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गुजरात में आईईएलटीएस परीक्षा रैकेट का भंडाफोड़, 45 पर केस

विदेश जाना किसे अच्छा नहीं लगता, लेकिन ऐसे जाना आपको मुश्किल में डाल सकता है. मामला गुजरात के महेसाणा का है, जहां फर्जी IELTS सर्टिफिकेट लेकर कनाडा-अमेरिका जाने का मामला सामने आया है. इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि इसके पीछे का मास्टरमाइंड कौन है, कैसे होता है सारा खेल.

Fake IELTS band Score scam busted from Mehsana
आईईएलटीएस परीक्षा रैकेट का भंडाफोड़
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Published : Sep 6, 2022, 7:43 PM IST

महेसाणा: गुजरात के मेहसाणा जिले की पुलिस ने एक महीने की जांच के बाद एक कथित रैकेट का खुलासा किया है, जिसमें अपात्र छात्रों को एक अंतरराष्ट्रीय अंग्रेजी दक्षता परीक्षा में उच्च अंक हासिल करने में मदद मिली थी. पुलिस के अनुसार ऐसा इसलिए किया गया ताकि वे छात्र, छात्र वीजा पर कनाडा की यात्रा कर सकें और फिर अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश कर सकें.

मेहसाणा पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय अंग्रेजी भाषा परीक्षा प्रणाली (IELTS) से जुड़े कथित रैकेट के सिलसिले में 45 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और सूरत के एक छात्र समेत तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है.

आईईएलटीएस उन व्यक्तियों के लिए अंग्रेजी भाषा प्रवीणता की एक अंतरराष्ट्रीय मानकीकृत परीक्षा है जो गैर अंग्रेजी भाषी देशों के रहने वाले होते हैं. कई देशों के प्रतिष्ठित कॉलेजों में प्रवेश के लिए इस परीक्षा में अच्छे नंबर आवश्यक होता है. पुलिस ने बताया कि जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है उनमें एक कोचिंग क्लास का मालिक, एक निजी परीक्षा प्रबंधन और शैक्षिक सेवा कंपनी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी और करीब 24 छात्र शामिल हैं.

ये है पूरा मामला : छह महीने पहले IELTS में 8 बैंड मिलने के बाद अमेरिका जाने का घोटाला सामने आया था. जिसमें महेसाणा के मांकणज, धामणवा, रामनगर और संगणपुर के 4 युवक अमेरिका में पकड़े गए. इस घटना के बाद यह पूरा मामला सामने आया. इसके बाद महेसाणा एसओजी ने इस कांड को लेकर जांच की. कथित रैकेट का खुलासा गुजरात के छह युवाओं की मार्च में अमेरिकी सीमा अधिकारियों द्वारा पकड़े जाने के बाद हुआ. ये छात्र कनाडा से अमेरिका में प्रवेश करने के असफल प्रयास के दौरान पकड़े गए थे. वे अदालत की सुनवाई के दौरान अमेरिकी न्यायाधीश द्वारा पूछे गए सवालों का अंग्रेजी में जवाब देने में विफल रहे थे. इनमें से चार मेहसाणा जिले के विभिन्न हिस्सों से थे जबकि दो गांधीनगर और पाटन के थे.

मामले की जांच कर रहे मेहसाणा पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) के इंस्पेक्टर भावेश राठौड़ ने कहा कि मेहसाणा जिले के चार छात्रों की पहचान ध्रुव पटेल, नील पटेल, उर्विश पटेल और सावन पटेल के रूप में हुई है.

उन्होंने कहा कि रैकेट के कथित मुख्य षड्यंत्रकर्ता अमित चौधरी ने 21 छात्रों से 10 लाख से 20 लाख रुपये लिये थे और अहमदाबाद की परीक्षा एजेंसी प्लेनेट ईडीयू के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से आईईएलटीएस परीक्षा में 6 से 7 बैंड स्कोर करने में उनकी मदद की गई थी. उन्होंने रविवार को अपनी महीने भर की जांच पूरी करने के बाद मेहसाणा 'बी' डिवीजन थाने में चौधरी सहित 45 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 406, 465 और 120-बी के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई.

