नई दिल्ली : राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर तीन नए कृषि कानूनों ( three Agricultural Laws) को वापस लेने की घोषणा कर दी. इसके बाद विपक्षी पार्टियां इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साध रही हैं.
राजद सुप्रीमो लालू यादव ने कहा कि विपक्ष एवं किसानों के दबाव में आकर केंद्र सरकार ने कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है. यह बिल किसानों के हित के लिए बिल्कुल नहीं था, इससे किसानों को सिर्फ नुकसान होता. उन्होंने कहा कि अगले साल पांच राज्यों में चुनाव होने हैं, उसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने यह निर्णय लिया है.
'भाजपा को चुनाव में नहीं मिलेगा फायदा'
लालू यादव ने कहा कि पंजाब, यूपी समेत पांच राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. कृषि कानूनों को वापस ले लेने से भाजपा को इन चुनावों में कोई फायदा नहीं होगा. किसान आंदोलन में कई किसानों की मौत हो गई. कई लोगों को जेल भेज दिया गया. जेल में पीटा गया. केंद्र सरकार कहती रही कि किसान आंदोलन में पाकिस्तानी, खालिस्तानी घुसा है. केंद्र सरकार ने आंदोलन को रोकने की पूरी कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो पाई. अंत में उसको झुकना पड़ा.
'कानून वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करे सरकार'
लालू यादव ने कहा कि किसान आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है. विपक्ष सरकार को घेरने का काम करता रहेगा. संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है. हमारी मांग है कि सत्र शुरू होते ही इस कानून को वापस लेने की प्रक्रिया को सरकार को शुरू कर देना चाहिए.
बता दें पीएम मोदी ने आज तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान कर दिया है. पीएम ने कहा कि किसानों के हित के लिए हम यह बिल लाए थे लेकिन किसानों के एक वर्ग को हम लोग समझा नहीं पाए. इस कानून को वापस लेने के लिए किसान संगठन पिछले 1 साल से लगातार प्रदर्शन कर रहे थे. उनकी मांग थी कि इस कानून को जल्द से जल्द वापस लिया जाए. विपक्षी दल भी लगातार आंदोलन कर रहे थे और इस बिल को वापस लेने का दबाव केंद्र सरकार पर डाल रहे थे.
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