रांची: सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाला के डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी के मामले में 36 लोगों को सजा सुना दी है. सभी दोषियों को 4 साल की सजा सुनाई गयी है. वहीं, रांची के तत्कालीन पशुपालन पदाधिकारी गौरी शंकर प्रसाद पर 1 करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया है. सभी दोषियों को उम्र और आरोप के हिसाब से जुर्माना भी लगाया गया है. इनमें सबसे कम जुर्माना 75 हजार का लगाया गया है.
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1996 से चल रहे चारा घोटाला मामले में आखिरकार 27 साल बाद फैसला आया है. इस मुकदमे में 617 गवाहों को पेश किया गया है, जबकि 50 हजार से ज्यादा एविडेंस और डॉक्यूमेंट पेश किए गए. इस मामले में 28 अगस्त को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 35 लोगों को बरी किया था. वहीं, 53 लोगों को 3 साल से कम की सजा सुनाई गयी थी. जिन 36 लोगों को 4 साल की सजा सुनाई गयी है उन सभी लोगों को जुर्माना के साथ सजा सुनाई गई है. हालांकि एक अभियुक्त अब तक सरेंडर नहीं किया है.
चारा घोटाला मामले में 27 सालों से 124 आरोपी ट्रायल फेस कर रहे थे. इस दौरान 35 आरोपियों को रिहा कर दिया गया. जबकि 53 अभियुक्तों को दो से तीन साल की सजा सुनायी गयी. जिन्हें निचली अदालत से बेल मिल गई है. अब वे हाई कोर्ट में अपील करेंगे. यह पूरा मामला मामला डोरंडा कोषागार से 36 करोड़ 59 लाख रुपए की अवैध निकासी से जुड़ा हुआ है. इसमें बजट एवं लेखा पदाधिकारी के अलावा पशुपालन विभाग के पदाधिकारी, पशु चिकित्सक और आपूर्तिकर्ता सहित कुल 124 दोषियों की सजा की बिंदु पर सुनवाई हुई. सीबीआई की विशेष अदालत ने इनमें से 88 अभियुक्तों को दोषी पाया था.
35 दोषियों ने किया सरेंडर: सीबीआई के वकील रवि शंकर ने बताया कि सभी दोषियों पर फैसला सुना दिया गया है. शुक्रवार को 35 आरोपियों ने कोर्ट के समक्ष सरेंडर कर दिया है. जबकि एक दोषी अभी भी फरार है. उसने अब तक कोर्ट के समक्ष सरेंडर नहीं किया है.
एक करोड़ से 75 हजार तक लगा जुर्मना: सीबीआई के वकील रवि शंकर ने बताया कि सजा के साथ-साथ सभी दोषियों पर जुर्माना भी लगा दिया गया है. जुर्माना की राशि एक करोड़ से 75 हजार रूपये तक रखी गई है. पशुपालन विभाग के तत्कालीन जिला पदाधिकारी सह ड्राइंग डिस्पर्सिंग अधिकारी गौरी शंकर को एक करोड़ का जुर्माना लगाया गया है.
सजा पाने वाले कई दोषियों की उम्र 80 से अधिक: इस मामले में कई ऐसे दोषी हैं जिनकी उम्र 80 वर्ष से ज्यादा है. उन्हें भी सजा सुनाई गई है. फैसला आने के बाद सभी को प्रशासन के द्वारा फिलहाल जेल भेज दिया गया है.
वर्ष 1990-96 के बीच हुआ था घोटाला: वर्ष 1990 से 1996 के दौरान यह घोटाला किया गया था. उस वक्त बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव हुआ करते थे. चारा घोटाला मामले में सबसे ज्यादा आरोपियों की संख्या डोरंडा कोषागार अवैध निकासी मामले में ही थी. 1990 के दौरान बिहार और झारखंड एक हुआ करता था.