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कोविड की तीसरी लहर से पहले विशेषज्ञों ने डेल्टा प्लस पर सावधानी बरतने को कहा

कोरोना महामारी की प्रत्याशित तीसरी लहर से पहले , भारत को डेल्टा प्लस और अन्य वेरिएंट के लिए जीनोमिक अनुक्रमण प्रक्रिया (genomic sequencing process) को बढ़ाने की आवश्यकता है. अभी तक पूरे देश में AY.1 वैरिएंट की बहुत कम उपस्थिति पाई गई है. पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

डॉ सुनीला गर्ग
डॉ सुनीला गर्ग
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Published : Jun 23, 2021, 7:58 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) द्वारा डेल्टा प्लस को चिंता का विषय (variant of concern ) घोषित किए जाने के एक दिन बाद वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (indian Association of Preventive and Social Medicine) की अध्यक्ष डॉ सुनीला गर्ग (Dr Suneela Garg) ने ईटीवी भारत से कहा कि यह उचित समय है कि लोग सख्ती से कोविड उचित व्यवहार का पालन करें.

चूंकि डेल्टा प्लस वैरिएंट (Delta plus variant) में भी बढ़ी हुई ट्रांसमिसिबिलिटी ( transmissibility) और मोनोक्लोनल एंटी बॉडी रिस्पॉन्स (monoclonal anti body respons) में संभावित कमी की विशेषता है, इसलिए डॉ गर्ग ने बताया कि वैक्सीन निर्माता (vaccine manufacturer) को एंटी बॉडी बूस्टर (anti body booster) को बढ़ावा देने के अलावा अपने टीके को लगातार संशोधित करना चाहिए.

वैक्सीन और इम्यूनिटी से बच सकता है डेल्टा प्लस वैरिएंट

डेल्टा वेरिएंट के हालिया म्यूटेशन (mutation) के बाद अब हमें डेल्टा प्लस या AY.1 वेरिएंट मिल गया है. डेल्टा प्लस वैरिएंट वैक्सीन और संक्रमण प्रतिरोधक (infection immunity) क्षमता दोनों से बच सकता है.

ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन एकेडमिक गिल्ड (Organised Medicine Academic Guild ) की अध्यक्ष डॉ गर्ग ने चेतावनी दी है कि हमारे पास एंटी बॉडी भी है, लेकिन डेल्टा प्लस इससे भी बच सकता है. जो लोग एक बार संक्रमित हो जाते हैं, वह भी डेल्टा वैरिएंट स्ट्रेन (Delta variant strain) से संक्रमित हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, 'डेल्टा प्लस में मूल डेल्टा की विशेषताएं हैं, लेकिन यह K417N के रूप में जाना जाने वाला एक म्यूटेशन से गुजरा है. यह दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में बीटा संस्करण (Beta variant) में भी खोजा गया था, जो वैक्सीन से भी बचता है. यह बीटा संस्करण (B.1.351 वंश) में मौजूद है, जिसमें प्रतिरक्षा से बचने की सूचना दी गई थी.'

सबूतों से पता भी चलता है कि बीटा संस्करण वैक्सीन से बचता है. दक्षिण अफ्रीकी सरकार (South African government) ने पहले एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (of Astra Zeneca vaccine) की खेप वापस कर दी थी.

केंद्र ने मंगलवार को डेल्टा प्लस को चिंता का विषय घोषित किया, क्योंकि यह लोगों को अधिक गंभीर और अधिक लोगों को प्रभावित कर सकता है.

40 मामलों की पहचान

अब तक भारत में अनुक्रमित 45000 नमूनों में से इस प्रकार के अब तक लगभग 40 मामलों की पहचान की गई है. यह वेरिएंट महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में देखा गया है. महाराष्ट्र में 21 लोग डेल्टा प्लस से पीड़ित हैं.

उन्होंने कहा, 'हमें निर्धारित करने के लिए और अधिक अनुक्रमण की आवश्यकता है.' हालांकि भारत में डेल्टा प्लस के मामलों की संख्या कम है, ब्रिटेन में बड़ी संख्या में मामले हैं.यह स्ट्रेन 9 देशों में पहुंच चुका है. रविवार तक दुनिया भर में AY.1 वंश के 205 अनुक्रमों का पता चला था, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन में आधे से अधिक मामले थे.

उन्होंने कहा, 'हमें डेल्टा संस्करण का बहुत सावधानी से फॉलो करना होगा, क्योंकि मूल डेल्टा ने दूसरी लहर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.'

