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Condemn Rijiju's remarks: पूर्व लोकसेवकों ने खुले पत्र में न्यायपालिका पर रिजिजू की टिप्पणी की निंदा की - कॉलेजियम प्रणाली किरेन रिजिजू

पूर्व लोकसेवकों ने न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर कानून मंत्री किरेन रिजिजू के द्वारा हाल में दिए गए बयानों की आलोचना की. आलोचना करने वालों में 90 पूर्व नौकरशाह शामिल हैं.

Former civil servants condemn Rijiju's remarks on judiciary in open letter (file photo)
पूर्व लोकसेवकों ने खुले पत्र में न्यायपालिका पर रीजीजू की टिप्पणी की निंदा की (फाइल फोटो)
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Published : Mar 31, 2023, 8:19 AM IST

नई दिल्ली: पूर्व लोकसेवकों ने बृहस्पतिवार को एक खुले पत्र में कानून मंत्री किरेन रिजिजू की उनकी कई टिप्पणियों के लिए आलोचना की और कहा कि नियुक्तियों की कॉलेजियम प्रणाली एवं न्यायिक स्वतंत्रता पर सरकार द्वारा एक ठोस हमला किया गया है. खुले पत्र पर 90 पूर्व नौकरशाहों के हस्ताक्षर हैं. इसमें कहा गया है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने से कोई समझौता नहीं किया जा सकता.

पत्र में कहा गया, 'हमने आज आपको विभिन्न अवसरों पर और हाल ही में 18 मार्च, 2023 को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में की गई टिप्पणियों के जवाब में लिखा है. उस दिन के आपके बयान नवीनतम हैं जो नियुक्ति की प्रणाली कॉलेजियम, भारत के उच्चतम न्यायालय और अंततः न्यायिक स्वतंत्रता पर सरकार द्वारा एक ठोस हमले के रूप में उभर रहा है. हम स्पष्ट रूप से इस हमले की निंदा करते हैं.' इसमें कहा गया कि उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति में ऐसा प्रतीत होता है कि यह सरकार है जो नियुक्तियों में अड़ंगा लगा रही है. 'कॉस्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप’ के बैनर तले पूर्व लोकसेवकों द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है, 'कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नाम वर्षों से लंबित पड़े हैं, केवल अंत में बिना अनुमोदन के वापस करने के लिए...'

ये भी पढ़ें- Plea Challenging Collegium System : सुप्रीम कोर्ट में कॉलेजियम से जुड़ी याचिका दाखिल

बता दें कि इससे पहले वकीलों के संगठन 'बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन' ने न्यायपालिका और न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़ी कॉलेजियम प्रणाली पर टिप्पणियों को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एवं केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ जनहित याचिका खारिज करने के उच्च न्यायालय के फैसले को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है. वकीलों के निकाय ने बंबई उच्च न्यायालय के नौ फरवरी के आदेश को चुनौती दी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: पूर्व लोकसेवकों ने बृहस्पतिवार को एक खुले पत्र में कानून मंत्री किरेन रिजिजू की उनकी कई टिप्पणियों के लिए आलोचना की और कहा कि नियुक्तियों की कॉलेजियम प्रणाली एवं न्यायिक स्वतंत्रता पर सरकार द्वारा एक ठोस हमला किया गया है. खुले पत्र पर 90 पूर्व नौकरशाहों के हस्ताक्षर हैं. इसमें कहा गया है कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने से कोई समझौता नहीं किया जा सकता.

पत्र में कहा गया, 'हमने आज आपको विभिन्न अवसरों पर और हाल ही में 18 मार्च, 2023 को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में की गई टिप्पणियों के जवाब में लिखा है. उस दिन के आपके बयान नवीनतम हैं जो नियुक्ति की प्रणाली कॉलेजियम, भारत के उच्चतम न्यायालय और अंततः न्यायिक स्वतंत्रता पर सरकार द्वारा एक ठोस हमले के रूप में उभर रहा है. हम स्पष्ट रूप से इस हमले की निंदा करते हैं.' इसमें कहा गया कि उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति में ऐसा प्रतीत होता है कि यह सरकार है जो नियुक्तियों में अड़ंगा लगा रही है. 'कॉस्टिट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप’ के बैनर तले पूर्व लोकसेवकों द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है, 'कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नाम वर्षों से लंबित पड़े हैं, केवल अंत में बिना अनुमोदन के वापस करने के लिए...'

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बता दें कि इससे पहले वकीलों के संगठन 'बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन' ने न्यायपालिका और न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़ी कॉलेजियम प्रणाली पर टिप्पणियों को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ एवं केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू के खिलाफ जनहित याचिका खारिज करने के उच्च न्यायालय के फैसले को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है. वकीलों के निकाय ने बंबई उच्च न्यायालय के नौ फरवरी के आदेश को चुनौती दी.

(पीटीआई-भाषा)

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