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विशेषज्ञों का पारिस्थितिक संतुलन के लिए कृषि क्षेत्र में सटीक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर

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Published : Sep 9, 2022, 7:22 PM IST

एग्रो केमिकल फेडरेशन ऑफ इंडिया (Agro Chemical Federation of India) द्वारा सतत कृषि में फसल संरक्षण रसायनों की भूमिका पर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया गया. इस चर्चा के दौरान विशेषज्ञों ने अपने-अपने विचार रखे और कृषि क्षेत्र (agricultural sector) में सटीक कृषि और प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया.

एसीएफआई की चर्चा
एसीएफआई की चर्चा

नई दिल्ली: विशेषज्ञों ने कृषि क्षेत्र (agricultural sector) में सटीक कृषि और प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया है, जिससे एक ही समय में उचित विकास प्राप्त करने और पारिस्थितिक संतुलन (ecological balance) बनाए रखने में मदद मिलेगी. यह जानकारी अखिल भारतीय स्तर पर तकनीकी और कीटनाशकों के निर्माताओं/आयातकों का प्रतिनिधित्व करने वाले उद्योग निकाय, एग्रो केमिकल फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) (Agro Chemical Federation of India) द्वारा सतत कृषि में फसल संरक्षण रसायनों की भूमिका पर आयोजित एक पैनल चर्चा में दी गई.

आईसीएआर के पूर्व डीजी डॉ. त्रिलोचन महापात्र (Former DG ICAR Dr. Trilochan Mohapatra) ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि '1950-60 के दशक के शिप टू माउथ सिंड्रोम से बचने के लिए, जनसंख्या में हो रही निरंतर बढ़ोतरी के कारण मांग में बढ़ोतरी के मुकाबले हमारे कृषि उत्पादन को तेज गति से बढ़ाना सबसे ज्यादा जरूरी है. प्रौद्योगिकी और सटीक कृषि पद्धतियों के उपयोग से हमें एक ओर जहां उत्पादन बढ़ाने और पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित करने में मदद मिलेगी. वहीं लगातार बढ़ती पर्यावरणीय (environmental) चिंता के बीच, स्थायी समाधान समय की आवश्यकता है और प्रौद्योगिकी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.'

पढ़ें: आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में आयकर विभाग का छापा

उन्होंने एग्रोकेमिकल फेडरेशन (Agrochemical Federation) को कहा कि वह जीएसटी बिलों के साथ सही और वास्तविक कृषि इनपुट खरीदने के लिए किसानों को जागरूक करें और साथ ही कृषि रसायनों का उपयोग कैसे और कब करें, इसकी भी जानकारी दें. राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण (National Rainfed Area Authority) के सीईओ डॉ. अशोक दलवई ने भी इस पैनल चर्चा के दौरान सतत कृषि में फसल सुरक्षा रसायनों की भूमिका की ओर इशारा करते हुए कहा कि 'भारत में अन्य विकसित देशों की तुलना में कीटनाशकों के उपयोग की सीमा बहुत कम है.'

आगे उन्होंने कहा कि 'हमारे देश को टिकाऊ कृषि के लिए उच्च प्रभावशीलता वाले नवीनतम अणुओं की आवश्यकता है. इसे हासिल करने के लिए उद्योग और कृषि क्षेत्रों को एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है. चूंकि किसी के लिए अकेले लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है, उद्योग को तालमेल हासिल करने के लिए समान विचारधारा वाले उद्योगों के साथ साझेदारी में प्रवेश करना चाहिए.'

नई दिल्ली: विशेषज्ञों ने कृषि क्षेत्र (agricultural sector) में सटीक कृषि और प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया है, जिससे एक ही समय में उचित विकास प्राप्त करने और पारिस्थितिक संतुलन (ecological balance) बनाए रखने में मदद मिलेगी. यह जानकारी अखिल भारतीय स्तर पर तकनीकी और कीटनाशकों के निर्माताओं/आयातकों का प्रतिनिधित्व करने वाले उद्योग निकाय, एग्रो केमिकल फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) (Agro Chemical Federation of India) द्वारा सतत कृषि में फसल संरक्षण रसायनों की भूमिका पर आयोजित एक पैनल चर्चा में दी गई.

आईसीएआर के पूर्व डीजी डॉ. त्रिलोचन महापात्र (Former DG ICAR Dr. Trilochan Mohapatra) ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि '1950-60 के दशक के शिप टू माउथ सिंड्रोम से बचने के लिए, जनसंख्या में हो रही निरंतर बढ़ोतरी के कारण मांग में बढ़ोतरी के मुकाबले हमारे कृषि उत्पादन को तेज गति से बढ़ाना सबसे ज्यादा जरूरी है. प्रौद्योगिकी और सटीक कृषि पद्धतियों के उपयोग से हमें एक ओर जहां उत्पादन बढ़ाने और पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित करने में मदद मिलेगी. वहीं लगातार बढ़ती पर्यावरणीय (environmental) चिंता के बीच, स्थायी समाधान समय की आवश्यकता है और प्रौद्योगिकी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.'

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उन्होंने एग्रोकेमिकल फेडरेशन (Agrochemical Federation) को कहा कि वह जीएसटी बिलों के साथ सही और वास्तविक कृषि इनपुट खरीदने के लिए किसानों को जागरूक करें और साथ ही कृषि रसायनों का उपयोग कैसे और कब करें, इसकी भी जानकारी दें. राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण (National Rainfed Area Authority) के सीईओ डॉ. अशोक दलवई ने भी इस पैनल चर्चा के दौरान सतत कृषि में फसल सुरक्षा रसायनों की भूमिका की ओर इशारा करते हुए कहा कि 'भारत में अन्य विकसित देशों की तुलना में कीटनाशकों के उपयोग की सीमा बहुत कम है.'

आगे उन्होंने कहा कि 'हमारे देश को टिकाऊ कृषि के लिए उच्च प्रभावशीलता वाले नवीनतम अणुओं की आवश्यकता है. इसे हासिल करने के लिए उद्योग और कृषि क्षेत्रों को एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है. चूंकि किसी के लिए अकेले लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है, उद्योग को तालमेल हासिल करने के लिए समान विचारधारा वाले उद्योगों के साथ साझेदारी में प्रवेश करना चाहिए.'

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