उन्होंने बताया कि इसमें नामित अन्य प्रमुख व्यक्तियों में कोचिंग क्लास का मालिक गोकुल मेनन, प्लैनेट ईडीयू के मुख्य कार्यकारी संजीव सहगल, परीक्षा प्रबंधक राजेश तहिलियानी, मेनन का साथी फर्नांडीस सावंत, कुछ परीक्षा पर्यवेक्षकों और उच्च आईईएलटीएस स्कोर प्राप्त करने के लिए चौधरी को पैसे देने वाले 21 छात्र शामिल हैं. उन्होंने कहा, 'हम पहले ही गोकुल मेनन, उसके साथी फर्नांडीस सावंत और सूरत के एक छात्र संदीप पटेल को गिरफ्तार कर चुके हैं. चौधरी और अन्य ने अपात्र छात्रों में से प्रत्येक से आईईएलटीएस में उच्च स्कोर प्राप्त करने में मदद के लिए 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक लिए थे.'

डमी कैंडिडेट बिठाते हैं : महेसाणा एसपी ने IELTS फर्जी बैंड प्रमाण पत्र के मामले में कहा कि, IELTS परीक्षा गुजरात में ही साबरमती अहमदाबाद स्थित प्लैनेट इडियुं नामक संस्थान द्वारा आयोजित की गई थी. इस संस्थान द्वारा परीक्षा स्थल का निर्धारण किया गया था. अहमदाबाद में इस संस्थान द्वारा विभिन्न होटलों और निजी स्थानों पर परीक्षा आयोजित की गई थी. IELTS परीक्षा के दौरान, अंग्रेजी नहीं जानने वाले छात्र को पास करने के लिए डमी छात्र को परीक्षा बिठाया जाता है.

900 लोगों के बयान दर्ज : महेसाणा पुलिस लंबे समय से IELTS फर्जी सर्टिफिकेट स्कैंडल की जांच कर रही थी. जिसमें 900 से ज्यादा लोगों के बयान भी लिए गए. अहमदाबाद स्थित प्लैनेट इडियुं नामक संस्थान के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद जांच की झड़ी लग गई, जिसके बाद घोटाले में शामिल 45 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई, जिनमें से 17 फर्जी प्रमाण पत्र के साथ विदेश गए हुए है वह बाहर आया. इसके साथ ही पुलिस द्वारा आगे की जांच में और भी संलिप्तता का खुलासा हो सकता है. साथ ही पुलिस ने फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर भारत से विदेश गए लोगों को वापस लाने की कार्रवाई शुरू कर दी है.

पढ़ें- कर्नाटक पीएसआई भर्ती घोटाला: ऑडियो क्लिप सामने आने के बाद बढ़ीं भाजपा विधायक की मुश्किलें

महेसाणा: गुजरात के मेहसाणा जिले की पुलिस ने एक महीने की जांच के बाद एक कथित रैकेट का खुलासा किया है, जिसमें अपात्र छात्रों को एक अंतरराष्ट्रीय अंग्रेजी दक्षता परीक्षा में उच्च अंक हासिल करने में मदद मिली थी. पुलिस के अनुसार ऐसा इसलिए किया गया ताकि वे छात्र, छात्र वीजा पर कनाडा की यात्रा कर सकें और फिर अवैध रूप से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश कर सकें.

मेहसाणा पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय अंग्रेजी भाषा परीक्षा प्रणाली (IELTS) से जुड़े कथित रैकेट के सिलसिले में 45 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और सूरत के एक छात्र समेत तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है.

आईईएलटीएस उन व्यक्तियों के लिए अंग्रेजी भाषा प्रवीणता की एक अंतरराष्ट्रीय मानकीकृत परीक्षा है जो गैर अंग्रेजी भाषी देशों के रहने वाले होते हैं. कई देशों के प्रतिष्ठित कॉलेजों में प्रवेश के लिए इस परीक्षा में अच्छे नंबर आवश्यक होता है. पुलिस ने बताया कि जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है उनमें एक कोचिंग क्लास का मालिक, एक निजी परीक्षा प्रबंधन और शैक्षिक सेवा कंपनी का मुख्य कार्यकारी अधिकारी और करीब 24 छात्र शामिल हैं.

