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जीवन की अंतिम घड़ी में मोक्ष पाने की चाह में फ्रांस से काशी पहुंचा विदेशी, 20 दिन बाद मौत, आज हिंदू रीति रिवाज से होगा अंतिम संस्कार

जीवन की अंतिम घड़ी में मोक्ष की चाह में एक विदेशी फ्रांस से काशी पहुंचा. 20 दिन बाद उसकी मौत हो गई. काशी जिला प्रशासन आज उसकी इच्छा के अनुसार हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार कराएगा.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 11, 2023, 12:50 PM IST

वाराणसीः फ्रेंच नागरिक माइकल कुछ दिन पहले काशी आए थे. उनकी काशी में मोक्ष पाने की चाहत थी. माइकल की तीन दिन पहले मृत्यु भी हो चुकी है. उनका शव काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर की मोर्चरी में रखा हुआ है. आज शव का पोस्टमार्टम होने के बाद दोपहर 2 बजे हरिश्चंद्र घाट लाया जाएगा. यहां पर उन्हें मुखाग्नि दी जाएगी. वहां पर अंतिम दर्शन होगा. इस पूरी प्रक्रिया में आने वाला खर्च वाराणसी के कमिश्नर कौशल राज शर्मा उठाने वाले हैं. काशी का ऐसा पहला मामला है जब किसी फ्रेंच नागरिक का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज और परंपरा के साथ किया जाएगा.

काशी में मोक्ष पाने की चाहत हर इंसान की होती है. आध्यात्मिक महत्व को मानने वाले लोग अपने जीवन का अंतिम समय काशी में ही गुजारना चाहते हैं. ऐसा ही एक सौभाग्य मिला फ्रेंच नागरिक माइकल को. अपनी बीमारी की बात जानने के बाद वह काशी में अपने जीवन का अंत समय गुजारने के लिए पहुंचे थे. मगर वो कहते हैं न कि काशी में मोक्ष मिलना आसान नहीं है. उन्हें यहां रहने के लिए बहुत जद्दोजहद करनी पड़ी थी. काफी मशक्कत के बाद उन्हें रहने के लिए एक कमरा मिला था. जीवन के अंतिम कुछ दिन सही से गुजरे फिर तीन दिन पहले उनकी मृत्यु हो गई. करीब 20 दिन उनके काशी में ही गुजरे थे.


एक गेस्ट हाउस में बेहोश होकर गिरे थे माइकल
काशी आने का फैसला उन्होंने अपनी बीमारी का पता चलने के बाद लिया था. वे काशी में मोक्ष पाना चाहते थे. माइकल ने बताया था कि उन्होंने पढ़कर जाना, 'इफ यू डाई इन काशी, यू गेट हैवेन'. इसके बाद वह अपना परिवार छोड़कर वाराणसी आ गए थे. माइकल ने शादी भी नहीं की थी. माइकल जब वाराणसी आए तो उन्हें रहने के लिए जगह नहीं मिली. माइकल विदेशी नागरिक थे तो मुमुक्षु भवन में उन्हें रहने के लिए जगह नहीं मिली. इसके बाद परेशान होकेर माइकल ने गेस्ट हाउस में रहना शुरू किया. वहां करीब 10 दिन रहे और बीमारी अधिक पढ़ने के कारण कमरे में बेहोश होकर गिर गए थे.

करीब 10 दिन अस्पताल में भर्ती रहे माइकल
माइकल के बेहोश होने के बाद उन्हें कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद भी उन्हें ठीक इलाज नहीं मिल सका था. जानकारी के मुताबिक, माइकल अस्पताल में भी 10 दिन तक अस्पताल के एक बेड पर रहे. इस मामले की जानकारी एक समाज सेवी को मिली. इसके बाद उन्होंने इस मामले से जिला प्रशासन से अवगत कराया. इसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. घाट स्थित अपना घर आश्रम में उन्हें रहने के लिए जगह दी गई. उनका इलाज तेजी से कराया जा रहा था, लेकिन तीन दिन पहले ही उनकी मृत्यु हो गई. उनका शव BHU के ट्रामा सेंटर के मोर्चरी में रखा गया है.

हिन्दू रीति-रिवाज से होगा अंतिम संस्कार
आज शव का पोस्टमार्टम होने के बाद दोपहर 2 बजे उनका शव हरिश्चंद्र घाट लेकर जाया जाएगा. जहां पर उन्हें मुखाग्नि दी जाएगी. इस दौरान जिला प्रशासन के लोग मौजूद रहेंगे. जिला प्रशासन का कहना है कि माइकल का अंतिम संस्कार पूरे रीति-रिवाज से किया जाएगा. माइकल के शव का शुद्धिकरण कर सफेद मारकीन और चमकीले कफन से ओढ़ाया जाएगा. इसके बाद लकड़ी, चंदन और घी-अगरबत्ती आदि से विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. बताया जा रहा है कि इस दौरान माइकल की साथी एमी भी मौजूद रहेंगी. कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने सभी खर्च उठाने की बात कही है. करीब 20 दिन बाद माइकल को काशी में मोक्ष मिल गया.