डॉ गर्ग ने सुझाव दिया कि भारत को जीनोमिक अनुक्रमण (genomic sequencing ) को अच्छी तरह से करने की आवश्यकता है, जिसका अर्थ है कि हमारे समुदाय के 5 प्रतिशत नमूनों के जीनोमिक अनुक्रमण परीक्षण करने की आवश्यकता है.

पढ़ें - आयुर्वेद vs एलोपैथी विवाद : बाबा ने खटखटाया SC का दरवाजा, कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की

टीकों को अपडेट किया जाए

डॉ गर्ग ने पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (Public Health England ) के अध्ययन के हवाले से कहा कि इस वैरिएंट पर वैक्सीन की प्रभावशीलता के बारे में डॉ गर्ग ने कहा कि वर्तमान टीके वेरिएंट के खिलाफ अच्छा काम कर सकते हैं, लेकिन सभी टीकों को अपडेट किया जाना चाहिए. हमारे पास तीन टीके हैं, कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक. हालांकि एस्ट्रा जेनेका वैक्सीन डेल्टा संस्करण के खिलाफ 60 प्रतिशत प्रभावी है. फाइजर की 88 प्रतिशत प्रभावशीलता है.

उन्होंने कहा कि डेल्टा प्लस जो अप्रैल में मिला था और तीन राज्यों के 40 सैंपल में इसका पता चला था. अब कर्नाटक में भी कुछ मामलों का पता चला है. पहले हमारे पास मुख्य रूप से डेल्टा तनाव था और अब डेल्टा प्लस के अतिरिक्त ने हमें सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ टीकाकरण का सख्ती से पालन करने के लिए मजबूर किया है.

उन्होंने आगे कहा कि एंटीबॉडी पर अधिक डेटा होने का समय है. विभिन्न कंपनियां अब सोच रही हैं कि हमें बूस्टर की आवश्यकता है या हमें अपने टीकों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है. यह भी एक तथ्य है कि टीकों को भी संशोधित करने की आवश्यकता है.

अनलॉक की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए डॉ गर्ग ने कहा कि इस प्रक्रिया में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है. हमें सावधानी के साथ अनलॉक के लिए जाना होगा.साथ ही हमें अपने निगरानी तंत्र (surveillance mechanism) को मजबूत करना होगा.

इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने कहा कि प्रतिरक्षा से बचने, बीमारी की गंभीरता या बढ़ी हुई संचरण क्षमता में AY.1 की भूमिका की लगातार निगरानी की जा रही है.

नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) द्वारा डेल्टा प्लस को चिंता का विषय (variant of concern ) घोषित किए जाने के एक दिन बाद वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (indian Association of Preventive and Social Medicine) की अध्यक्ष डॉ सुनीला गर्ग (Dr Suneela Garg) ने ईटीवी भारत से कहा कि यह उचित समय है कि लोग सख्ती से कोविड उचित व्यवहार का पालन करें.

चूंकि डेल्टा प्लस वैरिएंट (Delta plus variant) में भी बढ़ी हुई ट्रांसमिसिबिलिटी ( transmissibility) और मोनोक्लोनल एंटी बॉडी रिस्पॉन्स (monoclonal anti body respons) में संभावित कमी की विशेषता है, इसलिए डॉ गर्ग ने बताया कि वैक्सीन निर्माता (vaccine manufacturer) को एंटी बॉडी बूस्टर (anti body booster) को बढ़ावा देने के अलावा अपने टीके को लगातार संशोधित करना चाहिए.

वैक्सीन और इम्यूनिटी से बच सकता है डेल्टा प्लस वैरिएंट

डेल्टा वेरिएंट के हालिया म्यूटेशन (mutation) के बाद अब हमें डेल्टा प्लस या AY.1 वेरिएंट मिल गया है. डेल्टा प्लस वैरिएंट वैक्सीन और संक्रमण प्रतिरोधक (infection immunity) क्षमता दोनों से बच सकता है.

ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन एकेडमिक गिल्ड (Organised Medicine Academic Guild ) की अध्यक्ष डॉ गर्ग ने चेतावनी दी है कि हमारे पास एंटी बॉडी भी है, लेकिन डेल्टा प्लस इससे भी बच सकता है. जो लोग एक बार संक्रमित हो जाते हैं, वह भी डेल्टा वैरिएंट स्ट्रेन (Delta variant strain) से संक्रमित हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, 'डेल्टा प्लस में मूल डेल्टा की विशेषताएं हैं, लेकिन यह K417N के रूप में जाना जाने वाला एक म्यूटेशन से गुजरा है. यह दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में बीटा संस्करण (Beta variant) में भी खोजा गया था, जो वैक्सीन से भी बचता है. यह बीटा संस्करण (B.1.351 वंश) में मौजूद है, जिसमें प्रतिरक्षा से बचने की सूचना दी गई थी.'