ये है पूरा मामला : छह महीने पहले IELTS में 8 बैंड मिलने के बाद अमेरिका जाने का घोटाला सामने आया था. जिसमें महेसाणा के मांकणज, धामणवा, रामनगर और संगणपुर के 4 युवक अमेरिका में पकड़े गए. इस घटना के बाद यह पूरा मामला सामने आया. इसके बाद महेसाणा एसओजी ने इस कांड को लेकर जांच की. कथित रैकेट का खुलासा गुजरात के छह युवाओं की मार्च में अमेरिकी सीमा अधिकारियों द्वारा पकड़े जाने के बाद हुआ. ये छात्र कनाडा से अमेरिका में प्रवेश करने के असफल प्रयास के दौरान पकड़े गए थे. वे अदालत की सुनवाई के दौरान अमेरिकी न्यायाधीश द्वारा पूछे गए सवालों का अंग्रेजी में जवाब देने में विफल रहे थे. इनमें से चार मेहसाणा जिले के विभिन्न हिस्सों से थे जबकि दो गांधीनगर और पाटन के थे.

मामले की जांच कर रहे मेहसाणा पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) के इंस्पेक्टर भावेश राठौड़ ने कहा कि मेहसाणा जिले के चार छात्रों की पहचान ध्रुव पटेल, नील पटेल, उर्विश पटेल और सावन पटेल के रूप में हुई है.

उन्होंने कहा कि रैकेट के कथित मुख्य षड्यंत्रकर्ता अमित चौधरी ने 21 छात्रों से 10 लाख से 20 लाख रुपये लिये थे और अहमदाबाद की परीक्षा एजेंसी प्लेनेट ईडीयू के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से आईईएलटीएस परीक्षा में 6 से 7 बैंड स्कोर करने में उनकी मदद की गई थी. उन्होंने रविवार को अपनी महीने भर की जांच पूरी करने के बाद मेहसाणा 'बी' डिवीजन थाने में चौधरी सहित 45 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 406, 465 और 120-बी के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई.

उन्होंने बताया कि इसमें नामित अन्य प्रमुख व्यक्तियों में कोचिंग क्लास का मालिक गोकुल मेनन, प्लैनेट ईडीयू के मुख्य कार्यकारी संजीव सहगल, परीक्षा प्रबंधक राजेश तहिलियानी, मेनन का साथी फर्नांडीस सावंत, कुछ परीक्षा पर्यवेक्षकों और उच्च आईईएलटीएस स्कोर प्राप्त करने के लिए चौधरी को पैसे देने वाले 21 छात्र शामिल हैं. उन्होंने कहा, 'हम पहले ही गोकुल मेनन, उसके साथी फर्नांडीस सावंत और सूरत के एक छात्र संदीप पटेल को गिरफ्तार कर चुके हैं. चौधरी और अन्य ने अपात्र छात्रों में से प्रत्येक से आईईएलटीएस में उच्च स्कोर प्राप्त करने में मदद के लिए 10 लाख रुपये से 20 लाख रुपये तक लिए थे.'

डमी कैंडिडेट बिठाते हैं : महेसाणा एसपी ने IELTS फर्जी बैंड प्रमाण पत्र के मामले में कहा कि, IELTS परीक्षा गुजरात में ही साबरमती अहमदाबाद स्थित प्लैनेट इडियुं नामक संस्थान द्वारा आयोजित की गई थी. इस संस्थान द्वारा परीक्षा स्थल का निर्धारण किया गया था. अहमदाबाद में इस संस्थान द्वारा विभिन्न होटलों और निजी स्थानों पर परीक्षा आयोजित की गई थी. IELTS परीक्षा के दौरान, अंग्रेजी नहीं जानने वाले छात्र को पास करने के लिए डमी छात्र को परीक्षा बिठाया जाता है.

900 लोगों के बयान दर्ज : महेसाणा पुलिस लंबे समय से IELTS फर्जी सर्टिफिकेट स्कैंडल की जांच कर रही थी. जिसमें 900 से ज्यादा लोगों के बयान भी लिए गए. अहमदाबाद स्थित प्लैनेट इडियुं नामक संस्थान के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद जांच की झड़ी लग गई, जिसके बाद घोटाले में शामिल 45 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई, जिनमें से 17 फर्जी प्रमाण पत्र के साथ विदेश गए हुए है वह बाहर आया. इसके साथ ही पुलिस द्वारा आगे की जांच में और भी संलिप्तता का खुलासा हो सकता है. साथ ही पुलिस ने फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर भारत से विदेश गए लोगों को वापस लाने की कार्रवाई शुरू कर दी है.

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