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एंबुलेंस चालक ने मांगे 35 हजार तो परिजन कार में सीट बेल्ट से बांधकर ले गए शव - कोटा में इंसानियत शर्मसार

राजस्थान के कोटा में एंबुलेंस चालक ने शव ले जाने के लिए 35 हजार मांगे जिसके बाद परिजनों ने शव को कार में सीट बेल्ट से बांधकर घर ले गए.

सीट बेल्ट से बांधकर ले गए शव
सीट बेल्ट से बांधकर ले गए शव
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Published : May 24, 2021, 3:21 PM IST

Updated : May 24, 2021, 4:30 PM IST

कोटा(राजस्थान): कोरोना संक्रमण के मौजूदा दौर में एंबुलेंस चालकों द्वारा मनमाना किराया वसूलने के मामले आम हो चले हैं. प्रशासन और सरकारें लाख किराया तय कर लें और लाख दावे कर ले, पर जमीनी हकीकत टस से मस नहीं हुई है. ऐसा ही एक मामला राजस्थान के कोटा से सामने आया है. जहां मौत के बाद कोरोना संक्रमित शव को घर पहुंचाने के लिए मुंहमांगा किराया मांगा तो मजबूरन परिजन शव को कार में सीट बेल्ट बांधकर ले गए. इस मामले ने एक बार फिर सरकार और प्रशासन के दावों की पोल खोलकर रख दी है.

सीट बेल्ट से बांधकर ले गए शव

एंबुलेंस चालक ने 35 हजार रुपए मांगे

कोरोना संक्रमण के इस दौर में इंसानियत जैसे हर मोड़ पर दम तोड़ रही है. मामला कोटा मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल का है. जहां झालावाड़ की सीमा की कोरोना संक्रमण के कारण मौत हो गई. परिजनों ने शव को झालावाड़ को ले जाने के लिए एंबुलेंस चालक से बात की तो, उसने 35 हजार रुपए की मांग की. परिजनों ने कहा कि प्रशासन ने किलोमीटर के हिसाब से किराया तय किया है. जिसके बाद चालक 18 हजार रुपए में ले जाने को तैयार हुआ लेकिन परिजनों ने कहा कि वे 5000 से ज्यादा नहीं दे सकते. काफी गिड़गिड़ाने के बाद भी जब एंबुलेंस चालक तैयार नहीं हुआ. तो परिजन अपनी कार में ही शव को ले गए.

सीट बेल्ट से बांधकर ले गए शव

एंबुलेंस चालकों को मनमानी के आगे बेबस परिजनों ने सीमा के शव को कार की अगली सीट पर रखा और सीट बेल्ट से शव को बांधकर झालावाड़ ले गए. ये परिजनों की मजबूरी ही थी कि मौत के बाद सीमा के शव को सीट बेल्ट से बांधकर घर ले जाना पड़ा. इस मामले ने एक बार फिर अस्पतालों की व्यवस्था और एंबुलेंस से लेकर अन्य कर्मचारियों की मनमानी पर फिर से सवाल खड़े किए हैं.

परिजनों का अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप

मृतका के परिजन ने सीमा के इलाज में लापरवाही बरतने का गंभीर आरोप अस्पताल प्रशासन पर लगाया है. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में किसी जानकार चिकित्सक का मरीज भर्ती हो गया. जिसके बाद सीमा को आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया. जबकि 18 दिन के बाद उसकी तबीयत में थोड़ा सुधार हो रहा था लेकिन अचानक ही उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट कर देने से उसकी मौत हो गई.

इसके अलावा परिजनों ने कहा कि अस्पताल में वार्ड बॉय नहीं होने पर शव को भी लाने में परेशानी हुई. अस्पताल के एक कर्मचारी से शव लाने में मदद मांगी तो उसने बदले में एक हजार रुपये मांग लिए. जिसके बाद परिजन शव को भी खुद ही अस्पताल के बाहर लेकर पहुंचे थे.

ये भी पढ़ें: येलो फंगस ने दी दस्तक, गाजियाबाद में पहला मरीज

कोटा(राजस्थान): कोरोना संक्रमण के मौजूदा दौर में एंबुलेंस चालकों द्वारा मनमाना किराया वसूलने के मामले आम हो चले हैं. प्रशासन और सरकारें लाख किराया तय कर लें और लाख दावे कर ले, पर जमीनी हकीकत टस से मस नहीं हुई है. ऐसा ही एक मामला राजस्थान के कोटा से सामने आया है. जहां मौत के बाद कोरोना संक्रमित शव को घर पहुंचाने के लिए मुंहमांगा किराया मांगा तो मजबूरन परिजन शव को कार में सीट बेल्ट बांधकर ले गए. इस मामले ने एक बार फिर सरकार और प्रशासन के दावों की पोल खोलकर रख दी है.

सीट बेल्ट से बांधकर ले गए शव

एंबुलेंस चालक ने 35 हजार रुपए मांगे

कोरोना संक्रमण के इस दौर में इंसानियत जैसे हर मोड़ पर दम तोड़ रही है. मामला कोटा मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल का है. जहां झालावाड़ की सीमा की कोरोना संक्रमण के कारण मौत हो गई. परिजनों ने शव को झालावाड़ को ले जाने के लिए एंबुलेंस चालक से बात की तो, उसने 35 हजार रुपए की मांग की. परिजनों ने कहा कि प्रशासन ने किलोमीटर के हिसाब से किराया तय किया है. जिसके बाद चालक 18 हजार रुपए में ले जाने को तैयार हुआ लेकिन परिजनों ने कहा कि वे 5000 से ज्यादा नहीं दे सकते. काफी गिड़गिड़ाने के बाद भी जब एंबुलेंस चालक तैयार नहीं हुआ. तो परिजन अपनी कार में ही शव को ले गए.

सीट बेल्ट से बांधकर ले गए शव

एंबुलेंस चालकों को मनमानी के आगे बेबस परिजनों ने सीमा के शव को कार की अगली सीट पर रखा और सीट बेल्ट से शव को बांधकर झालावाड़ ले गए. ये परिजनों की मजबूरी ही थी कि मौत के बाद सीमा के शव को सीट बेल्ट से बांधकर घर ले जाना पड़ा. इस मामले ने एक बार फिर अस्पतालों की व्यवस्था और एंबुलेंस से लेकर अन्य कर्मचारियों की मनमानी पर फिर से सवाल खड़े किए हैं.

परिजनों का अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप

मृतका के परिजन ने सीमा के इलाज में लापरवाही बरतने का गंभीर आरोप अस्पताल प्रशासन पर लगाया है. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में किसी जानकार चिकित्सक का मरीज भर्ती हो गया. जिसके बाद सीमा को आईसीयू से जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया. जबकि 18 दिन के बाद उसकी तबीयत में थोड़ा सुधार हो रहा था लेकिन अचानक ही उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट कर देने से उसकी मौत हो गई.

इसके अलावा परिजनों ने कहा कि अस्पताल में वार्ड बॉय नहीं होने पर शव को भी लाने में परेशानी हुई. अस्पताल के एक कर्मचारी से शव लाने में मदद मांगी तो उसने बदले में एक हजार रुपये मांग लिए. जिसके बाद परिजन शव को भी खुद ही अस्पताल के बाहर लेकर पहुंचे थे.

ये भी पढ़ें: येलो फंगस ने दी दस्तक, गाजियाबाद में पहला मरीज

Last Updated : May 24, 2021, 4:30 PM IST
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