहा कि 'क्या आज आप लोग पानीपत के चिमन की मलाई-कचौड़ी नहीं खाकर आए हैं?

क्या पानीपत वाले चिमनलाल की कचोरी खा कर नहीं आए हैं?

दरअसल, ये किस्सा है साल 2001 का, जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पानीपत की रिफाइनरी (atal bihari vajpayee panipat refinery visit) के दौरे पर थे. यहां भाषण देते वक्त जब उन्हें तालियों की गड़गड़ाहट नहीं सुनाई दी तो उन्होंने अपने भाषण में कहा कि क्या पानीपत वाले चिमनलाल की कचोरी खा कर नहीं आए हैं?. कहा जाता है कि इस भाषण में जिक्र होने के बाद पानीपत के डीसी ने चिमनलाल से मुलाकात की थी और उस दिन के बाद भी चिमनलाल कचौड़ी वाले के नाम से जाना गया और उसकी दुकान में ग्राहकों की भीड़ बढ़ गई.

150 साल पहले इस दुकान की शुरुआत

बता दें कि पानीपत शहर में किले के पास चिमनलाल की दुकान है और यहीं आरएसएस का कार्यालय भी है और अटल बिहारी वाजपेयी का यहां आना जाना लगा रहता था. चिमनलाल तो अब नहीं रहे लेकिन उनके बेटे राजीव उन यादों को के बारे में बताते हैं कि उनके परदादा बख्तावर सिंह ने करीब 150 साल पहले इस दुकान की शुरुआत की थी और वो अपने पुश्तैनी काम को आगे बढ़ा रहे हैं.

पढ़ें : मुखर विपक्षी नेता के रूप में बेहद लोकप्रिय रहे वाजपेयी, पढ़ें चर्चित भाषण

कचौड़ियों का जायका

चिमनलाल की दुकान में कचौड़ी खाने वालों की कमी नहीं है. ऐसे कई ग्राहक हैं जो कई दशकों से यहां खासतौर पर कचौड़ियां खाने आ रहे हैं. प्रवीन नाम के ग्राहक ने बताया कि वो 30 साल से चिमनलाल की दुकान पर आ रहे हैं. इतने सालों से ना दुकान बदली है और ना यहां की कचौड़ियों का जायका.

आप भी चिमनलाल की मशहूर कचौड़ियां का आनंद लीजिए

अगर आप भी चिमनलाल की मशहूर कचौड़ियां खाना चाहते हैं तो जल्द से जल्द पानीपत के एतिहासिक किले पहुंच जाएं. जहां 150 साल पुरानी चिमनलाल कचौड़ी वाले की ये मशहूर दुकान आपको गली में घुसते ही तलती पूड़ियों की खुशबू अपनी ओर आकर्षित करेगी.

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