ये भी पढ़ेंः देखिए, त्रेता युग की अयोध्या, राम के राजतिलक की भव्य तैयारी, जगमगाएंगे 24 लाख दीये, कई राज्यों के कलाकारों ने नृत्य से बांधा समां

वाराणसीः फ्रेंच नागरिक माइकल कुछ दिन पहले काशी आए थे. उनकी काशी में मोक्ष पाने की चाहत थी. माइकल की तीन दिन पहले मृत्यु भी हो चुकी है. उनका शव काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर की मोर्चरी में रखा हुआ है. आज शव का पोस्टमार्टम होने के बाद दोपहर 2 बजे हरिश्चंद्र घाट लाया जाएगा. यहां पर उन्हें मुखाग्नि दी जाएगी. वहां पर अंतिम दर्शन होगा. इस पूरी प्रक्रिया में आने वाला खर्च वाराणसी के कमिश्नर कौशल राज शर्मा उठाने वाले हैं. काशी का ऐसा पहला मामला है जब किसी फ्रेंच नागरिक का अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज और परंपरा के साथ किया जाएगा.

काशी में मोक्ष पाने की चाहत हर इंसान की होती है. आध्यात्मिक महत्व को मानने वाले लोग अपने जीवन का अंतिम समय काशी में ही गुजारना चाहते हैं. ऐसा ही एक सौभाग्य मिला फ्रेंच नागरिक माइकल को. अपनी बीमारी की बात जानने के बाद वह काशी में अपने जीवन का अंत समय गुजारने के लिए पहुंचे थे. मगर वो कहते हैं न कि काशी में मोक्ष मिलना आसान नहीं है. उन्हें यहां रहने के लिए बहुत जद्दोजहद करनी पड़ी थी. काफी मशक्कत के बाद उन्हें रहने के लिए एक कमरा मिला था. जीवन के अंतिम कुछ दिन सही से गुजरे फिर तीन दिन पहले उनकी मृत्यु हो गई. करीब 20 दिन उनके काशी में ही गुजरे थे.


एक गेस्ट हाउस में बेहोश होकर गिरे थे माइकल
काशी आने का फैसला उन्होंने अपनी बीमारी का पता चलने के बाद लिया था. वे काशी में मोक्ष पाना चाहते थे. माइकल ने बताया था कि उन्होंने पढ़कर जाना, 'इफ यू डाई इन काशी, यू गेट हैवेन'. इसके बाद वह अपना परिवार छोड़कर वाराणसी आ गए थे. माइकल ने शादी भी नहीं की थी. माइकल जब वाराणसी आए तो उन्हें रहने के लिए जगह नहीं मिली. माइकल विदेशी नागरिक थे तो मुमुक्षु भवन में उन्हें रहने के लिए जगह नहीं मिली. इसके बाद परेशान होकेर माइकल ने गेस्ट हाउस में रहना शुरू किया. वहां करीब 10 दिन रहे और बीमारी अधिक पढ़ने के कारण कमरे में बेहोश होकर गिर गए थे.

करीब 10 दिन अस्पताल में भर्ती रहे माइकल
माइकल के बेहोश होने के बाद उन्हें कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इसके बाद भी उन्हें ठीक इलाज नहीं मिल सका था. जानकारी के मुताबिक, माइकल अस्पताल में भी 10 दिन तक अस्पताल के एक बेड पर रहे. इस मामले की जानकारी एक समाज सेवी को मिली. इसके बाद उन्होंने इस मामले से जिला प्रशासन से अवगत कराया. इसके बाद जिला प्रशासन हरकत में आया. घाट स्थित अपना घर आश्रम में उन्हें रहने के लिए जगह दी गई. उनका इलाज तेजी से कराया जा रहा था, लेकिन तीन दिन पहले ही उनकी मृत्यु हो गई. उनका शव BHU के ट्रामा सेंटर के मोर्चरी में रखा गया है.

हिन्दू रीति-रिवाज से होगा अंतिम संस्कार
आज शव का पोस्टमार्टम होने के बाद दोपहर 2 बजे उनका शव हरिश्चंद्र घाट लेकर जाया जाएगा. जहां पर उन्हें मुखाग्नि दी जाएगी. इस दौरान जिला प्रशासन के लोग मौजूद रहेंगे. जिला प्रशासन का कहना है कि माइकल का अंतिम संस्कार पूरे रीति-रिवाज से किया जाएगा. माइकल के शव का शुद्धिकरण कर सफेद मारकीन और चमकीले कफन से ओढ़ाया जाएगा. इसके बाद लकड़ी, चंदन और घी-अगरबत्ती आदि से विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. बताया जा रहा है कि इस दौरान माइकल की साथी एमी भी मौजूद रहेंगी. कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने सभी खर्च उठाने की बात कही है. करीब 20 दिन बाद माइकल को काशी में मोक्ष मिल गया.

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