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किसानों को विरोध प्रदर्शन का अधिकार, पर सड़कों को अनिश्चितकाल तक रोक नहीं सकते : SC

सुप्रीम कोर्ट नोएडा की निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया है कि किसान आंदोलन के कारण सड़क अवरुद्ध होने से आवाजाही में मुश्किल हो रही है.

किसानों को विरोध प्रदर्शन
किसानों को विरोध प्रदर्शन
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Published : Oct 21, 2021, 12:30 PM IST

Updated : Oct 21, 2021, 1:41 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करने का अधिकार है, लेकिन वे अनिश्चितकाल के लिए सड़क अवरुद्ध नहीं कर सकते.

न्यायमूर्ति एसएस कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि कानूनी रूप से चुनौती लंबित है फिर भी न्यायालय विरोध के अधिकार के खिलाफ नहीं है लेकिन अंततः कोई समाधान निकालना होगा.

पीठ ने कहा, किसानों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन वे अनिश्चितकाल के लिए सड़क अवरुद्ध नहीं कर सकते. आप जिस तरीके से चाहें विरोध कर सकते हैं लेकिन सड़कों को इस तरह अवरुद्ध नहीं कर सकते. लोगों को सड़कों पर जाने का अधिकार है लेकिन वे इसे अवरुद्ध नहीं कर सकते.

शीर्ष अदालत ने किसान यूनियनों से इस मुद्दे पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले को सात दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

गुरुवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गणतंत्र दिवस की हिंसा का हवाला देते हुए कहा कि यह तब हुआ जब किसान संगठनों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान कोई हिंसा नहीं होने का वादा किया था.

सुप्रीम कोर्ट नोएडा की निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया है कि किसान आंदोलन के कारण सड़क अवरुद्ध होने से आवाजाही में मुश्किल हो रही है.

यह भी पढ़ें- शीर्ष अदालत में दिल्ली की सीमाओं से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए नई याचिका दायर

इससे पहले, शीर्ष न्यायालय ने चार अक्टूबर को 43 किसान संगठनों और दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे राकेश टिकैत, दर्शन पाल और गुरनाम सिंह समेत उनके नेताओं से जवाब मांगे थे. न्यायालय ने हरियाणा सरकार की याचिका पर उनसे जवाब मांगे थे, जिसमें आरोप लगाया गया है कि किसान नेता यहां सड़क पर अवरोध को लेकर गतिरोध हल करने के लिए उसकी समिति से बातचीत नहीं कर रहे हैं.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध करने का अधिकार है, लेकिन वे अनिश्चितकाल के लिए सड़क अवरुद्ध नहीं कर सकते.

न्यायमूर्ति एसएस कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि कानूनी रूप से चुनौती लंबित है फिर भी न्यायालय विरोध के अधिकार के खिलाफ नहीं है लेकिन अंततः कोई समाधान निकालना होगा.

पीठ ने कहा, किसानों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन वे अनिश्चितकाल के लिए सड़क अवरुद्ध नहीं कर सकते. आप जिस तरीके से चाहें विरोध कर सकते हैं लेकिन सड़कों को इस तरह अवरुद्ध नहीं कर सकते. लोगों को सड़कों पर जाने का अधिकार है लेकिन वे इसे अवरुद्ध नहीं कर सकते.

शीर्ष अदालत ने किसान यूनियनों से इस मुद्दे पर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले को सात दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

गुरुवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गणतंत्र दिवस की हिंसा का हवाला देते हुए कहा कि यह तब हुआ जब किसान संगठनों ने 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान कोई हिंसा नहीं होने का वादा किया था.

सुप्रीम कोर्ट नोएडा की निवासी मोनिका अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया है कि किसान आंदोलन के कारण सड़क अवरुद्ध होने से आवाजाही में मुश्किल हो रही है.

यह भी पढ़ें- शीर्ष अदालत में दिल्ली की सीमाओं से प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए नई याचिका दायर

इससे पहले, शीर्ष न्यायालय ने चार अक्टूबर को 43 किसान संगठनों और दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे राकेश टिकैत, दर्शन पाल और गुरनाम सिंह समेत उनके नेताओं से जवाब मांगे थे. न्यायालय ने हरियाणा सरकार की याचिका पर उनसे जवाब मांगे थे, जिसमें आरोप लगाया गया है कि किसान नेता यहां सड़क पर अवरोध को लेकर गतिरोध हल करने के लिए उसकी समिति से बातचीत नहीं कर रहे हैं.

Last Updated : Oct 21, 2021, 1:41 PM IST
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