पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव चारा घोटाला से जुड़े कई मामलों में सजायाफ्ता हैं. हालांकि खराब स्वास्थ्य के आधार पर झारखंड उच्च न्यायालय से उनको जमानत मिली हुई है. वहीं सिंगापुर में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद से उनके सेहत में लगातार सुधार देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि वह विपक्षी इंडिया गठबंधन की बैठक में भी शामिल हुए हैं लेकिन इस बीच उनकी जमानत को रद्द कराने के लिए केंद्रीय जांच एजेंसी पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गई. सीबीआई का तर्क है कि लालू को बेल खराब सेहत और इलाज के लिए मिली थी. अब चूकि वह पूरी तरह से ठीक हैं, लिहाजा उनको सजा पूरी करनी होगी.
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लालू यादव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: वहीं, सीबीआई की याचिका के खिलाफ लालू ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लालू ने अपनी याचिका में कहा, सजा निलंबित करने के हाईकोर्ट के आदेश को केवल इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती है कि सीबीआई उस निर्णय से संतुष्ट नहीं है. अपने हलफनामे में उन्होंने खराब स्वास्थ्य और बढ़ती उम्र को आधार बनाते हुए कहा कि उनको हिरासत में रखने से केंद्रीय जांच एजेंसी का कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में शुक्रवार को लालू के जवाबी हलफनामे पर दलील सुनेगा.
'लालू की जमानत को चुनौती नहीं दी जा सकती': कानून के जानकार और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अरुण कुशवाहा के मुताबिक सीबीआई के पास कोई वैलिड रीजन नहीं है. सुपरफिशियल तर्क के साथ सीबीआई ने न्यायालय में अपना पक्ष रखा है. अगर लालू यादव ने सबूत के साथ छेड़छाड़ या गवाह को प्रभावित करने की कोशिश की हो, या फिर जांच में सहयोग नहीं किया हो, तभी जमानत रद्द हो सकती है. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने जो तर्क दिया है कि लालू यादव का स्वास्थ्य ठीक हो गया है. लिहाजा उनकी जमानत रद्द की जानी चाहिए, उसमें दम नहीं है. वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के निर्णय में कई बार यह स्पष्ट किया है कि इन कारणों से जमानत रद्द नहीं की जा सकती है.
बेल जारी रहेगी या जेल जाएंगे लालू?: इस सवाल पर अधिवक्ता अरुण कुशवाहा का कहना है कि लालू यादव अगर जेल से बाहर हैं तो सभी मामलों में जमानत मिली होगी. अगर किसी मामले में जमानत नहीं मिली है तो वह जमानती धारा के तहत होगा. अगर गिरफ्तारी पर रोक है, तभी वह घूम रहे हैं. उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक किसी ने अगर आधी सजा काट ली हो तो उस व्यक्ति को जमानत दी जा सकती है. लालू ने भी आधी सजा काट ली है. जाहिर है इस आधार पर वह जमानत के हकदार हैं.
"मेरी समझ से लालू प्रसाद यादव को जो जमानत मिली है, वह कानून सम्मत है. मुझे इस बात की बेहद कम संभावना लगती है कि उनकी जमानत रद्द होगी. वैसे भी सीबीआई के तर्क में दम नहीं है. सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में कई बार ऐसा कह चुका है कि जमानत जिसे दी गई है, उसके मूल अधिकार को छीना नहीं किया जा सकता है"- अरुण कुशवाहा, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र: उधर, पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रजनीश कुमार का मानना है कि केंद्र सरकार या सीबीआई को यह अधिकार है कि वह न्यायालय का दरवाजा खटखटा सके. सीबीआई ने इस आधार पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है कि लालू प्रसाद यादव को खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मिली थी और अब उनका स्वास्थ्य बढ़िया है. वैसे यह कोई कारण नहीं है, जिस वजह से किसी की जमानत को रद्द की जाए. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट कोई भी फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है.
"केंद्र सरकार या सीबीआई को यह अधिकार है कि वह न्यायालय का दरवाजा खटखटा सके. वैसे लालू प्रसाद यादव को खराब स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मिली थी. अब ऐसे में सीबीआई ने तर्क दिया है कि उनका स्वास्थ्य बेहतर है, लिहाजा जमानत रद्द कर दी जाए. हालांकि मुझे लगता है कि केवल इस वजह से किसी की जमानत रद्द नहीं हो सकती. देखना होगा कि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले में क्या निर्णय लेता है, वह फैसला लेने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है"- रजनीश कुमार, अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय
चारा घोटाला के 5 मामलों में लालू दोषी: आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव चारा घोटाला के 5 मामलों में सजायाफ्ता हैं. हालांकि फिलहाल वह सभी मामलों में बेल पर हैं. 37 करोड़ 70 लाख रुपये के चाईबासा मामले में उनको 5 साल की सजा मिली थी. 89 लाख 27 हजार के देवघर कोषागार मामले में भी साढ़े तीन साल की सजी मिली. चाईबासा ट्रेजरी केस से जुड़े दूसरे मामले में 5 साल की कैद मिली. इसमें 89 लाख 27 हजार की अवैध निकासी हुई थी. 3 करोड़ 76 लाख के दुमका ट्रेजरी मामले में 14 साल की सजा मिली थी, जबकि 139 करोड़ 50 लाख के डोरंडा कोषागार मामले में 5 साल की कैद की सजा सुनाई गई. इन सभी मामलों में उन पर भारी भरकम आर्थिक जुर्माना भी लगाया गया है.
क्या है चर्चित चारा घोटाला?: जनवरी 1996 में चर्चित चारा घोटाले का खुलासा हुआ था. पशुपालन विभाग में 950 करोड़ रुपये की गड़बड़ी के बाद मार्च 1996 में पटना हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया था. जून 1997 में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में लालू यादव का नाम आरोपी के तौर पर लिखा था. उस वक्त लालू बिहार (तब झारखंड भी बिहार का हिस्सा था) के मुख्यमंत्री थे. हालांकि चार्जशीट दाखिल होने के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया. उनकी जगह राबड़ी देवी जुलाई 1997 में सीएम बनीं. उनको पहली सजा सितंबर 2013 में सुनाई गई थी.
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद राजनीति में सक्रिय हुए लालू: सिंगापुर में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद जैसे-जैसे लालू की तबीयत में सुधार होता जा रहा है, वैसे-वैसे राजनीति में उनकी सक्रियता भी बढ़ती जा रही है. इंडिया गठबंधन की पटना और बेंगलुरु में आयोजित बैठक में भी उन्होंने हिस्सा लिया था. आरजेडी की बैठकों से लेकर गांधी मैदान में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में भी उन्होंने शिरकत की थी. पिछले दिनों पटना मरीन ड्राइव पर घूमने और शिवानंद तिवारी के साथ कुल्फी खाने का उनका वीडियो काफी वायरल हुआ था, जिस पर बीजेपी नेताओं ने आपत्ति भी जताई थी. वहीं सीबीआई की याचिका दायर होने के बावजूद वह गोपालंगज अपने पैतृक गांव गए और कार्यकर्ताओं से मिले.