लखनऊ : राजधानी लखनऊ एक ओर जहां अपनी पुरानी धरोहर और नवाबी खानपान और रहन-सहन के लिए मशहूर है. वहीं लखनऊ अब बॉलीवुड की पहली पसंद बनता जा रहा है. मौजूदा समय में लखनऊ में साल भर में औसतन 10 से 15 फिल्मों की शूटिंग हो रही है. दूसरी ओर 50 से अधिक वेब सीरीज इस साल भर में सूट किए जा रहे हैं. लखनऊ में फिल्मों की शूटिंग की बढ़ती संख्याओं को देख कर आप यह कह सकते हैं कि लखनऊ बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग का हब बन गया है. उत्तर प्रदेश में दूसरे शहरों की तुलना में सबसे अधिक फिल्में व वेब सीरीज राजधानी लखनऊ में ही शूट हो रही हैं. लखनऊ के विभिन्न लोकेशन में शूटिंग को लेकर बॉलीवुड सा दिखा रहा है. राजधानी लखनऊ के विभिन्न लोकेशंस की रेट को लेकर लाइन प्रोड्यूसर्स काफी परेशान हैं. उनका कहना है कि लखनऊ की पुरानी विरासतों में शूटिंग करना आसान है. लखनऊ के नए लोकेशन को किराए पर लेकर शूट करना काफी महंगा साबित हो रहा है. खासतौर पर गोमती नगर में बने मार्ग व उससे जुड़े रोड पर शूटिंग करना काफी महंगा साबित हो रहा है.
![लखनऊ में हुई फिल्म की शूटिंग का एक दृश्य. फाइल फोटो](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18764269_shyspl2.jpg)
![लखनऊ में हुई फिल्म की शूटिंग.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18764269_shyspl1.jpg)
नए लखनऊ की सभी लोकेशन की कीमतें ज्यादा
लाइन प्रोड्यूसर सुधांशु सावंत बताते हैं कि बीते कुछ समय में लखनऊ में फिल्मों की शूटिंग काफी तेजी से बढ़ा है. महीने में औसतन एक दर्जन से अधिक फिल्में व वेब सीरीज छूट होती हैं. अगर बात की जाए पुराने लखनऊ ऐतिहासिक इमारतों व धरोहरों की तो नए लखनऊ के तुलना में वह काफी सस्ते हैं. भारतीय पुरातत्व विभाग कुछ साल पहले अपने अधीन आने वाले ऐतिहासिक धरोहरों में शूटिंग करने के लिए पांच हजार रुपये किराया लेता था. इसके अलावा 10 हजार रुपये सिक्योरिटी मनी जमा होती थी, लेकिन अब उसे बढ़ाकर 50 हजार रुपये किराया व 10 हजार रुपये सिक्योरिटी मनी कर दिया गया है. जबकि नए लखनऊ की बात करें तो डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, गोमती पार्क स्थित (म्यूजिकल फाउंटेन), गोमती विहार खंड 1, 2, 3 व 12 मूर्तियों वाला क्षेत्र इन सभी जगहों पर 6 घंटे की शूटिंग के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण को एक लाख रुपये देने होते हैं. 24 घंटे के लिए अधिकतम ढाई लाख रुपये की सीमा तय की गई है. सुधांशु सावन ने बताया कि जहांगीराबाद पैलेस, रूमी गेट, सतखंडा, छतर मंजिल जैसी इमारतों में शूटिंग करने के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग को 50 हजार रुपये ही देने होते हैं. डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल के अंतर्गत आने वाले 107 एकड़ के क्षेत्र में अगर शूटिंग करना है तो पूरे दिन के लिए चार लाख 50 हजार रुपये किराया देना होता है. मान्यवर श्री कांशीराम जी ग्रीन इको गार्डन के 112 एकड़ के एरिया में शूटिंग करने के लिए एक दिन का किराया पांच लाख 55 हजार रुपये भुगतान करने पड़ते हैं.
![लखनऊ में हुई फिल्म की शूटिंग का एक दृश्य. फाइल फोटो](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18764269_shyspl6.jpg)
![लखनऊ में हुई फिल्म की शूटिंग का एक दृश्य. फाइल फोटो](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18764269_shyspl3.jpg)
सड़क पर शूटिंग करने का किराया स्मारक में शूटिंग करने से ज्यादा
सुधांशु सावंत ने बताया कि सड़कों की बात करें तो लखनऊ में जितने भी स्मारक हैं. उनकी तुलना में यहां की सड़कें ज्यादा महंगी हैं. एलडीए के रेट के मुताबिक समता-मूलक चौक से परिवर्तन स्थल को जाने वाले मार्ग के लिए 6 घंटे के लिए एक लाख रुपये व 24 घंटे के लिए दो लाख रुपये देने होते हैं. प्रतीक स्थल से पुलिस चौकी को जाने वाले मरीन ड्राइव ऊपर वाली रोड के लिए एक लाख रुपये छह घंटे के लिए व दो लाख रुपये पूरे दिन के लिए किराया तय है. इतना ही नहीं प्री वेडिंग शूट के लिए समतामूलक चौक से प्रतीक स्थल की ओर जाने वाले मार्ग (गोमती रिवरफ्रंट का ऊपरी क्षेत्र) अगर शूटिंग करते हैं तो 10 हजार रुपये, 12 मूर्तियों वाले भागीदारी रोड के लिए 10 हजार रुपये तक देने पड़ रहे हैं.
![लखनऊ में हुई फिल्म की शूटिंग का एक दृश्य. फाइल फोटो](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/18764269_shyspl5.jpg)
रेट कम हों तो और भी सूटिंग्स के मौके बढ़ें
लाइन प्रोड्यूसर हैदर का कहना है कि जब से सरकार ने उत्तर प्रदेश में फिल्मों को बढ़ावा दिया है. तब से यूपी के लोकेशंस की डिमांड काफी बढ़ गई है. खासतौर पर लखनऊ में फिल्मों की शूटिंग का ग्राफ बहुत तेजी से बढ़ा है. नया लखनऊ पुराने लखनऊ की तुलना में काफी महंगा है. सरकार को इसके रेट पर विचार करना चाहिए. उन्होंने कहा कि बड़ी बजट की फिल्में या वेब सीरीज तो शूटिंग के लिए पैसा दे देती हैं. पर कई छोटे बजट की वेब सीरीज व फिल्म हैं जो इतना किराया वहन नहीं कर सकतीं. ऐसे में उन्हें लखनऊ में अपनी फिल्म शूट करने की मंशा को त्यागना पड़ता है. सुधांशु सावंत व हैदर ने बताया कि बॉलीवुड सहित दूसरी भाषाओं की फिल्मों में भी लखनऊ की डिमांड बढ़ी है. पर रेट अधिक होने के कारण कई बार प्रोडक्शन हाउस यहां आने से मना कर देते हैं और वह सस्ते लोकेशन की तरफ चली जाते हैं.
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