तिरुवनंतपुरम: अमेरिका में पूर्व भारतीय राजदूत और विदेश मामलों के विशेषज्ञ डॉ. टीपी श्रीनिवासन (Former Diplomat Dr T P Srinivasan) ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा अमेरिका की ओर से चीन को एक स्पष्ट संदेश है कि वह चीन को आक्रमण करने की अनुमति नहीं देगा.
डॉ. टीपी श्रीनिवासन ने कहा, 'चीन का रुख स्पष्ट है क्योंकि चीन के लड़ाकू विमानों ने नैंसी पेलोसी की यात्रा के दौरान ताइवान को घेर लिया था. ताइवान इन उड़ानों को मार गिरा सकता था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया क्योंकि वे चीन के साथ युद्ध नहीं चाहते हैं.' उन्होंने कहा कि पेलोसी की यात्रा के साथ ताइवान को अब चीनी हमले की ज्यादा आशंका है. अगर यूक्रेन पर रूसी आक्रमण जैसा कुछ ताइवान के साथ होता है, तो वे जानते हैं कि यह उन्हें बुरी तरह प्रभावित करेगा. उन्होंने कहा कि यूक्रेन के आक्रमण के खिलाफ अमेरिका की ओर से रूस को दिए गए आर्थिक प्रतिबंध और धमकी भरे संदेश रूस को यूक्रेन पर हमला करने से रोकने में कारगर नहीं रहे हैं.
'तेल आयात पर प्रतिबंध भी विफल रहा' : श्रीनिवासन ने कहा कि रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध भी विफल रहा. यूरोपीय देश अब सीधे रूस से तेल खरीद रहे हैं. रूस ने पहले ही उन क्षेत्रों पर नियंत्रण कर लिया है जो वे यूक्रेन में चाहते थे, इससे अमेरिका की छवि खराब हुई है. उन्होंने कहा कि ताइवान की यात्रा को इस शर्मिंदगी से बाहर निकलने के लिए एक हथकंडा भी माना जा सकता है.
श्रीनिवासन ने कहा कि यूक्रेन युद्ध से पहले चीन और रूस समझौते पर पहुंच गए कि चीन यूक्रेन के आक्रमण में रूस का समर्थन करेगा और रूस बदले में ताइवान के आक्रमण के लिए चीन का समर्थन करेगा. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने अब स्पष्ट रूप से संकेत दिया है कि अगर चीन ताइवान पर आक्रमण करने का फैसला करता है, तो वह ताइवान के साथ खड़ा होगा.
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