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Chandrayaan 3 : 'चंद्रयान-2' की विफलता ने 'चंद्रयान-3' की सफलता में योगदान दिया : नंबी नारायणन

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक और अंतरिक्ष मामलों के जानकार नंबी नारायणन ने चंद्रयान के सफल लैंडिंग पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है. उन्होंने कहा कि इसरो में हर एक व्यक्ति मिशन की सफलता को लेकर आश्वस्त था. पढ़ें पूरी खबर...

Chandrayaan 3
इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 24, 2023, 12:48 PM IST

तिरुवनंतपुरम : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अंतरिक्ष वैज्ञानिक, नंबी नारायणन ने कहा कि चंद्रयान -2 की विफलता से सीखे गए सबक ने भारत के तीसरे चंद्र मिशन की सफलता में योगदान दिया. उन्होंने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 'विक्रम' लैंडर की सफल लैंडिंग के बाद यह कहा. एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चंद्रयान -3 मिशन से जुड़े सभी वैज्ञानिकों को बधाई. इस बार हमारे वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 की हर विफलता को संबोधित किया.

उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 के समय उपग्रह और स्थिरता की समस्या का सामना करना पड़ा था. इस बार वैज्ञानिकों ने इसपर गहना से काम किया. ये समस्याएं ठीक हो गईं. वास्तव में हमने चंद्रयान-2 की विफलता का उपयोग चंद्रयान-3 की सफलता के लिए किया. हम कह सकते हैं कि हमने उस विफलता का इस्तेमाल अपने पक्ष में किया.

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने कहा कि इसरो वैज्ञानिकों ने स्पष्ट रूप से एक अद्भुत काम किया है. हम प्रक्षेपण से पहले ही आश्वस्त थे कि चंद्रयान-3 सफल होगा और वैसा ही हुआ. सभी को बधाई. उन्होंने आगे कहा कि तीसरा चंद्र मिशन इसरो के लिए चुनौतीपूर्ण था. खासकर बजट, देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रति प्रतिबद्धता और चंद्रयान-2 की विफलता को देखते हुए. उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बावजूद, इसरो में परियोजना से जुड़े वैज्ञानिक जानते थे कि मुख्य मिशन उद्देश्य प्राप्त किए जा सकते हैं.

नारायणन ने कहा कि यह इसरो, भारत और मानव जाति के लिए भी एक महान दिन है. हमने जो हासिल किया है, वह एक तरह से अविश्वसनीय है. जब मैं अविश्वसनीय कहता हूं, तो मेरा मतलब उस तरह के बजट से है जो हमारे पास है, जिस तरह की अन्य प्रतिबद्धताएं हैं और (चंद्रयान-2 की) विफलता के बाद, जिसने हमें बड़ी मुश्किल में डाल दिया था. फिर भी, हमने मिशन के उद्देश्यों को हासिल किया. उस अर्थ में, यह अविश्वसनीय है. हालांकि इसरो हर किसी को यह विश्वास था कि यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है और उन्होंने किया भी.

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अंतरिक्ष में 40 दिनों की यात्रा के बाद, चंद्रयान -3 लैंडर, 'विक्रम', बुधवार शाम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा. भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया. इसके साथ ही अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्र लैंडिंग मिशन को सफलतापूर्वक संचालित करने वाला चौथा देश बन गया. अंतरिक्ष यान को 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था. अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के लिए एक जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन का उपयोग किया गया था, जिसे 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में स्थापित किया गया था और तब से, यह चंद्रमा की सतह पर पहुंचने से पहले कक्षीय प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला से गुजरा.

(एएनआई)

तिरुवनंतपुरम : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अंतरिक्ष वैज्ञानिक, नंबी नारायणन ने कहा कि चंद्रयान -2 की विफलता से सीखे गए सबक ने भारत के तीसरे चंद्र मिशन की सफलता में योगदान दिया. उन्होंने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 'विक्रम' लैंडर की सफल लैंडिंग के बाद यह कहा. एक समाचार एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चंद्रयान -3 मिशन से जुड़े सभी वैज्ञानिकों को बधाई. इस बार हमारे वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 की हर विफलता को संबोधित किया.

उन्होंने कहा कि चंद्रयान-2 के समय उपग्रह और स्थिरता की समस्या का सामना करना पड़ा था. इस बार वैज्ञानिकों ने इसपर गहना से काम किया. ये समस्याएं ठीक हो गईं. वास्तव में हमने चंद्रयान-2 की विफलता का उपयोग चंद्रयान-3 की सफलता के लिए किया. हम कह सकते हैं कि हमने उस विफलता का इस्तेमाल अपने पक्ष में किया.

इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन ने कहा कि इसरो वैज्ञानिकों ने स्पष्ट रूप से एक अद्भुत काम किया है. हम प्रक्षेपण से पहले ही आश्वस्त थे कि चंद्रयान-3 सफल होगा और वैसा ही हुआ. सभी को बधाई. उन्होंने आगे कहा कि तीसरा चंद्र मिशन इसरो के लिए चुनौतीपूर्ण था. खासकर बजट, देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रति प्रतिबद्धता और चंद्रयान-2 की विफलता को देखते हुए. उन्होंने कहा कि चुनौतियों के बावजूद, इसरो में परियोजना से जुड़े वैज्ञानिक जानते थे कि मुख्य मिशन उद्देश्य प्राप्त किए जा सकते हैं.

नारायणन ने कहा कि यह इसरो, भारत और मानव जाति के लिए भी एक महान दिन है. हमने जो हासिल किया है, वह एक तरह से अविश्वसनीय है. जब मैं अविश्वसनीय कहता हूं, तो मेरा मतलब उस तरह के बजट से है जो हमारे पास है, जिस तरह की अन्य प्रतिबद्धताएं हैं और (चंद्रयान-2 की) विफलता के बाद, जिसने हमें बड़ी मुश्किल में डाल दिया था. फिर भी, हमने मिशन के उद्देश्यों को हासिल किया. उस अर्थ में, यह अविश्वसनीय है. हालांकि इसरो हर किसी को यह विश्वास था कि यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है और उन्होंने किया भी.

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अंतरिक्ष में 40 दिनों की यात्रा के बाद, चंद्रयान -3 लैंडर, 'विक्रम', बुधवार शाम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा. भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया. इसके साथ ही अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्र लैंडिंग मिशन को सफलतापूर्वक संचालित करने वाला चौथा देश बन गया. अंतरिक्ष यान को 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था. अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के लिए एक जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन का उपयोग किया गया था, जिसे 5 अगस्त को चंद्र कक्षा में स्थापित किया गया था और तब से, यह चंद्रमा की सतह पर पहुंचने से पहले कक्षीय प्रक्रियाओं की एक श्रृंखला से गुजरा.

(एएनआई)

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