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सच या झूठ : भारतीय मीडिया का रियलिटी चेक - News criticality index

दुनिया भर में फेक न्यूज (फर्जी समाचार) एक बढ़ते खतरे के रूप में उभरा है, भारत में भी इसमें तेजी देखी गई है. उपभोक्ताओं के लिए फर्जी समाचार का मुद्दा कितना गंभीर है, विश्वसनीय समाचारों के लिए उपभोक्ता किस मीडिया पर अधिक भरोसा करते हैं,चलिए इस पर एक नजर डालते हैं.

भारत में
भारत में
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Published : May 14, 2021, 8:41 AM IST

Updated : May 14, 2021, 8:58 AM IST

हैदराबाद : दुनिया भर में फेक न्यूज (फर्जी समाचार) एक बढ़ते खतरे के रूप में उभरा है, वहीं भारत की बात करें ताे पिछले कुछ वर्षों में विशेष रूप से डिजिटल और सोशल मीडिया में वृद्धि के साथ यह बढ़ा है.

  • सितंबर 2020 में Ormax Media ने Fact या Fake? रिपोर्ट का पहला संस्करण जारी किया है. जिसने इस संबंध में दो प्रश्नों के उत्तर दिए.
  • 1. उपभोक्ताओं के लिए फर्जी समाचार का मुद्दा कितना गंभीर है ?
  • 2. विश्वसनीय समाचारों के लिए उपभोक्ता किस मीडिया पर अधिक भरोसा करते हैं?
  • रिपोर्ट का दूसरा संस्करण हमें यह समझने में मदद करेगा कि तब से लेकर आज तक फर्जी समाचाराें काे लेकर हमारी धारणा कैसे बदल गई है.
  • भारत में हाल ही में इसमें वृद्धि देखी गई है. वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में इस अवधि के आसपास Google सर्च में 119% की भारी वृद्धि देखी गई.
  • COVID-19 के प्रकोप, लॉकडाउन और प्रवासी संकट के दाैरान अप्रैल 2020 में यह चरम पर पहुंच गया था.
  • मार्च 2020 में जब अमेरिका और यूरोप में महामारी का रिकॉर्ड टूटने लगा उस दाैरान वैश्विक स्तर पर फर्ची खबराें में ज्यादा तेजी देखी गई.

न्यूज क्रेटिबिलिटी इंडेक्स (समाचार विश्वसनीयता सूचकांक )

  • भारत में केवल 35% समाचार उपभोक्ता इसे लेकर गंभीर हैं बाकी लाेगाें के लिए यह बड़ी बात नहीं है.
  • न्यूज क्रेडेंशियल इंडेक्स में सात महीने के अंतराल में 4 अंकों की गिरावट देखी गई.

मीडिया क्रेटिबिलिटी इंडेक्स

मीडियासितंबर 2020 अप्रैल 2021
प्रिंट6262
रेडियाे5756
टेलीविजन 5653
एप्स व वेबसाइट्स 4237
साेशल मीडिया3227
मेसेंजर एप 2924

हालांकि, अभी भी पारंपरिक मीडिया काे उच्च विश्वसनीयता हासिल है. समाचार विश्वसनीयता सूचकांक में गिरावट मुख्य रूप से डिजिटल मीडिया में देखा गया है. टेलीविजन ने 3 अंकों की गिरावट दर्ज की है, जिसकी वजह से प्रिंट और टेलीविजन के बीच की विश्वसनीयता काे लेकर फासला ज्यादा हाे गया है.

मीडिया क्रेटिबिलिटी इंडेक्स : साेशल मीडिया एंड मेसेंजर एप

मीडियासितंबर 2020 अप्रैल 2021
ट्वीटर5347
टेलीग्राम3128
इंस्टाग्राम 2926
फेसबुक 3024
कू --24
व्हाट्स एप 2822
  • 65% लाेगाें में पिछले सात महीनों में खबरों की प्रामाणिकता को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.
  • फर्जी समाचार काे लेकर लाेगाें की चिंताएं बढ़ना विज्ञापन राजस्व को प्रभावित कर सकती है. भारत के अलावा दुनिया भर में कंपनियां अपनी ब्रांड सेफ्टी काे लेकर चिंतित हैं.
  • पारंपरिक प्रिंट मीडिया काे डिजिटल मीडिया की तुलना में समाचार के प्रसार में विश्वसनीयता हासिल है. साेशल मीडिया में केवल ट्वीटर को कुछ इस स्तर की विश्वसनीयता प्राप्त है.
  • टेलीविजन में 3 अंक की गिरावट आई है, जिससे प्रिंट और टेलीविजन के बीच का अंतर अब 9 अंक तक बढ़ गया है.

भारतीय समाचार व्यवसाय के लिए इसके क्या मायने है?

फेक न्यूज के इस माहौल में ब्रांड सुरक्षा दुनिया भर में बढ़ती चिंता का विषय रही है. कम से कम भारत में प्रिंट और टेलीविजन, विज्ञापन पर बहुत अधिक निर्भर हैं. ब्रांड के बीच यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या उन्हें विशिष्ट समाचार पत्रों और चैनलों के साथ जुड़ना चाहिए जिन्हें विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है.