सबूतों से पता भी चलता है कि बीटा संस्करण वैक्सीन से बचता है. दक्षिण अफ्रीकी सरकार (South African government) ने पहले एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (of Astra Zeneca vaccine) की खेप वापस कर दी थी.

केंद्र ने मंगलवार को डेल्टा प्लस को चिंता का विषय घोषित किया, क्योंकि यह लोगों को अधिक गंभीर और अधिक लोगों को प्रभावित कर सकता है.

40 मामलों की पहचान

अब तक भारत में अनुक्रमित 45000 नमूनों में से इस प्रकार के अब तक लगभग 40 मामलों की पहचान की गई है. यह वेरिएंट महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में देखा गया है. महाराष्ट्र में 21 लोग डेल्टा प्लस से पीड़ित हैं.

उन्होंने कहा, 'हमें निर्धारित करने के लिए और अधिक अनुक्रमण की आवश्यकता है.' हालांकि भारत में डेल्टा प्लस के मामलों की संख्या कम है, ब्रिटेन में बड़ी संख्या में मामले हैं.यह स्ट्रेन 9 देशों में पहुंच चुका है. रविवार तक दुनिया भर में AY.1 वंश के 205 अनुक्रमों का पता चला था, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन में आधे से अधिक मामले थे.

उन्होंने कहा, 'हमें डेल्टा संस्करण का बहुत सावधानी से फॉलो करना होगा, क्योंकि मूल डेल्टा ने दूसरी लहर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.'

डॉ गर्ग ने सुझाव दिया कि भारत को जीनोमिक अनुक्रमण (genomic sequencing ) को अच्छी तरह से करने की आवश्यकता है, जिसका अर्थ है कि हमारे समुदाय के 5 प्रतिशत नमूनों के जीनोमिक अनुक्रमण परीक्षण करने की आवश्यकता है.

पढ़ें - आयुर्वेद vs एलोपैथी विवाद : बाबा ने खटखटाया SC का दरवाजा, कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की

टीकों को अपडेट किया जाए

डॉ गर्ग ने पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (Public Health England ) के अध्ययन के हवाले से कहा कि इस वैरिएंट पर वैक्सीन की प्रभावशीलता के बारे में डॉ गर्ग ने कहा कि वर्तमान टीके वेरिएंट के खिलाफ अच्छा काम कर सकते हैं, लेकिन सभी टीकों को अपडेट किया जाना चाहिए. हमारे पास तीन टीके हैं, कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पूतनिक. हालांकि एस्ट्रा जेनेका वैक्सीन डेल्टा संस्करण के खिलाफ 60 प्रतिशत प्रभावी है. फाइजर की 88 प्रतिशत प्रभावशीलता है.

उन्होंने कहा कि डेल्टा प्लस जो अप्रैल में मिला था और तीन राज्यों के 40 सैंपल में इसका पता चला था. अब कर्नाटक में भी कुछ मामलों का पता चला है. पहले हमारे पास मुख्य रूप से डेल्टा तनाव था और अब डेल्टा प्लस के अतिरिक्त ने हमें सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ टीकाकरण का सख्ती से पालन करने के लिए मजबूर किया है.

उन्होंने आगे कहा कि एंटीबॉडी पर अधिक डेटा होने का समय है. विभिन्न कंपनियां अब सोच रही हैं कि हमें बूस्टर की आवश्यकता है या हमें अपने टीकों पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है. यह भी एक तथ्य है कि टीकों को भी संशोधित करने की आवश्यकता है.

अनलॉक की प्रक्रिया का जिक्र करते हुए डॉ गर्ग ने कहा कि इस प्रक्रिया में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है. हमें सावधानी के साथ अनलॉक के लिए जाना होगा.साथ ही हमें अपने निगरानी तंत्र (surveillance mechanism) को मजबूत करना होगा.

इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) ने कहा कि प्रतिरक्षा से बचने, बीमारी की गंभीरता या बढ़ी हुई संचरण क्षमता में AY.1 की भूमिका की लगातार निगरानी की जा रही है.

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