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अमेरिका दौरे पर न्यूयॉर्क पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर, कोविड-19 पर होगी चर्चा

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Published : May 25, 2021, 12:36 AM IST

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और अमेरिका की यात्रा पर गए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर कोविड-19, क्वाड के माध्यम से भारत-प्रशांत सहयोग को मजबूत बनाने, संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय सहयोग बढ़ाने सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे.

विदेश मंत्री जयशंकर
विदेश मंत्री जयशंकर

न्यूयॉर्क : विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को अमेरिका के दौरे पर पहुंचे. भारत के इस साल जनवरी माह में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य बनने के बाद विदेश मंत्री का अमेरिका का यह पहला दौरा है. जयशंकर इस दौरान संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस तथा अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात करेंगे.

विदेश मंत्री मंगलवार की सुबह संरा महासचिव से मुलाकात करेंगे और उसके बाद वॉशिंगटन डीजी जाएंगे जहां वह ब्लिंकन से मुलाकात करेंगे.

जनवरी में राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यभार संभालने के बाद भारत के किसी वरिष्ठ मंत्री का अमेरिका का यह पहला दौरा है. इस दौरान विदेश मंत्री से कोविड-19 पर चर्चा करने की उम्मीद है, जो उनके एजेंडे के साथ-साथ अन्य संबंधित स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों में सबसे ऊपर है.

इसके अलावा, अफगानिस्तान जैसे अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों की एक पूरी श्रृंखला के साथ-साथ भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने पर चर्चा की जाएगी.

जयशंकर की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है और स्वास्थ्य प्रणाली डूब रही है, क्योंकि देश टीकों, जीवनदायी ऑक्सीजन और अन्य स्वास्थ्य सहायता की कमी है.

हालांकि महामारी की दूसरी लहर के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद के लिए कई देश आगे आए हैं. है टीकों की खरीद और निर्माण में अमेरीका दिल्ली के साथ जुड़ा हुआ है, इसलिए देश में टीकाकरण अभियान को आसान बनाने की उम्मीद है. जयशंकर की यात्रा वैक्सीन उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो दोनों देशों के बीच मजबूत वैक्सीन कूटनीति को स्थापित करने जा रही है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने कहा कि जयशंकर का दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि भू-राजनीतिक परिस्थितियों में बहुत तेजी से बदलाव हो रहा है.

विदेशमंत्री का यह दौरा 12 मार्च को हुए पहले क्वाड शिखर सम्मेलन और में महामारी से निपटने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा मिले समर्थन के बाद हो रहा है.

इसलिए उनकी यात्रा मूल रूप से सहयोग को और मजबूत करने के साथ अन्य मु्द्दों जहां हम एक साथ काम कर सकते हैं के लिए महत्वपूर्ण होगी.

उनकी यात्रा के दौरान तीन मुद्दों पर चर्चा हो सकती है-पहली रक्षा उत्पादन अधिनियम में छूट, दूसरा वैक्सीन उत्पादन के लिए भारतीय कंपनियों द्वारा आवश्यक आपूर्ति श्रृंखला और तीसरा विश्व व्यापार संगठन में टीआरआईपी की छूट.

अमेरिकी का कहना है कि पेटेंट अधिकारों की छूट 16-18 महीने के लिए होनी चाहिए, जबकि भारत का कहना है कि यह तीन साल के लिए हो, दूसरी ओर भारत के पास टीकों के अलावा चिकित्सा उपकरणों की बहुत व्यापक मांग की सूची है.

यह संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भी कुछ दबाव वाले मुद्दे हैं और यह चर्चा का विषय होंगे.

सज्जनहर का कहना है कि जयशंकर की यात्रा से साझेदारी को और मजबूत और पुनर्जीवित किया जाएगा और दोनों पक्षों से इस बात पर भी चर्चा होने की उम्मीद है कि चीन की बढ़ती आक्रामकता और मुखरता से कैसे निपटा जाए.

कोरोना की दूसरी लहर के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद करने में संयुक्त राज्य अमेरिका वैश्विक स्तर पर सबसे आगे रहा है. इससे पहले, व्हाइट प्रेस सचिव जेन साकी ने व्हाइट हाउस फॉरेन प्रेस ग्रुप के सदस्यों को बताया कि आज तक, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को कोविड राहत में 500 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक प्रदान किया है, जिसमें अमेरिकी संघीय और राज्य सरकारों, अमेरिकी कंपनियों, निजी संगठनों का योगदान शामिल है.

