मुंबई: मुंबई के जामिया मस्जिद में फिश पेडीक्योर थेरेपी सुविधा है. दूर-दूर से लोग यहां इस थेरेपी का लाभ उठाने के लिए आते हैं. मस्जिद प्रशासन की ओर से इस सुविधा को लेकर कोई शुल्क नहीं वसूला जाता है. मस्जिद के साथ-साथ यह इस्लामी वास्तुकला से युक्त एक ऐतिहासिक इमारत है.
मस्जिद के प्रांगण में स्थित इस बड़े कुंड के पानी में ज्यादातर लोग पैर रखकर शांति से बैठते हैं और मुफ्त फिश पेडीक्योर थेरेपी का आनंद लेते हैं. जामिया मस्जिद के अध्यक्ष शोएब खतीब का कहना है कि इस मस्जिद के इस प्राकृतिक तालाब में अनगिनत छोटी मछलियां हैं. लोग अक्सर यहां मछली उपचार के लिए आते हैं लेकिन इसके लिए मस्जिद की ओर से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है.
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उन्होंने कहा कि मस्जिद के साथ-साथ यहां इस्लामी वास्तुकला से युक्त एक ऐतिहासिक इमारत है. इसे देखने के लिए काफी संख्या में लोग आते हैं और इस दौरान इस थेरेपी का भी लाभ उठाते हैं. यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि फिश पेडीक्योर थेरेपी के माध्यम से पैरों की क्षतिग्रस्त त्वचा को मछली खा जाती है या शरीर से अलग कर देती है, यह त्वचा को कोमल और सुंदर बनाती है. कहा जाता है कि इससे पैरों के दर्द में भी राहत मिलती है और ब्लड सर्कुलेशन भी बेहतर होता है. साथ ही कई बीमारियां भी दूर होती हैं. यह थेरेपी भारत, तुर्की, जापान, सिंगापुर, मलेशिया, इराक, ईरान, अमेरिका समेत कई देशों में लोकप्रिय है.