चेन्नई : तमिलनाडु के कोयंबटूर में अन्नाद्रमुक के 10 विधायकों, 187 अज्ञात कार्यकर्ताओं और तीन पूर्व विधायकों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. मंगलवार को पूर्व मंत्री व अन्नाद्रमुक नेता एसपी वेलुमणि के आवास पर सतर्कता एवं भ्रष्टाचार-रोधी निदेशालय की छापेमारी के दौरान इस नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किया था.
बताया जा रहा है कि वेलुमणि के खिलाफ भ्रष्टाचार मामले में छापेमारी के दौरान अन्नाद्रमुक के सैकड़ों नेता व कार्यकर्ता उनके आवास के बाहर जमा हो गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. आरोप है कि इन्होंने सतर्कता अधिकारियों के कार्य में व्यवधान पैदा करने की कोशिश की.
सतर्कता और भ्रष्टाचार-रोधी निदेशालय ने कथित तौर पर अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग कर निविदाएं आवंटित करने को लेकर पूर्व मंत्री एसपी वेलुमणि के खिलाफ मंगलवार को एक मामला दर्ज किया था. इसके बाद भ्रष्टाचार-रोधी एजेंसी ने पूरे तमिलनाडु में 60 परिसरों की तलाशी ली और 13.08 लाख रुपये नकद और संदिग्ध दस्तावेज जब्त किए. इनमें कोयंबटूर में 42, चेन्नई में 16 और कांचीपुरम तथा डिंडीगुल में एक-एक स्थान शामिल हैं.
वेलुमणि, मई में द्रमुक की सरकार बनने के बाद कार्रवाई का सामना करने वाले अन्नाद्रमुक के दूसरे नेता हैं. एजेंसी ने अन्नाद्रमुक नेता वेलुमणि से पूछताछ की, जबकि मुख्य विपक्षी दल ने कार्रवाई की निंदा की है.
पिछले महीने, अन्नाद्रमुक के एक अन्य नेता और करूर के रहने वाले पूर्व मंत्री एम आर विजयभास्कर के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई की गई थी.
राज्य की भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी ने कहा कि पूर्व नगर निकाय प्रशासन मंत्री वेलुमणि के खिलाफ याचिकाओं के बाद उसने प्रारंभिक जांच की और एक रिपोर्ट सरकार को भेजी गई और उसकी एक प्रति मद्रास उच्च न्यायालय में जमा की गई.
एजेंसी के अनुसार, आरोपों की जांच के बाद वेलुमणि और 16 अन्य के खिलाफ साजिश व धोखाधड़ी समेत आईपीसी की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया.
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अन्नाद्रमुक ने कहा कि वह अपने नेताओं के खिलाफ कानूनी और राजनीतिक रूप से झूठे मामलों का सामना करने के लिए हमेशा तैयार है. पार्टी ने कहा कि लोगों के कल्याण के उद्देश्य से काम पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, वेलुमणि के खिलाफ निदेशालय की कार्रवाई ने यह संदेह पैदा किया है कि द्रमुक सरकार प्रतिशोध गतिविधियों पर ध्यान दे रही है, जिसे देखकर दुख हो रहा है.
प्राथमिकी के अनुसार, अपने पद का दुरुपयोग करते हुए, पूर्व मंत्री ने कोयंबटूर नगर निगम में अपने रिश्तेदारों के स्वामित्व वाली कंपनियों को 346.81 करोड़ रुपये की परियोजनाएं आवंटित की थीं और 2014-18 के दौरान ग्रेटर चेन्नई निगम में 464.02 करोड़ रुपये के कार्यों का आवंटन किया था.
(एजेंसी इनपुट)