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भारत में 2050 तक पांच गुना बढ़ जाएंगी माल परिवहन गतिविधियां : रिपोर्ट - improved air quality

नीति आयोग, आरएमआई और आरएमआई इंडिया द्वारा जारी 'ए रोड मैप फॉर क्लीन एंड कोस्ट इफेक्टिव गुड्स ट्रांस्पोर्ट 'नामक एक रिपोर्ट ने भारत की माल परिवहन (goods transport) गतिविधि के 2050 तक पांच गुना होने की आशंका जताई है.

फास्ट ट्रैकिंग फ्रेट
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Published : Jun 20, 2021, 3:58 PM IST

Updated : Jun 20, 2021, 4:16 PM IST

हैदराबाद : नीति आयोग, आरएमआई और आरएमआई इंडिया द्वारा जारी 'ए रोड मैप फॉर क्लीन एंड कोस्ट इफेक्टिव गुड्स ट्रांस्पोर्ट 'नामक एक रिपोर्ट ने भारत की माल परिवहन (goods transport ) गतिविधि के 2050 तक पांच गुना होने की आशंका जताई है. यह रिपोर्ट भारत के लिए अपनी लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है.

रिपोर्ट के मुताबिक रसद क्षेत्र (logistics sector) में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) के पांच प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है और 2.2 करोड़ लोगों को रोजगार देता है. भारत हर साल 4.6 अरब टन माल हैंडल करता है, जिसकी कुल वार्षिक लागत 9.5 लाख करोड़ रुपये है.

ये सामान विभिन्न प्रकार के घरेलू उद्योगों (domestic industries) और उत्पादों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसमें 22 प्रतिशत कृषि सामान (agricultural goods), 39 प्रतिशत खनन उत्पाद , और 39 प्रतिशत विनिर्माण-संबंधित वस्तुएं शामिल हैं.रिपोर्ट के मुताबिक ट्रक और अन्य वाहन इन सामानों की अधिकांश आवाजाही को संभालते हैं. बाकी सामान भेजने की जिम्मेदारी रेलवे, तटीय और अंतर्देशीय जलमार्ग, पाइपलाइन और वायुमार्ग की है.

माल परिवहन गतिविधियां
माल परिवहन गतिविधियां

भारत के रसद क्षेत्र में 10,000 से अधिक प्रकार के उत्पाद शामिल हैं और इसका बाजार 11 लाख करोड़ रुपये का है. 2022 तक इसके 15 लाख करोड़ रुपये के बाजार तक बढ़ने की उम्मीद है. वर्तमान में भारत में वाणिज्यिक गतिविधियों (commercial activities) से सालाना लगभग 4.6 बिलियन टन की ढुलाई होती है, जिसके परिणामस्वरूप 9.5 लाख करोड़ रुपये की लागत से तीन ट्रिलियन टन किलोमीटर से अधिक परिवहन की मांग होती है.

जैसे-जैसे माल की मांग बढ़ती जा रही है, 2050 में माल की आवाजाही बढ़कर 15.6 ट्रिलियन टन-किमी होने की उम्मीद है.रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बुनियादी ढांचे ( Infrastructure ) की बाधाएं भारत को एक कुशल मोड तक पहुंचने से रोक रही हैं.

फास्ट ट्रैकिंग फ्रेट से भारत को लाभ

कम रसद लागत : भारत ने 2022 तक सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के रूप में रसद लागत को 14 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है, जिससे 10 लाख करोड़ रुपये तक की बचत हो सकती है.

कम कार्बन उत्सर्जन (carbon emissions) और बेहतर वायु गुणवत्ता (improved air quality) : भारत 2050 तक माल परिवहन के कारण 10 गीगा टन CO2, 500 किलो टन पार्टिकुलेट मैटर (particulate matter) और 15 मिलियन टन नाइट्रोजन ऑक्साइड (nitrogen oxide) बचा सकता है.

सड़कों पर कम ट्रक यातायात : बेहतर मोड शेयर और रसद 2050 में BAU परिदृश्य में वाहन-माल ढुलाई गतिविधि को 48 प्रतिशत तक कम कर सकता है.इतना ही नहीं भारत में माल ढुलाई क्षमता में सुधार करके 2022 में अपनी रसद लागत को 10 लाख करोड़ रुपये तक कम कर सकता है.

