हैदराबाद : आईआईटी हैदराबाद के प्रोफेसर डॉ. एम विद्यासागर ने कहा कि जैसे-जैसे कोविड कम होता जाएगा, उसके बाद हम कितनी सावधानी बरतेंगे, यह हमारे लिए लिटमस टेस्ट की तरह ही होगा. उन्होंने चेतावनी दी कि अतीत की गलतियों को दोहराना हमें भारी पड़ सकता है. डॉ. विद्यासागर वैज्ञानिकों की कमेटी के चेयरमैन हैं. कोरोना के प्रसार पर अध्ययन करने के लिए उन्हें केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त किया गया है. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन सिलेंडरों, बेड आदि की कमी से लोग चिंतित हैं, क्योंकि कोविड-19 की दूसरी लहर का सामना करने के लिए पर्याप्त तैयारी नहीं की गई थी. कोरोना की गंभीरता, वर्तमान स्थिति और भविष्य में इसके प्रभाव को देखते हुए समिति द्वारा किए गए कार्यों के बारे में उन्होंने कई सारी बातें बताई.
सवाल - आपके कमेटी के गठन और इसकी भूमिका के बारे में बताएं.
डॉ. विद्यासागर - पिछले साल जून में केंद्र सरकार ने 10 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. यह कमेटी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तत्वावधान में संचालित है. मेरे साथ आईआईटी कानपुर से मनिंद्र अग्रवाल और आर्मी मेडिकल ऑफिसर माथुरी कानिटकर नियमित शोध में लगे हुए हैं. अन्य सात सदस्य भी वैज्ञानिक हैं. कोरोना कैसे और किस क्षेत्र में फैल रहा है, इसका आकलन करना कमेटी का काम है. कमेटी में सभी विषयों के विशेषज्ञ शामिल हैं. इसका नाम 'द नेशनल कोविड-19 सुपरमॉडल कमेटी' दिया गया है. हम कोविड -19 की गंभीरता का आकलन करते हैं और सरकार में संबंधित व्यक्तियों को इस बारे में सतर्क करते रहते हैं. हमने मार्च के पहले सप्ताह में कुछ राज्यों की स्थिति पर गौर किया था और दो अप्रैल को दाखिल एक रिपोर्ट में आने वाले खतरे के बारे में बताया था.
सवाल - कोरोना की दूसरी लहर काफी गंभीर है. फिलहाल रोजाना संक्रमण के मामले चार लाख के एक रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है. क्या आप इसकी गति का अनुमान लगा सकते हैं?
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डॉ. विद्यासागर - नहीं, वायरस वर्तमान में हमारी अपेक्षा से अधिक तेजी से फैल रहा है. इसकी तीव्रता हमारी समझ से परे है. हम केवल इनकी गति का अनुमान लगा सकते हैं. हमें विश्वास है कि यह उसी गति से खत्म होगा, जिस गति से यह अब फैल रहा है और ऐसा जल्द ही होगा.
सवाल - लोगों ने कोविड संबंधी सावधानियों को भूलकर राजनीतिक और आध्यात्मिक कार्यक्रमों जैसे चुनाव, कुंभ मेला आदि में भारी संख्या में भाग लिया. कोरोना वायरस को फैलाने में ये किस हद तक जिम्मेदार हैं?
डॉ. विद्यासागर - कोरोना की दूसरी लहर 8-9 मार्च महाराष्ट्र, केरल और छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया. दरअसल, कुंभ मेला के दौरान ही वायरस फैलने लगा था. केवल ये मेला मुख्य कारण नहीं था, बल्कि चुनाव अभियानों और आध्यात्मिक कार्यक्रम भी कोविड संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार हैं.
सवाल- दूसरी लहर के बारे में केंद्र को क्या आपकी कमेटी ने अग्रिम चेतावनी दी थी?
डॉ. विद्यासागर - कमेटी की ओर से इस संबंध में दो अप्रैल को रिपोर्ट दे दी गई थी.
सवाल - क्या यह मान सकते हैं कि सरकार ने आपकी दी चेतावनियों की अनदेखी की है?
डॉ. विद्यासागर - नहीं, क्योंकि सरकार ने विभिन्न एजेंसियों और कमेटियों से जानकारी एकत्र की और इस पर विस्तृत विचार-विमर्श के बाद नीतिगत निर्णय लिया गया है.
सवाल - लोगों को क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
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डॉ. विद्यासागर- यदि लगभग 60-70 प्रतिशत आबादी का टीकाकरण हो जाए, तो खतरा टल सकता है. प्रारंभ में यह निर्णय लिया गया कि 60 वर्ष से अधिक आयु वालों के लिए एक सीमित टीकाकरण अभियान चलाया जाए जिसे बाद में 45 वर्ष की आयु तक बढ़ाया गया. अब, 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लिए टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. सरकार ने वैक्सीन की कमी को दूर करने का हल निकालना शुरू कर दिया है. लेकिन लोगों को भी संक्रमण से बचने के लिए यथासंभव उपाय करने चाहिए. मास्क पहनने की आदत 2021 के अंत तक जारी रखनी चाहिए.
सवाल - क्या सरकार के अलावा आपके सुझावों के बारे में जानने का अन्य कोई तरीका नहीं है?
डॉ. विद्यासागर- मनिंद्र अग्रवाल जरूरी जानकारियां ट्विटर पर शेयर करते हैं. वहां से भी लोग इस बारे में जानकारी ले सकते हैं.
सवाल - वर्तमान स्थिति का कारण क्या है?
डॉ. विद्यासागर- इसका कारण यह है कि अधिकांश लोगों का मानना है कि कोरोना का असर कम हो गया है और इसलिए सतर्कता में ढील बरती जा रही है. पिछले साल जब पहली बार कोरोना का संक्रमण फैला था, तब संक्रमितों में अधिकांश गरीब लोग थे. उस वक्त अपार्टमेंट और अन्य समुदायों में उचित उपाय किए गए थे. लेकिन अब सभी इसे नजरअंदाज करने लगे हैं. इस बार वायरस की चपेट में अमीर भी हैं. कई संक्रमित गरीब लोग इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों पर निर्भर हैं, जबकि अमीर निजी अस्पतालों पर. ऐसे में दोनों अस्पतालों पर दबाव बढ़ गया है.