सीधी : मनरेगा के नाम पर पैसों के बंदरबांट का मामला सीधी जिले के कुसमी ब्लॉक से सामने आया है. यहां कुछ मजदूरों को 50 पैसे प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी का भुगतान किया गया है. कई ऐसे मजदूर हैं, जिन्हें 6 दिन काम करने के एवज में 3 रुपए का भुगतान किया गया है. जबकि उसी लिस्ट में कई मजदूर ऐसे भी हैं, जिन्हें 120 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 6 दिन का 720 रुपए का भुगतान किया गया है.
6 दिन की मजदूरी 3 रुपए
सीधी जिले के आदिवासी बहुल क्षेत्र कुसमी के कतरवार ग्राम पंचायत के अंतर्गत कूप निर्माण कार्य किया जा रहा था. यहां 12 मजदूरों को 120 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 6 दिनों के पैसों का भुगतान किया गया. लेकिन यहीं पर 8 मजदूर ऐसे हैं, जिन्हें 50 पैसा प्रतिदिन के हिसाब से 6 दिन की मजदूरी का भुगतान किया गया है. इन 8 मजदूरों को कुल 3 रुपए का भुगतान किया गया है.
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
इसके पहले भी कुसुमी जनपद क्षेत्र के भदौरा ग्राम पंचायत में 29 श्रमिकों को एक रुपये की दर से मजदूरी भुगतान का मामला सामने आ चुका है. मनरेगा योजना के तहत सीधी, सिहावल, मझौली और रामपुर नैकिन जनपद क्षेत्र में तो खुलेआम श्रमिकों के हकों में डाका डालकर मशीनों से काम किया जा रहा है. ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी प्रशासनिक अधिकारी कोई कार्रवाई करने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं.
जिला पंचायत CEO पर लगा आरोप
जिले में मनरेगा योजना के तहत सरकारी कागजों में 20 हजार से ज्यादा श्रमिकों को प्रति दिन रोजगार देने का दावा किया जा रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि मजदूरों की जगह मशीनों से काम लिया जा रहा है. इस मामले में जिला पंचायत के सदस्य मौजूदा जिला पंचायत सीईओ पर ही आरोप लगा रहे हैं. वहीं पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री व विधायक कमलेश्वर पटेल ने भी जिला पंचायत के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं.
कुसमी जनपद सीईओ को सौंपी जांच
इस मामले में जिला पंचायत सीईओ आरके शुक्ला का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि गलती से या किसी छेड़छाड़ की वजह से यह हुआ है. इस मामले में कुसमी जनपद सीईओ को जांच सौंप दी गई है.
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