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जज पर लोहे की बांसुरी फेंकने वाले को 5 साल सजा - पांडे को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश

मुंबई की एक कोर्ट ने जज पर लोहे की बांसुरी (iron flute) फेंकने वाले को पांच साल की सजा सुनाई है, साथ ही जुर्माना भी लगाया है. मामला 2020 का है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण उसे सुनवाई के लिए पेश नहीं किया जा सका था.

डिंडोशी में मुंबई सत्र न्यायालय
डिंडोशी में मुंबई सत्र न्यायालय
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Published : Sep 14, 2021, 6:57 AM IST

मुंबई: डिंडोशी में मुंबई सत्र न्यायालय ने अदालत कक्ष के अंदर जज पर लोहे की बांसुरी फेंकने वाले व्यक्ति को 5 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. आरोपी ओंकारनाथ पांडे को सत्र न्यायाधीश पर लोहे की बांसुरी फेंकने का दोषी पाया था. हालांकि बांसुरी जज को लगने के बजाए स्टेनोग्राफर को लगी थी.

पांडे पर आपराधिक बल का प्रयोग करने और एक लोक सेवक को भारतीय दंड संहिता के तहत अपने कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाने का आरोप लगाया गया था.

उस पर ये भी आरोप है था कि वह वकीलों की वेशभूषा में कोर्ट परिसर में दाखिल हुआ. पांडे को शुरू में COVID महामारी के कारण अदालत में पेश नहीं किया गया था. आरोपी ने उसे जल्द से जल्द अदालत में पेश करने के लिए सत्र न्यायालय में आवेदन किया ताकि वह अपना दोष स्वीकार कर सके.

पांडे को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वाईके मोरे के सामने पेश किया गया. कोर्ट के सामने आरोपी पांडे ने कहा कि उसके छोटे भाई की हत्या हुई जिस कारण वह तनाव में था. उसने अदालत से अपील की कि उसे गलती का एहसास हो गया है, इसलिए सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए. सत्र न्यायालय ने हालांकि उसकी अपील को खारिज करते हुए सजा में ढील देने से इनकार कर दिया.

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि 'यदि किसी ऐसे अपराध के लिए उचित सजा नहीं दी जाती है, जो न केवल पीड़ित व्यक्ति के खिलाफ बल्कि उस समाज के खिलाफ भी किया गया है, जिससे अपराधी और पीड़ित हैं, तो अदालत अपने कर्तव्य में विफल हो जाएगी.'

अदालत ने कहा कि अपराध अदालत कक्ष में किया गया है इससे स्पष्ट होता है कि आरोपी का इरादा न्यायाधीश पर हमला कर उन्हें अनके कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकना था. पांडे को पांच साल कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसमें स्टेनोग्राफर को चोट पहुंचाने के लिए तीन साल शामिल थे. पांडे पर 6000 रुपये जुर्माना भी लगाया गया है, जिसमें से पांच हजार रुपये उस स्टेनोग्राफर को दिए जाएंगे जिसे चोट लगी थी.

जानिए क्या है पूरा मामला

यह घटना 2 जनवरी, 2020 को हुई थी. आरोप है कि सुबह करीब 11.15 बजे वकील का काला कोट पहनकार पांडे ने अदालत कक्ष 10 में प्रवेश किया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा. साथ ही जज की तरफ बांसुरी फेंकी जो स्टेनोग्राफर श्रेया विचारे की पीठ पर जा लगी, उन्हें मामूली चोटें आईं. कुरार पुलिस स्टेशन में इसकी प्राथमिकी दर्ज की गई और उसी दिन पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया. इस महीने की शुरुआत में मामला आरोप तय करने के लिए पोस्ट किया गया था. हालांकि, उसने जेल से अदालत को यह संदेश भेजा कि वह अपना दोष स्वीकार करना चाहता है.

