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उत्तराखंड में 50% कोविड मरीजों की मौत अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे के अंदर : ऑडिट कमेटी

कोविड डेथ ऑडिट कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर हेमचंद्र के मुताबिक उत्तराखंड में कोरोना से करीब 50 फीसदी लोगों की मौत अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर हो गई. वजह जानने के लिए पढ़िये पूरी ख़बर

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Published : May 13, 2021, 5:05 PM IST

Updated : May 14, 2021, 11:50 AM IST

कोरोना का कहर
कोरोना का कहर

हैदराबाद: उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार लगातार बढ़ रही है और कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा भी डरा रहा है. प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की दर राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा पहुंच चुकी है. लेकिन इससे भी ज्यादा डराने वाली बात ये है कि कोरोना से होने वाली करीब 50 फीसदी मौतें अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर हुई हैं.

कोविड डेथ ऑडिट कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर हेमचंद्र के मुताबिक उत्तराखंड में करीब 50 फीसदी कोविड मरीजों की मौत अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर हो गई.

प्रोफेसर हेमचंद्र के मुताबिक
प्रोफेसर हेमचंद्र के मुताबिक

क्या है वजह

प्रो. हेमचंद्र के मुताबिक इन लोगों ने कोरोना संक्रमण के शुरुआती चार से पांच दिनों के लक्षणों की अनदेखी की या उसका ठीक से इलाज नहीं करवाया और जब तक वो अस्पताल पहुंचे तब तक बहुत देर हो चुकी थी. अस्पताल में भर्ती करने में होने वाली देरी भी एक मुख्य वजह है. शुरुआती लक्षणों की अनदेखी और फिर अस्पताल में भर्ती में हुई देरी के कारण करीब 50 फीसदी लोगों की मौत अस्पताल में भर्ती करने के 48 घंटे के भीतर हुई है.

प्रो. हेमचंद्र, अध्यक्ष, कोविड डेथ ऑडिट कमेटी

क्या कहते हैं कमेटी के अध्यक्ष

दरअसल राज्य सरकार ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों को लेकर एक कमेटी का गठन किया है जो कि राज्य में मरीजों की मौत को लेकर विश्लेषण करती है. इस कमेटी ने पाया है कि प्रदेश में मरने वाले मरीजों में 50% मरीज ऐसे हैं जो अस्पताल पहुंचने के 48 घंटों में ही अपनी जान गंवा रहे हैं. ये वो मरीज हैं जो कोरोना संक्रमित होने के कुछ दिन बाद अस्पताल पहुंच रहे हैं. पता चला है कि कई लोग संक्रमण की जानकारियां छुपा रहे हैं या फिर कोरोना की जांच कराने से बचते रहे हैं. कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर हेमचंद्र ने बताया कि आम लोगों की गलती के कारण यह समस्याएं बढ़ रही हैं और कई लोग लापरवाही या जानकारी छुपाने के चलते देरी से अस्पताल पहुंच रहे हैं और ऐसे मरीज अस्पताल पहुंचने के 24 से 48 घंटे के बीच अपनी जान गंवा देते हैं.

उत्तराखंड में कोरोना के मामले

उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार सरकार के साथ-साथ लोगों के लिए चिंता का विषय है. बीते 7 मई को प्रदेश में अब तक के सर्वाधिक 9 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए थे. कोविड से मरने वालों का आंकड़ा भी रोज बढ़ रहा है. प्रदेश में कोरोना की मृत्यु दर 1.56% पहुंच गई, जो राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा है. 7 मई के बाद रोजाना आने वाले कोरोना के नए मामलों में थोड़ी कमी जरूर आई है लेकिन छोटे पहाड़ी राज्य में रोजाना औसतन छह से सात हजार मामले आना और रोजाना औसतन 100 से ज्यादा लोगों की मौत चिंता का विषय है.

13 मई को प्रदेश में 122 लोगों की मौत हुई है, सैंपल पॉजिटिविटी रेट भी 6.51% हो गया है. राज्य में अब तक 4245 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें अकेले देहरादून में ही 2316 मरीज अपनी जान गवा चुके हैं. गुरुवार तक के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में कोरोना के 77,082 एक्टिव केस हैं जबकि प्रदेश में कोरोना 4,123 लोगों की जान ले चुका है. प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या 2,64,683 है, जिनमें से 1,83,478 लोग ठीक हो चुके हैं.