इसे भी पढ़ें : पीएम किसान सम्मान निधि के तहत आठवीं किस्त जारी करेंगे प्रधानमंत्री मोदी

फेक न्यूज की बात करें ताे भारत में COVID संकट अगले कुछ महीनों और आने वाले 2024 तक देश में समाचाराें और राजनीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

हैदराबाद : दुनिया भर में फेक न्यूज (फर्जी समाचार) एक बढ़ते खतरे के रूप में उभरा है, वहीं भारत की बात करें ताे पिछले कुछ वर्षों में विशेष रूप से डिजिटल और सोशल मीडिया में वृद्धि के साथ यह बढ़ा है.

  • सितंबर 2020 में Ormax Media ने Fact या Fake? रिपोर्ट का पहला संस्करण जारी किया है. जिसने इस संबंध में दो प्रश्नों के उत्तर दिए.
  • 1. उपभोक्ताओं के लिए फर्जी समाचार का मुद्दा कितना गंभीर है ?
  • 2. विश्वसनीय समाचारों के लिए उपभोक्ता किस मीडिया पर अधिक भरोसा करते हैं?
  • रिपोर्ट का दूसरा संस्करण हमें यह समझने में मदद करेगा कि तब से लेकर आज तक फर्जी समाचाराें काे लेकर हमारी धारणा कैसे बदल गई है.
  • भारत में हाल ही में इसमें वृद्धि देखी गई है. वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में इस अवधि के आसपास Google सर्च में 119% की भारी वृद्धि देखी गई.
  • COVID-19 के प्रकोप, लॉकडाउन और प्रवासी संकट के दाैरान अप्रैल 2020 में यह चरम पर पहुंच गया था.
  • मार्च 2020 में जब अमेरिका और यूरोप में महामारी का रिकॉर्ड टूटने लगा उस दाैरान वैश्विक स्तर पर फर्ची खबराें में ज्यादा तेजी देखी गई.

न्यूज क्रेटिबिलिटी इंडेक्स (समाचार विश्वसनीयता सूचकांक )

  • भारत में केवल 35% समाचार उपभोक्ता इसे लेकर गंभीर हैं बाकी लाेगाें के लिए यह बड़ी बात नहीं है.
  • न्यूज क्रेडेंशियल इंडेक्स में सात महीने के अंतराल में 4 अंकों की गिरावट देखी गई.

मीडिया क्रेटिबिलिटी इंडेक्स

मीडियासितंबर 2020 अप्रैल 2021
प्रिंट6262
रेडियाे5756
टेलीविजन 5653
एप्स व वेबसाइट्स 4237
साेशल मीडिया3227
मेसेंजर एप 2924

हालांकि, अभी भी पारंपरिक मीडिया काे उच्च विश्वसनीयता हासिल है. समाचार विश्वसनीयता सूचकांक में गिरावट मुख्य रूप से डिजिटल मीडिया में देखा गया है. टेलीविजन ने 3 अंकों की गिरावट दर्ज की है, जिसकी वजह से प्रिंट और टेलीविजन के बीच की विश्वसनीयता काे लेकर फासला ज्यादा हाे गया है.

मीडिया क्रेटिबिलिटी इंडेक्स : साेशल मीडिया एंड मेसेंजर एप

मीडियासितंबर 2020 अप्रैल 2021
ट्वीटर5347
टेलीग्राम3128
इंस्टाग्राम 2926
फेसबुक 3024
कू --24
व्हाट्स एप 2822
  • 65% लाेगाें में पिछले सात महीनों में खबरों की प्रामाणिकता को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं.
  • फर्जी समाचार काे लेकर लाेगाें की चिंताएं बढ़ना विज्ञापन राजस्व को प्रभावित कर सकती है. भारत के अलावा दुनिया भर में कंपनियां अपनी ब्रांड सेफ्टी काे लेकर चिंतित हैं.
  • पारंपरिक प्रिंट मीडिया काे डिजिटल मीडिया की तुलना में समाचार के प्रसार में विश्वसनीयता हासिल है. साेशल मीडिया में केवल ट्वीटर को कुछ इस स्तर की विश्वसनीयता प्राप्त है.
  • टेलीविजन में 3 अंक की गिरावट आई है, जिससे प्रिंट और टेलीविजन के बीच का अंतर अब 9 अंक तक बढ़ गया है.

भारतीय समाचार व्यवसाय के लिए इसके क्या मायने है?

फेक न्यूज के इस माहौल में ब्रांड सुरक्षा दुनिया भर में बढ़ती चिंता का विषय रही है. कम से कम भारत में प्रिंट और टेलीविजन, विज्ञापन पर बहुत अधिक निर्भर हैं. ब्रांड के बीच यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या उन्हें विशिष्ट समाचार पत्रों और चैनलों के साथ जुड़ना चाहिए जिन्हें विश्वसनीय नहीं माना जा सकता है.

इसे भी पढ़ें : पीएम किसान सम्मान निधि के तहत आठवीं किस्त जारी करेंगे प्रधानमंत्री मोदी

फेक न्यूज की बात करें ताे भारत में COVID संकट अगले कुछ महीनों और आने वाले 2024 तक देश में समाचाराें और राजनीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.

Last Updated : May 14, 2021, 8:58 AM IST
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