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इस शहर से प्रकाशित हुआ था पहला हिंदी कैलेंडर

नया साल आए और घर की दीवार पर नया कैलेंडर न दिखे, तो कुछ अधूरा सा लगता है. लेकिन क्या आपको पता है कि ज्योतिष दृष्टि से भारत का पहला हिंदी कैलेंडर किस शहर से प्रकाशित हुआ था. चलिए हम आपको बताते हैं कि किस शहर को मिला है कैलेंडर सिटी का दर्जा और कैसे निकला पहला हिंदी कैलेंडर...

पहला हिंदी कैलेंडर
पहला हिंदी कैलेंडर
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Published : Dec 31, 2020, 11:09 PM IST

जबलपुर : कला, साहित्य और नैसर्गिक सौंदर्य को अपने आंचल में समेटे मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर की एक और अलग पहचान है. विश्व का पहला हिंदी कैलेंडर प्रकाशित करने का गौरव भी इसी शहर को मिला है. वर्ष के पहले दिन से अंतिम दिन तक हर घर की मूलभूत आवश्यकता में शामिल हिंदी अंग्रेजी कैलेंडर का प्रकाशन इसी शहर से हुआ था. पहला कैलेंडर सन् 1934 में प्रकाशित हुआ था. यह ज्योतिष दृष्टि से भारत का पहला हिंदी कैलेंडर माना जाता है.

कैलेंडर का शहर जबलपुर

कैसे निकला हिंदी का पहला कैलेंडर
जबलपुर में लाला रामस्वरूप की एक छोटी सी दुकान थी. जिस पर किताबें और दूसरे सामान बिका करते थे. लालाजी ज्योतिष में अच्छा ज्ञान रखते थे, उस जमाने में अंग्रेजी में छपे हुए कैलेंडर चलन में थे, लेकिन इन कलैंडर में ज्योतिष ग्रह, नक्षत्र त्यौहार जैसी जानकारियां नहीं होती थीं. तब लाला रामस्वरूप ने एक अंग्रेजी कैलेंडर में तारीखों के नीचे हाथ से ही यह जानकारियां लिखना शुरू कीं. तो अंग्रेजी तारीख के हिसाब से लग्न मुहूर्त पूछने ज्यादा लोग आने लगे.

दूसरे साल लाला रामस्वरूप ने हाथ से लिखने की बजाय कुछ कैलेंडर छपवाए और अपने जानकारों को फ्री में बांट दिए. बस इसके बाद दूसरे साल से ही लाला रामस्वरूप के कैलेंडर की इतनी मांग आई कि लाला जी को बड़ी तादाद में कैलेंडर छपवाने पड़े. इसके बाद से ही यह सिलसिला शुरू हो गया.

लालाजी के पोते प्रहलाद अग्रवाल का कहना है कि भारत में जहां भी हिंदी बोली जाती है, वहां हमारा कैलेंडर पाया जाता है. यूं तो बहुत सारे कैलेंडर देशभर में छपते हैं, लेकिन जबलपुर के कैलेंडर पर लोगों का बड़ा भरोसा है.

ज्योतिषियों के साथ मिलकर करते हैं तैयारी
लालाजी खुद ज्योतिषी थे, लेकिन वह भी अपने जमाने में जबलपुर के मशहूर ज्योतिषी नाथूराम व्यास से मदद लिया करते थे. नाथूराम व्यास कई सालों से कैलेंडर बनाने का काम करते रहे हैं. अब यह काम उनके पुत्र ज्योतिषी पंडित नारायण व्यास करते हैं. उनका कहना है कि कैलेंडर में तिथि, लग्न मुहूर्त, ग्रह-नक्षत्रों की गणना बहुत कठिन काम है और इसको करने में बहुत समय लगता है.

पंडित नारायण व्यास का कहना है कि वह पूरे साल इस काम में लगे रहते हैं और रोज नई साल की गणना में कुछ न कुछ समय देते हैं. कैलेंडर की तैयारी ज्योतिष के साथ मिलकर करते हैं.

2021 में क्या कुछ है खास
2021 के कैलेंडर में शादी के इच्छुक लोगों के लिए कुछ अच्छी और कुछ बुरी खबर है. शुरुआत के तीन महीने तक एक भी शादी का मुहूर्त नहीं है. लेकिन अप्रैल में लगातार 10 दिनों तक शादियां है और मई के महीने में तो 19 तिथि ऐसी हैं, जिनमें लोग शादी कर सकते हैं.

2021 का कैलेंडर
2021 का कैलेंडर

रविवार और सरकारी छुट्टियों को मिला दिया जाए तो आने वाले साल में 72 दिनों की तो छुट्टियां ही है. इसके अलावा दूसरे अवकाश, ऐच्छिक अवकाश अलग हैं. इसके अलावा भी नए साल में कई महत्वपूर्ण त्योहार मसलन स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन रविवार को पड़ रहे हैं.

