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रोहिणी में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला जानवरों के डीएनए की जांच करेगी

एफएसएल के अधिकारियों ने राष्ट्रीय राजधानी में रोहिणी स्थित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) अब अपने नए केंद्र में दो अत्याधुनिक मशीनों से जानवरों के डीएनए नमूनों की जांच कर सकेगी, जिससे वन्य जीवों से संबंधित अपराधों की जांच में मदद मिलेगी.

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Published : Aug 9, 2021, 5:21 AM IST

रोहिणी में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला जानवरों के डीएनए की जांच करेगी
रोहिणी में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला जानवरों के डीएनए की जांच करेगी

नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में रोहिणी स्थित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) अब अपने नए केंद्र में दो अत्याधुनिक मशीनों से जानवरों के डीएनए नमूनों की जांच कर सकेगी, जिससे वन्य जीवों से संबंधित अपराधों की जांच में मदद मिलेगी.

एफएसएल के अधिकारियों ने रविवार को बताया कि उन्होंने हाल में दो मशीन खरीदी हैं इनमें एक मशीन डीएनए निकालने वाला एक स्वचालित उपकरण और दूसरी मशीन माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए तकनीक पर आधारित एक रीयल-टाइम पीसीआर उपकरण है.

अधिकारियों ने बताया कि वन्यजीव फोरेंसिक आपराधिक जांच का एक अपेक्षाकृत नया क्षेत्र है. उन्होंने बताया कि इस नई सुविधा का इस्तेमाल अपराध स्थलों से मिले सबूतों की जांच, उनकी पहचान एवं तुलना करने और उनका संदिग्धों एवं पीड़ितों से संबंध पता लगाने के लिए वैज्ञानिक प्रक्रियाएं करने में किया जाएगा.

एफएसएल की निदेशक दीपा वर्मा ने बताया कि केंद्र ने जानवरों के डीएनए के परीक्षण के लिए एक नई इकाई शुरू की है.

पढ़ें - असम विधानसभा उपचुनाव : कांग्रेस और रायजर दल के बीच गठबंधन को लेकर चर्चा

अधिकारियों ने कहा कि यह सुविधा वन्यजीव फोरेंसिक वैज्ञानिकों को अवैध शिकार और अन्य अपराधों के मामलों की जांच करने में मदद करेगी.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में रोहिणी स्थित फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) अब अपने नए केंद्र में दो अत्याधुनिक मशीनों से जानवरों के डीएनए नमूनों की जांच कर सकेगी, जिससे वन्य जीवों से संबंधित अपराधों की जांच में मदद मिलेगी.

एफएसएल के अधिकारियों ने रविवार को बताया कि उन्होंने हाल में दो मशीन खरीदी हैं इनमें एक मशीन डीएनए निकालने वाला एक स्वचालित उपकरण और दूसरी मशीन माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए तकनीक पर आधारित एक रीयल-टाइम पीसीआर उपकरण है.

अधिकारियों ने बताया कि वन्यजीव फोरेंसिक आपराधिक जांच का एक अपेक्षाकृत नया क्षेत्र है. उन्होंने बताया कि इस नई सुविधा का इस्तेमाल अपराध स्थलों से मिले सबूतों की जांच, उनकी पहचान एवं तुलना करने और उनका संदिग्धों एवं पीड़ितों से संबंध पता लगाने के लिए वैज्ञानिक प्रक्रियाएं करने में किया जाएगा.

एफएसएल की निदेशक दीपा वर्मा ने बताया कि केंद्र ने जानवरों के डीएनए के परीक्षण के लिए एक नई इकाई शुरू की है.

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अधिकारियों ने कहा कि यह सुविधा वन्यजीव फोरेंसिक वैज्ञानिकों को अवैध शिकार और अन्य अपराधों के मामलों की जांच करने में मदद करेगी.

(पीटीआई-भाषा)

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