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पीएसएलवी-सी-51 के जरिए छात्रों के बनाए पांच उपग्रह भी भेजे गए - पीएसएलवी

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से इसरो पीएसएलवी-सी 51 का प्रक्षेपण कर इतिहास रच दिया है. वहीं, खास बात ये है कि पीएसएलवी-सी-51 के जरिए छात्रों के बनाए पांच उपग्रह भी भेजे गए हैं.

पीएसएलवी-सी 51
पीएसएलवी-सी 51
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Published : Feb 28, 2021, 5:48 PM IST

Updated : Feb 28, 2021, 6:44 PM IST

बेंगलुरु : भारत के पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) सी-51 के जरिए ब्राजील के अमेजोनिया-1 और 18 अन्य उपग्रहों का रविवार को यहां श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया गया. इनमें से पांच उपग्रह छात्र निर्मित हैं.

इन छोटे उपग्रहों में चेन्नई स्थित स्पेस किड्ज इंडिया द्वारा निर्मित 'सतीश धवन सैटेलाइट (एसडीसैट) भी शामिल है जो कि तीन उपग्रहों यूनिटीसैट और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन उपग्रह 'सिंधुनेत्र' का संयोजन है.

तीन उपग्रहों (यूनिटीसैट) को जेप्पियार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, श्रीपेरम्बदूर (जेआईटीसैट), जी एच रायसोनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नागपुर (जीएचआरसीईसैट) और श्री शक्ति इंटीट्टयूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कोयम्बटूर (श्री शक्ति सैट) के बीच संयुक्त विकास के तहत डिजाइन एवं निर्मित किया गया है.

बेंगलुरु-मुख्यालय में इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि 'यूनिटीसैट का उद्देश्य रेडियो रिले सेवाएं प्रदान करना है.'

एसडीसैट एक नैनो उपग्रह है जिसका उद्देश्य विकिरण स्तर / अंतरिक्ष मौसम का अध्ययन करना और लंबी दूरी की संचार प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करना है.

सिंधुनेत्र को बेंगलुरु स्थित पीईएस विश्वविद्यालय के छात्रों ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत विकसित किया है. इसके लिए रिसर्च सेंटर इमरत द्वारा 2.2 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था.

पढ़ें- श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी 51 का सफल प्रक्षेपण, इसरो ने रचा इतिहास

एक अधिकारी ने कहा कि डीआरडीओ द्वारा यह परियोजना उपग्रह इमेजिंग के माध्यम से संदिग्ध जहाजों की पहचान करने में मदद करेगी.

बेंगलुरु : भारत के पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) सी-51 के जरिए ब्राजील के अमेजोनिया-1 और 18 अन्य उपग्रहों का रविवार को यहां श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया गया. इनमें से पांच उपग्रह छात्र निर्मित हैं.

इन छोटे उपग्रहों में चेन्नई स्थित स्पेस किड्ज इंडिया द्वारा निर्मित 'सतीश धवन सैटेलाइट (एसडीसैट) भी शामिल है जो कि तीन उपग्रहों यूनिटीसैट और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन उपग्रह 'सिंधुनेत्र' का संयोजन है.

तीन उपग्रहों (यूनिटीसैट) को जेप्पियार इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, श्रीपेरम्बदूर (जेआईटीसैट), जी एच रायसोनी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नागपुर (जीएचआरसीईसैट) और श्री शक्ति इंटीट्टयूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, कोयम्बटूर (श्री शक्ति सैट) के बीच संयुक्त विकास के तहत डिजाइन एवं निर्मित किया गया है.

बेंगलुरु-मुख्यालय में इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि 'यूनिटीसैट का उद्देश्य रेडियो रिले सेवाएं प्रदान करना है.'

एसडीसैट एक नैनो उपग्रह है जिसका उद्देश्य विकिरण स्तर / अंतरिक्ष मौसम का अध्ययन करना और लंबी दूरी की संचार प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करना है.

सिंधुनेत्र को बेंगलुरु स्थित पीईएस विश्वविद्यालय के छात्रों ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत विकसित किया है. इसके लिए रिसर्च सेंटर इमरत द्वारा 2.2 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था.

पढ़ें- श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी 51 का सफल प्रक्षेपण, इसरो ने रचा इतिहास

एक अधिकारी ने कहा कि डीआरडीओ द्वारा यह परियोजना उपग्रह इमेजिंग के माध्यम से संदिग्ध जहाजों की पहचान करने में मदद करेगी.

Last Updated : Feb 28, 2021, 6:44 PM IST
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