कैलेंडर में कोरोना से बचने की जानकारी
इस साल के कैलेंडर में कोरोना वायरस से लड़ने और उससे बचने के सुझाव दिए गए हैं. लाला रामस्वरूप ने समस्या में समाधान तलाशा और यही समाधान आज एक व्यापार के रूप में है. इससे न केवल लाला रामस्वरूप के परिवार को, बल्कि जबलपुर के बहुत सारे लोगों को भी रोजगार मिला हुआ है.

जबलपुर : कला, साहित्य और नैसर्गिक सौंदर्य को अपने आंचल में समेटे मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर की एक और अलग पहचान है. विश्व का पहला हिंदी कैलेंडर प्रकाशित करने का गौरव भी इसी शहर को मिला है. वर्ष के पहले दिन से अंतिम दिन तक हर घर की मूलभूत आवश्यकता में शामिल हिंदी अंग्रेजी कैलेंडर का प्रकाशन इसी शहर से हुआ था. पहला कैलेंडर सन् 1934 में प्रकाशित हुआ था. यह ज्योतिष दृष्टि से भारत का पहला हिंदी कैलेंडर माना जाता है.

कैलेंडर का शहर जबलपुर

कैसे निकला हिंदी का पहला कैलेंडर
जबलपुर में लाला रामस्वरूप की एक छोटी सी दुकान थी. जिस पर किताबें और दूसरे सामान बिका करते थे. लालाजी ज्योतिष में अच्छा ज्ञान रखते थे, उस जमाने में अंग्रेजी में छपे हुए कैलेंडर चलन में थे, लेकिन इन कलैंडर में ज्योतिष ग्रह, नक्षत्र त्यौहार जैसी जानकारियां नहीं होती थीं. तब लाला रामस्वरूप ने एक अंग्रेजी कैलेंडर में तारीखों के नीचे हाथ से ही यह जानकारियां लिखना शुरू कीं. तो अंग्रेजी तारीख के हिसाब से लग्न मुहूर्त पूछने ज्यादा लोग आने लगे.

दूसरे साल लाला रामस्वरूप ने हाथ से लिखने की बजाय कुछ कैलेंडर छपवाए और अपने जानकारों को फ्री में बांट दिए. बस इसके बाद दूसरे साल से ही लाला रामस्वरूप के कैलेंडर की इतनी मांग आई कि लाला जी को बड़ी तादाद में कैलेंडर छपवाने पड़े. इसके बाद से ही यह सिलसिला शुरू हो गया.

लालाजी के पोते प्रहलाद अग्रवाल का कहना है कि भारत में जहां भी हिंदी बोली जाती है, वहां हमारा कैलेंडर पाया जाता है. यूं तो बहुत सारे कैलेंडर देशभर में छपते हैं, लेकिन जबलपुर के कैलेंडर पर लोगों का बड़ा भरोसा है.

ज्योतिषियों के साथ मिलकर करते हैं तैयारी
लालाजी खुद ज्योतिषी थे, लेकिन वह भी अपने जमाने में जबलपुर के मशहूर ज्योतिषी नाथूराम व्यास से मदद लिया करते थे. नाथूराम व्यास कई सालों से कैलेंडर बनाने का काम करते रहे हैं. अब यह काम उनके पुत्र ज्योतिषी पंडित नारायण व्यास करते हैं. उनका कहना है कि कैलेंडर में तिथि, लग्न मुहूर्त, ग्रह-नक्षत्रों की गणना बहुत कठिन काम है और इसको करने में बहुत समय लगता है.

पंडित नारायण व्यास का कहना है कि वह पूरे साल इस काम में लगे रहते हैं और रोज नई साल की गणना में कुछ न कुछ समय देते हैं. कैलेंडर की तैयारी ज्योतिष के साथ मिलकर करते हैं.

2021 में क्या कुछ है खास
2021 के कैलेंडर में शादी के इच्छुक लोगों के लिए कुछ अच्छी और कुछ बुरी खबर है. शुरुआत के तीन महीने तक एक भी शादी का मुहूर्त नहीं है. लेकिन अप्रैल में लगातार 10 दिनों तक शादियां है और मई के महीने में तो 19 तिथि ऐसी हैं, जिनमें लोग शादी कर सकते हैं.

2021 का कैलेंडर
2021 का कैलेंडर

रविवार और सरकारी छुट्टियों को मिला दिया जाए तो आने वाले साल में 72 दिनों की तो छुट्टियां ही है. इसके अलावा दूसरे अवकाश, ऐच्छिक अवकाश अलग हैं. इसके अलावा भी नए साल में कई महत्वपूर्ण त्योहार मसलन स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन रविवार को पड़ रहे हैं.

कैलेंडर में कोरोना से बचने की जानकारी
इस साल के कैलेंडर में कोरोना वायरस से लड़ने और उससे बचने के सुझाव दिए गए हैं. लाला रामस्वरूप ने समस्या में समाधान तलाशा और यही समाधान आज एक व्यापार के रूप में है. इससे न केवल लाला रामस्वरूप के परिवार को, बल्कि जबलपुर के बहुत सारे लोगों को भी रोजगार मिला हुआ है.

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