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सरकार बदलने पर राजद्रोह के मामले दायर करना 'परेशान करने वाली प्रवृत्ति', पुलिस भी जिम्मेदार :SC

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Published : Aug 26, 2021, 4:49 PM IST

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सरकार बदलने पर राजद्रोह के मामले दायर करना एक 'परेशान करने वाली प्रवृत्ति' (Very disturbing trend) है. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने यह टिप्पणी एक आईपीएस अधिकारी को गिरफ्तारी से संरक्षण (protection from arrest to suspended ADG rank officer) प्रदान करते हुए की.

cjiramana
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नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ के एक निलंबित आईपीएस अधिकारी (senior ADG rank officer sedition law) को सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया है. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने राज्य पुलिस को इन मामलों में अपने निलंबित वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल को गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया है. पीठ ने सिंह को जांच में एजेंसियों के साथ सहयोग करने के भी निर्देश दिए.

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार बदलने पर राजद्रोह के मामले दायर करना एक 'परेशान करने वाली प्रवृत्ति' है. अधिकारी के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार ने राजद्रोह और आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के दो आपराधिक मामले दर्ज कराए थे.

पीठ ने कहा, 'देश में यह बहुत परेशान करने वाली प्रवृत्ति है और पुलिस विभाग भी इसके लिए जिम्मेदार है...जब कोई राजनीतिक पार्टी सत्ता में होती है तो पुलिस अधिकारी उस (सत्तारूढ़) पार्टी का पक्ष लेते हैं. फिर जब कोई दूसरी नयी पार्टी सत्ता में आती है तो सरकार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करती है. इसे रोकने की आवश्यकता है.'

उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार को चार हफ्तों के भीतर दो अलग-अलग याचिकाओं पर जवाब देने का भी निर्देश दिया और इस दौरान पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. निलंबित पुलिस अधिकारी की ओर से वरिष्ठ वकील एफ एस नरीमन और विकास सिंह पेश हुए और राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी तथा राकेश द्विवेदी पेश हुए.

यह भी पढ़ें- Unitech Case : ईडी ने कहा, तिहाड़ जेल से संचालन कर रहे प्रोमोटर्स चंद्रा, गुप्त कार्यालय का लगा पता

कांग्रेस के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने सिंह के खिलाफ राजद्रोह और आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के संबंध में दो मामले दर्ज कराए.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ के एक निलंबित आईपीएस अधिकारी (senior ADG rank officer sedition law) को सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया है. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने राज्य पुलिस को इन मामलों में अपने निलंबित वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल को गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया है. पीठ ने सिंह को जांच में एजेंसियों के साथ सहयोग करने के भी निर्देश दिए.

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी गुरजिंदर पाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सरकार बदलने पर राजद्रोह के मामले दायर करना एक 'परेशान करने वाली प्रवृत्ति' है. अधिकारी के खिलाफ छत्तीसगढ़ सरकार ने राजद्रोह और आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के दो आपराधिक मामले दर्ज कराए थे.

पीठ ने कहा, 'देश में यह बहुत परेशान करने वाली प्रवृत्ति है और पुलिस विभाग भी इसके लिए जिम्मेदार है...जब कोई राजनीतिक पार्टी सत्ता में होती है तो पुलिस अधिकारी उस (सत्तारूढ़) पार्टी का पक्ष लेते हैं. फिर जब कोई दूसरी नयी पार्टी सत्ता में आती है तो सरकार पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करती है. इसे रोकने की आवश्यकता है.'

उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकार को चार हफ्तों के भीतर दो अलग-अलग याचिकाओं पर जवाब देने का भी निर्देश दिया और इस दौरान पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. निलंबित पुलिस अधिकारी की ओर से वरिष्ठ वकील एफ एस नरीमन और विकास सिंह पेश हुए और राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी तथा राकेश द्विवेदी पेश हुए.

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कांग्रेस के नेतृत्व वाली छत्तीसगढ़ सरकार ने सिंह के खिलाफ राजद्रोह और आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के संबंध में दो मामले दर्ज कराए.

(पीटीआई-भाषा)

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