कोरोना वायरस से जूझते भारत को अमेरिका ने इस साल अप्रैल में कोविशील्ड के उत्पादन के लिए SII द्वारा आवश्यक कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का फैसला किया था. अमेरिका का यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिकी समकक्ष के बाद सामने आया था.

अप्रैल में जेक सुलिवन ने देश भर में कोविड-19 संक्रमणों में स्पाइक के बारे में फोन पर बातचीत की थी.

सुलिवन ने भारत के साथ अमेरिका की एकजुटता की पुष्टि की. दोनों देशों में दुनिया में सबसे अधिक कोविड-19 मामले हैं.

इसके अलावा, कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा की कि अमेरिका फाइजर-बायोएनटेक, मॉडर्न और की 20 मिलियन खुराक की शिपिंग शुरू करेगा.

विदेश मंत्री भारत में दवा की कमी के मुद्दे को भी आगे बढ़ाएंगे. बांग्लादेश, नेपाल जैसे देशों को पहले भारत से वैक्सीन के बैच भेजे जाते थे, लेकिन चूंकि भारत खुद पर्याप्त टीकों की खरीद के लिए संघर्ष कर रहा है, इसलिए अन्य पड़ोसी देशों को निर्यात रोक दिया गया है.

पढ़ें - तिब्बत पर चीन का श्वेत पत्र: दलाई लामा पर निगाहें, भारत पर निशाना

इस पहले संरा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने रविवार की रात को ट्वीट किया, 'एक जनवरी 2021 को भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल होने के बाद डॉ. एस जयशंकर के न्यूयॉर्क आगमन पर उनका स्वागत करता हूं.'

बता दें कि जयशंकर के दौरे का समापन 28 मई को होगा. वह इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों को देख रहे कैबिनेट सदस्यों तथा प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे.

भारत के विदेश मंत्रालय ने 21 मई को बताया था कि विदेश मंत्री की यात्रा के दौरान उनका भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक एवं कोविड-19 महामारी से जुड़े सहयोग को लेकर कारोबारी मंचों से संवाद का कार्यक्रम है.

न्यूयॉर्क : विदेश मंत्री एस जयशंकर रविवार को अमेरिका के दौरे पर पहुंचे. भारत के इस साल जनवरी माह में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य बनने के बाद विदेश मंत्री का अमेरिका का यह पहला दौरा है. जयशंकर इस दौरान संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस तथा अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात करेंगे.

विदेश मंत्री मंगलवार की सुबह संरा महासचिव से मुलाकात करेंगे और उसके बाद वॉशिंगटन डीजी जाएंगे जहां वह ब्लिंकन से मुलाकात करेंगे.

जनवरी में राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यभार संभालने के बाद भारत के किसी वरिष्ठ मंत्री का अमेरिका का यह पहला दौरा है. इस दौरान विदेश मंत्री से कोविड-19 पर चर्चा करने की उम्मीद है, जो उनके एजेंडे के साथ-साथ अन्य संबंधित स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों में सबसे ऊपर है.

इसके अलावा, अफगानिस्तान जैसे अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों की एक पूरी श्रृंखला के साथ-साथ भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने पर चर्चा की जाएगी.

जयशंकर की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा है और स्वास्थ्य प्रणाली डूब रही है, क्योंकि देश टीकों, जीवनदायी ऑक्सीजन और अन्य स्वास्थ्य सहायता की कमी है.

हालांकि महामारी की दूसरी लहर के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद के लिए कई देश आगे आए हैं. है टीकों की खरीद और निर्माण में अमेरीका दिल्ली के साथ जुड़ा हुआ है, इसलिए देश में टीकाकरण अभियान को आसान बनाने की उम्मीद है. जयशंकर की यात्रा वैक्सीन उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो दोनों देशों के बीच मजबूत वैक्सीन कूटनीति को स्थापित करने जा रही है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहार ने कहा कि जयशंकर का दौरा इसलिए भी अहम है क्योंकि भू-राजनीतिक परिस्थितियों में बहुत तेजी से बदलाव हो रहा है.