पढ़ें- हाई कोर्ट के जज की गाड़ी पर फेंका गया जला इंजन ऑयल

4 सितंबर को पांडे को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया. उसने अपनी गलती मानी. जब कोई अभियुक्त अपना दोष स्वीकार करता है तो वह मुकदमे के अपने अधिकार को खो देता है. अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि पांडे ने एक लोक सेवक के रूप में कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए न्यायाधीश पर लोहे की बांसुरी फेंककर हमला किया था, इसलिए सजा देना जरूरी है.

मुंबई: डिंडोशी में मुंबई सत्र न्यायालय ने अदालत कक्ष के अंदर जज पर लोहे की बांसुरी फेंकने वाले व्यक्ति को 5 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. आरोपी ओंकारनाथ पांडे को सत्र न्यायाधीश पर लोहे की बांसुरी फेंकने का दोषी पाया था. हालांकि बांसुरी जज को लगने के बजाए स्टेनोग्राफर को लगी थी.

पांडे पर आपराधिक बल का प्रयोग करने और एक लोक सेवक को भारतीय दंड संहिता के तहत अपने कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाने का आरोप लगाया गया था.

उस पर ये भी आरोप है था कि वह वकीलों की वेशभूषा में कोर्ट परिसर में दाखिल हुआ. पांडे को शुरू में COVID महामारी के कारण अदालत में पेश नहीं किया गया था. आरोपी ने उसे जल्द से जल्द अदालत में पेश करने के लिए सत्र न्यायालय में आवेदन किया ताकि वह अपना दोष स्वीकार कर सके.

पांडे को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वाईके मोरे के सामने पेश किया गया. कोर्ट के सामने आरोपी पांडे ने कहा कि उसके छोटे भाई की हत्या हुई जिस कारण वह तनाव में था. उसने अदालत से अपील की कि उसे गलती का एहसास हो गया है, इसलिए सुधरने का मौका दिया जाना चाहिए. सत्र न्यायालय ने हालांकि उसकी अपील को खारिज करते हुए सजा में ढील देने से इनकार कर दिया.

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोर्ट ने कहा कि 'यदि किसी ऐसे अपराध के लिए उचित सजा नहीं दी जाती है, जो न केवल पीड़ित व्यक्ति के खिलाफ बल्कि उस समाज के खिलाफ भी किया गया है, जिससे अपराधी और पीड़ित हैं, तो अदालत अपने कर्तव्य में विफल हो जाएगी.'

अदालत ने कहा कि अपराध अदालत कक्ष में किया गया है इससे स्पष्ट होता है कि आरोपी का इरादा न्यायाधीश पर हमला कर उन्हें अनके कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकना था. पांडे को पांच साल कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी, जिसमें स्टेनोग्राफर को चोट पहुंचाने के लिए तीन साल शामिल थे. पांडे पर 6000 रुपये जुर्माना भी लगाया गया है, जिसमें से पांच हजार रुपये उस स्टेनोग्राफर को दिए जाएंगे जिसे चोट लगी थी.

जानिए क्या है पूरा मामला

यह घटना 2 जनवरी, 2020 को हुई थी. आरोप है कि सुबह करीब 11.15 बजे वकील का काला कोट पहनकार पांडे ने अदालत कक्ष 10 में प्रवेश किया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा. साथ ही जज की तरफ बांसुरी फेंकी जो स्टेनोग्राफर श्रेया विचारे की पीठ पर जा लगी, उन्हें मामूली चोटें आईं. कुरार पुलिस स्टेशन में इसकी प्राथमिकी दर्ज की गई और उसी दिन पांडे को गिरफ्तार कर लिया गया. इस महीने की शुरुआत में मामला आरोप तय करने के लिए पोस्ट किया गया था. हालांकि, उसने जेल से अदालत को यह संदेश भेजा कि वह अपना दोष स्वीकार करना चाहता है.

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4 सितंबर को पांडे को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश किया गया. उसने अपनी गलती मानी. जब कोई अभियुक्त अपना दोष स्वीकार करता है तो वह मुकदमे के अपने अधिकार को खो देता है. अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि पांडे ने एक लोक सेवक के रूप में कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए न्यायाधीश पर लोहे की बांसुरी फेंककर हमला किया था, इसलिए सजा देना जरूरी है.

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