तेनकासी: रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति बाधित हो गई है जिसके बाद तमिलनाडु के किसान सूरजमुखी के तेल की आपूर्ति करने के लिए सूरजमुखी उत्पादन बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं. यहां के तेनकासी जिले के किसान ने परागण के लिए मधुमक्खियों पर आश्रित रहने के बजाए फसलों का हाथों से परागण कर रहे हैं.
इसकी शुरुआत करने वाले उप कृषि अधिकारी शेख मोहिदीन ने बताया कि यहां के सेंगोट्टाई क्षेत्र में परागण के लिए आदर्श मात्रा में मधुमक्खियां मौजूद नहीं हैं इसलिए किसानों को परागण का ये तरीका अपनाने को कहा गया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में मधुमक्खियों कि संख्या तेजी से कम हुई है जिसका कारण है कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग. हालांकि किसानों का कहना है कि हाथों से परागण करने से बीजों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है.
इसपर बात करते हुए किसान के सिवानन ने बताया कि मेरे पास चार एकड़ जमीन है जिसपर मैं आठ सालों से सूरजमुखी का उत्पादन कर रहा हूं. वहीं दक्षिणी शुष्क भूमि किसान संघ के अध्यक्ष के नवीनीथन ने कहा कि हाथों से परागण करना अच्छा है लेकिन इसमें अधिक लोगों की जरूरत पड़ती है. इसके चलते मजदूरों से भी काम कराना जरूरी हो जाता है. लेकिन यहां के मजदूर केवल मनरेगा योजना के अंतर्गत ही काम करना चाहते हैं.
वहीं मधुमक्खियों की घटती संख्या पर वैज्ञानिक के सुरेश ने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण है फसलों पर कीटनाशकों का प्रयोग. इसलिए किसानों को यह सलाह दी जाती है कि उन कीटनाशकों का प्रयोग करें जो मधुमक्खियों के लिए थोड़े कम हानिकारक हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसान लाइट ट्रैप, फेरोमोन ट्रैप और वानस्पतिक कीटनाशक और जैविक नियंत्रण एजेंट आदि का उपयोग करें तो मधुमक्खियों की संख्या बढ़ाई जा सकती है.