तिरुनेलवेली: तमिलनाडु में पहली बार स्नातक युवा द्वारा तिरुनेलवेली जिले में गधा फार्म शुरू किया गया है. 14 मई को फार्म का उद्घाटन जिला कलेक्टर विष्णु ने किया. भारत में गधा एक विलुप्त होने वाला जानवर बन गया है. पिछले दस वर्षों में लगभग 62% गधों की मृत्यु विभिन्न कारणों से हुई है.
अब भारत में कहा जाता है कि 1 लाख 40 हजार गधे जीवित हैं और तमिलनाडु में केवल एक हजार 428 गधे जीवित हैं. पशु रक्षकों का कहना है कि रिपोर्ट के अनुसार स्थिति बहुत गंभीर है. भारत में तीन प्रकार के गधे पाये जाते हैं. एक हैं मूल तमिल नाडु के गधे बाकी हैं महाराष्ट्र काठियावाड़ी गधे और गुजरात हलारी गधे.
इस बीच नेल्लई जिले के स्नातक बाबू ने सौ गधों से इसकी शुरूआत की है. गधों के दूध को बिक्री के लिए बैंगलोर भेजा जाता है. बंगलौर में गधों के दूध का उपयोग सौंदर्य प्रसाधना, साबुन, चेहरे के उत्पाद और कई अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए किया जाता है. इसे पूरे भारत और विदेशों में भी बिक्री के लिए भेजा जाता है. गधे के दूध में दुर्लभ औषधीय गुण पाये जाते हैं. यहां तक कहा जाता है कि इसमें मां के दूध के बराबर पोषण होता है.
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इसलिए दुनिया भर में गधों के दूध की मांग हमेशा से रही है. बच्चों के ठीक से पढ़ाई नहीं करने पर या किसी अन्य तरह की मूर्खता करने पर उन्हें गधे की दुहाई देकर डांटा जाता है. लेकिन गधे आज कल मोटी कमाई का जरिया बन गये हैं.थुलुकापट्टी गांव में अपना खेत शुरू करने वाले स्नातक नौजवान बाबू कहते हैं कि वह गधों को पालकर अच्छा लाभ कमाते हैं. जिला कलेक्टर विष्णु का कहना है कि एक लीटर गधी का दूध लगभग 7,000 रुपये प्रति लीटर में बिकता है. इससे देश भर में गधों के पालन का विकास हो सकता है.