ये भी पढ़ें: सावधान ! बिना लक्षण के भी जानलेवा है कोरोना, कर्नाटक में 5 दिन में 790 की मौत

हैदराबाद: उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार लगातार बढ़ रही है और कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा भी डरा रहा है. प्रदेश में कोरोना से मरने वालों की दर राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा पहुंच चुकी है. लेकिन इससे भी ज्यादा डराने वाली बात ये है कि कोरोना से होने वाली करीब 50 फीसदी मौतें अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर हुई हैं.

कोविड डेथ ऑडिट कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर हेमचंद्र के मुताबिक उत्तराखंड में करीब 50 फीसदी कोविड मरीजों की मौत अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर हो गई.

प्रोफेसर हेमचंद्र के मुताबिक
प्रोफेसर हेमचंद्र के मुताबिक

क्या है वजह

प्रो. हेमचंद्र के मुताबिक इन लोगों ने कोरोना संक्रमण के शुरुआती चार से पांच दिनों के लक्षणों की अनदेखी की या उसका ठीक से इलाज नहीं करवाया और जब तक वो अस्पताल पहुंचे तब तक बहुत देर हो चुकी थी. अस्पताल में भर्ती करने में होने वाली देरी भी एक मुख्य वजह है. शुरुआती लक्षणों की अनदेखी और फिर अस्पताल में भर्ती में हुई देरी के कारण करीब 50 फीसदी लोगों की मौत अस्पताल में भर्ती करने के 48 घंटे के भीतर हुई है.

प्रो. हेमचंद्र, अध्यक्ष, कोविड डेथ ऑडिट कमेटी

क्या कहते हैं कमेटी के अध्यक्ष

दरअसल राज्य सरकार ने प्रदेश में कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों को लेकर एक कमेटी का गठन किया है जो कि राज्य में मरीजों की मौत को लेकर विश्लेषण करती है. इस कमेटी ने पाया है कि प्रदेश में मरने वाले मरीजों में 50% मरीज ऐसे हैं जो अस्पताल पहुंचने के 48 घंटों में ही अपनी जान गंवा रहे हैं. ये वो मरीज हैं जो कोरोना संक्रमित होने के कुछ दिन बाद अस्पताल पहुंच रहे हैं. पता चला है कि कई लोग संक्रमण की जानकारियां छुपा रहे हैं या फिर कोरोना की जांच कराने से बचते रहे हैं. कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर हेमचंद्र ने बताया कि आम लोगों की गलती के कारण यह समस्याएं बढ़ रही हैं और कई लोग लापरवाही या जानकारी छुपाने के चलते देरी से अस्पताल पहुंच रहे हैं और ऐसे मरीज अस्पताल पहुंचने के 24 से 48 घंटे के बीच अपनी जान गंवा देते हैं.

उत्तराखंड में कोरोना के मामले

उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की रफ्तार सरकार के साथ-साथ लोगों के लिए चिंता का विषय है. बीते 7 मई को प्रदेश में अब तक के सर्वाधिक 9 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए थे. कोविड से मरने वालों का आंकड़ा भी रोज बढ़ रहा है. प्रदेश में कोरोना की मृत्यु दर 1.56% पहुंच गई, जो राष्ट्रीय स्तर से ज्यादा है. 7 मई के बाद रोजाना आने वाले कोरोना के नए मामलों में थोड़ी कमी जरूर आई है लेकिन छोटे पहाड़ी राज्य में रोजाना औसतन छह से सात हजार मामले आना और रोजाना औसतन 100 से ज्यादा लोगों की मौत चिंता का विषय है.

13 मई को प्रदेश में 122 लोगों की मौत हुई है, सैंपल पॉजिटिविटी रेट भी 6.51% हो गया है. राज्य में अब तक 4245 लोगों की मौत हो चुकी है जिसमें अकेले देहरादून में ही 2316 मरीज अपनी जान गवा चुके हैं. गुरुवार तक के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में कोरोना के 77,082 एक्टिव केस हैं जबकि प्रदेश में कोरोना 4,123 लोगों की जान ले चुका है. प्रदेश में कुल संक्रमितों की संख्या 2,64,683 है, जिनमें से 1,83,478 लोग ठीक हो चुके हैं.

ये भी पढ़ें: सावधान ! बिना लक्षण के भी जानलेवा है कोरोना, कर्नाटक में 5 दिन में 790 की मौत

Last Updated : May 14, 2021, 11:50 AM IST
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