माल परिवहन में रेल की हिस्सेदारी 1951 से घट रही है और सड़क परिवहन बाजार में हिस्सेदारी हासिल कर रहा है. इसके कई कारण हैं:-

असंतुलित क्षमता वितरण

सात मुख्य मार्ग 60 प्रतिशत माल ढुलाई (freight traffic) में योगदान करते हैं, फिर भी यह भारत के रेलवे मार्ग नेटवर्क (railway route network) का केवल 16 प्रतिशत है. उल्लेखनीय है कि इन मार्गों का अत्यधिक उपयोग किया जाता है और इन्हें हाई ट्रेफिर डेनसिटी (high traffic ) को संभालने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है.

अत्याधिक उपयोग

भारत की लगभग दो-तिहाई रेलवे लाइनें पहले से ही 100 प्रतिशत से अधिक उपयोग हो रही हैं, जबकि 80 प्रतिशत क्षमता उपयोग को आदर्श माना जाता है.

पढ़ें - संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा पर नियंत्रण जरूरी

ट्रैक शेयरिंग

यात्री (Passenger) और मालगाड़ियां (freight trains ) एक ही ट्रैक साझा करती हैं और यात्री ट्रेनों को अक्सर उच्च प्राथमिकता ( higher priority) मिलती है.

कम गति

भारत में मालगाड़ियां कम भार वहन करती हैं और आमतौर पर वैश्विक मानक के मुकाबले कम गति से दौड़ती हैं. इससे माल का लीड समय बढ़ जाता है और नेटवर्क की क्षमता कम हो जाती है.

छोटे भारों को अरेंज करने की व्यवस्था का अभाव

वर्तमान में एक शिपर (shipper) को माल ढुलाई के लिए एक पूरी ट्रेन का अनुबंध करना पड़ता है. व्यक्तिगत या आंशिक वैगनों को अनुबंधित करने के लिए छोटे भारों को एकत्रित करने के लिए कोई मानकीकृत प्रक्रिया नहीं है. इसीलिए गैर-थोक वस्तुओं (non-bulk commodities ) जैसे उपभोक्ता सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल आदि का ट्रकों के माध्यम से परिवहन किया जा रहा है.

हैदराबाद : नीति आयोग, आरएमआई और आरएमआई इंडिया द्वारा जारी 'ए रोड मैप फॉर क्लीन एंड कोस्ट इफेक्टिव गुड्स ट्रांस्पोर्ट 'नामक एक रिपोर्ट ने भारत की माल परिवहन (goods transport ) गतिविधि के 2050 तक पांच गुना होने की आशंका जताई है. यह रिपोर्ट भारत के लिए अपनी लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है.

रिपोर्ट के मुताबिक रसद क्षेत्र (logistics sector) में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) के पांच प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करता है और 2.2 करोड़ लोगों को रोजगार देता है. भारत हर साल 4.6 अरब टन माल हैंडल करता है, जिसकी कुल वार्षिक लागत 9.5 लाख करोड़ रुपये है.

ये सामान विभिन्न प्रकार के घरेलू उद्योगों (domestic industries) और उत्पादों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसमें 22 प्रतिशत कृषि सामान (agricultural goods), 39 प्रतिशत खनन उत्पाद , और 39 प्रतिशत विनिर्माण-संबंधित वस्तुएं शामिल हैं.रिपोर्ट के मुताबिक ट्रक और अन्य वाहन इन सामानों की अधिकांश आवाजाही को संभालते हैं. बाकी सामान भेजने की जिम्मेदारी रेलवे, तटीय और अंतर्देशीय जलमार्ग, पाइपलाइन और वायुमार्ग की है.