विदेशमंत्री का यह दौरा 12 मार्च को हुए पहले क्वाड शिखर सम्मेलन और में महामारी से निपटने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा मिले समर्थन के बाद हो रहा है.

इसलिए उनकी यात्रा मूल रूप से सहयोग को और मजबूत करने के साथ अन्य मु्द्दों जहां हम एक साथ काम कर सकते हैं के लिए महत्वपूर्ण होगी.

उनकी यात्रा के दौरान तीन मुद्दों पर चर्चा हो सकती है-पहली रक्षा उत्पादन अधिनियम में छूट, दूसरा वैक्सीन उत्पादन के लिए भारतीय कंपनियों द्वारा आवश्यक आपूर्ति श्रृंखला और तीसरा विश्व व्यापार संगठन में टीआरआईपी की छूट.

अमेरिकी का कहना है कि पेटेंट अधिकारों की छूट 16-18 महीने के लिए होनी चाहिए, जबकि भारत का कहना है कि यह तीन साल के लिए हो, दूसरी ओर भारत के पास टीकों के अलावा चिकित्सा उपकरणों की बहुत व्यापक मांग की सूची है.

यह संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भी कुछ दबाव वाले मुद्दे हैं और यह चर्चा का विषय होंगे.

सज्जनहर का कहना है कि जयशंकर की यात्रा से साझेदारी को और मजबूत और पुनर्जीवित किया जाएगा और दोनों पक्षों से इस बात पर भी चर्चा होने की उम्मीद है कि चीन की बढ़ती आक्रामकता और मुखरता से कैसे निपटा जाए.

कोरोना की दूसरी लहर के खिलाफ लड़ाई में भारत की मदद करने में संयुक्त राज्य अमेरिका वैश्विक स्तर पर सबसे आगे रहा है. इससे पहले, व्हाइट प्रेस सचिव जेन साकी ने व्हाइट हाउस फॉरेन प्रेस ग्रुप के सदस्यों को बताया कि आज तक, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत को कोविड राहत में 500 मिलियन अमरीकी डालर से अधिक प्रदान किया है, जिसमें अमेरिकी संघीय और राज्य सरकारों, अमेरिकी कंपनियों, निजी संगठनों का योगदान शामिल है.

कोरोना वायरस से जूझते भारत को अमेरिका ने इस साल अप्रैल में कोविशील्ड के उत्पादन के लिए SII द्वारा आवश्यक कच्चे माल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने का फैसला किया था. अमेरिका का यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अमेरिकी समकक्ष के बाद सामने आया था.

अप्रैल में जेक सुलिवन ने देश भर में कोविड-19 संक्रमणों में स्पाइक के बारे में फोन पर बातचीत की थी.

सुलिवन ने भारत के साथ अमेरिका की एकजुटता की पुष्टि की. दोनों देशों में दुनिया में सबसे अधिक कोविड-19 मामले हैं.

इसके अलावा, कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा की कि अमेरिका फाइजर-बायोएनटेक, मॉडर्न और की 20 मिलियन खुराक की शिपिंग शुरू करेगा.

विदेश मंत्री भारत में दवा की कमी के मुद्दे को भी आगे बढ़ाएंगे. बांग्लादेश, नेपाल जैसे देशों को पहले भारत से वैक्सीन के बैच भेजे जाते थे, लेकिन चूंकि भारत खुद पर्याप्त टीकों की खरीद के लिए संघर्ष कर रहा है, इसलिए अन्य पड़ोसी देशों को निर्यात रोक दिया गया है.

पढ़ें - तिब्बत पर चीन का श्वेत पत्र: दलाई लामा पर निगाहें, भारत पर निशाना

इस पहले संरा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने रविवार की रात को ट्वीट किया, 'एक जनवरी 2021 को भारत के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल होने के बाद डॉ. एस जयशंकर के न्यूयॉर्क आगमन पर उनका स्वागत करता हूं.'

बता दें कि जयशंकर के दौरे का समापन 28 मई को होगा. वह इस दौरान द्विपक्षीय संबंधों को देख रहे कैबिनेट सदस्यों तथा प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे.

भारत के विदेश मंत्रालय ने 21 मई को बताया था कि विदेश मंत्री की यात्रा के दौरान उनका भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक एवं कोविड-19 महामारी से जुड़े सहयोग को लेकर कारोबारी मंचों से संवाद का कार्यक्रम है.

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