अमरोहा : उत्तराखंड त्रासदी में लापता उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के पांच मजदूर गुरुवार देर रात सुरक्षित घर लौट चुके हैं. घर पहुंचने के बाद उन्होंने आपबीती बताई. इन मजदूरों के घरों में खुशी का माहौल है.
उत्तराखंड के चमोली में पिछले दिनों ग्लेशियर टूटने से धौलीगंगा नदी में आई बाढ़ के बाद मची तबाही में कई लोग लापता हो गए. इनमें कई ऐसे मजदूर भी हैं, जो तपोवन में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के लिए काम कर रहे थे. नदी में आए जल-प्रलय में अमरोहा जनपद के पांच मजदूर लापता हो गए थे. बुधवार को इन मजदूरों को सुरक्षित बचा लिया गया. गुरुवार को ये मजदूर अपने गृह जनपद पहुंचे.
मजदूरों ने बताई आपबीती
ईटीवी भारत की टीम ने मजदूरों से उनकी आपबीती सुनी. मजूदरों ने बताया कि एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन लगातार पुल के दोनों हिस्सों को जोड़ने के लिए काम कर रहा था. उन्होंने कहा कि शहर तक पहुंचने में लगभग तीन दिन लग गया, जहां मोबाइल सेवा है. तीन दिन बाद घरवालों से संपर्क हुआ.
मजदूर सनी दत्त ने बताया कि संपर्क नहीं हो पाने पर इन लोगों को लापता घोषित कर दिया गया. संपर्क होने के बाद जब रानी गांव पहुंचे तो एनडीआरएफ, आईटीबीपी (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस) और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों से संपर्क हुआ. इसके बाद घर वालों से संपर्क किया, तब घर पहुंचे.
पढ़ें- उत्तराखंड ग्लेशियर आपदा : लापता कश्मीरी इंजीनियर का शव बरामद
टूट चुकी थी उम्मीद
परिजनों ने बताया कि पांचों युवकों सनी दत्त, महिपाल, राजवीर, कावेंद्र और रोहित के वापस लौटने पर घर में खुशी का माहौल है. उम्मीद नहीं थी कि वे घर लौटेंगे, क्योंकि बाढ़ में लापता हुए कई मजदूरों का अभी तक पता नहीं चल सका है.
'मुश्किल हो रहा परिवार का भरण-पोषण'
मजदूर कावेंद्र ने बताया कि तीन महीने पहले वे उत्तराखंड काम करने गए थे, लेकिन एक भी दिन का वेतन नहीं मिला है. इस आपदा के बाद भी उत्तराखंड सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने कोई मदद नहीं की है. परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल हो रहा है.