माल परिवहन गतिविधियां
माल परिवहन गतिविधियां

भारत के रसद क्षेत्र में 10,000 से अधिक प्रकार के उत्पाद शामिल हैं और इसका बाजार 11 लाख करोड़ रुपये का है. 2022 तक इसके 15 लाख करोड़ रुपये के बाजार तक बढ़ने की उम्मीद है. वर्तमान में भारत में वाणिज्यिक गतिविधियों (commercial activities) से सालाना लगभग 4.6 बिलियन टन की ढुलाई होती है, जिसके परिणामस्वरूप 9.5 लाख करोड़ रुपये की लागत से तीन ट्रिलियन टन किलोमीटर से अधिक परिवहन की मांग होती है.

जैसे-जैसे माल की मांग बढ़ती जा रही है, 2050 में माल की आवाजाही बढ़कर 15.6 ट्रिलियन टन-किमी होने की उम्मीद है.रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बुनियादी ढांचे ( Infrastructure ) की बाधाएं भारत को एक कुशल मोड तक पहुंचने से रोक रही हैं.

फास्ट ट्रैकिंग फ्रेट से भारत को लाभ

कम रसद लागत : भारत ने 2022 तक सकल घरेलू उत्पाद के हिस्से के रूप में रसद लागत को 14 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है, जिससे 10 लाख करोड़ रुपये तक की बचत हो सकती है.

कम कार्बन उत्सर्जन (carbon emissions) और बेहतर वायु गुणवत्ता (improved air quality) : भारत 2050 तक माल परिवहन के कारण 10 गीगा टन CO2, 500 किलो टन पार्टिकुलेट मैटर (particulate matter) और 15 मिलियन टन नाइट्रोजन ऑक्साइड (nitrogen oxide) बचा सकता है.

सड़कों पर कम ट्रक यातायात : बेहतर मोड शेयर और रसद 2050 में BAU परिदृश्य में वाहन-माल ढुलाई गतिविधि को 48 प्रतिशत तक कम कर सकता है.इतना ही नहीं भारत में माल ढुलाई क्षमता में सुधार करके 2022 में अपनी रसद लागत को 10 लाख करोड़ रुपये तक कम कर सकता है.

माल परिवहन में रेल की हिस्सेदारी 1951 से घट रही है और सड़क परिवहन बाजार में हिस्सेदारी हासिल कर रहा है. इसके कई कारण हैं:-

असंतुलित क्षमता वितरण

सात मुख्य मार्ग 60 प्रतिशत माल ढुलाई (freight traffic) में योगदान करते हैं, फिर भी यह भारत के रेलवे मार्ग नेटवर्क (railway route network) का केवल 16 प्रतिशत है. उल्लेखनीय है कि इन मार्गों का अत्यधिक उपयोग किया जाता है और इन्हें हाई ट्रेफिर डेनसिटी (high traffic ) को संभालने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है.

अत्याधिक उपयोग

भारत की लगभग दो-तिहाई रेलवे लाइनें पहले से ही 100 प्रतिशत से अधिक उपयोग हो रही हैं, जबकि 80 प्रतिशत क्षमता उपयोग को आदर्श माना जाता है.

पढ़ें - संघर्ष से संबंधित यौन हिंसा पर नियंत्रण जरूरी

ट्रैक शेयरिंग

यात्री (Passenger) और मालगाड़ियां (freight trains ) एक ही ट्रैक साझा करती हैं और यात्री ट्रेनों को अक्सर उच्च प्राथमिकता ( higher priority) मिलती है.

कम गति

भारत में मालगाड़ियां कम भार वहन करती हैं और आमतौर पर वैश्विक मानक के मुकाबले कम गति से दौड़ती हैं. इससे माल का लीड समय बढ़ जाता है और नेटवर्क की क्षमता कम हो जाती है.

छोटे भारों को अरेंज करने की व्यवस्था का अभाव

वर्तमान में एक शिपर (shipper) को माल ढुलाई के लिए एक पूरी ट्रेन का अनुबंध करना पड़ता है. व्यक्तिगत या आंशिक वैगनों को अनुबंधित करने के लिए छोटे भारों को एकत्रित करने के लिए कोई मानकीकृत प्रक्रिया नहीं है. इसीलिए गैर-थोक वस्तुओं (non-bulk commodities ) जैसे उपभोक्ता सामान, इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल आदि का ट्रकों के माध्यम से परिवहन किया जा रहा है.

Last Updated : Jun 20, 2021, 4:16 PM IST
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