रायपुर: सुकमा का ताड़मेटला एनकाउंटर मामला दिन ब दिन तूल पकड़ता जा रहा है. ग्रामीणों के विरोध के बीच अब आबकारी मंत्री कवासी लखमा का बयान सामने आया है. मामले में आबकारी मंत्री ने जांच की बात कही है. मंत्री लखमा ने कहा है कि, "इस पूरे मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही 6 माह के भीतर जांच की रिपोर्ट सौंपने की भी बात कही है."
मामले में होगी मजिस्ट्रियल जांच: दरअसल, ताड़मेटला आबकारी मंत्री के विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पड़ता है. इस एनकाउंटर में बढ़ रहे विवाद के बीच आबकारी मंत्री ने मामले में हस्तक्षेप किया है. इस मुद्दे पर आबकारी मंत्री ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि, "ताड़मेटला मेरे कोंटा विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पड़ता है. मैंने इस मुठभेड़ को लेकर पुलिस से जानकारी ली है.उन्होंने बताया कि बीते 5 सितंबर को सुकमा जिला की पुलिस और सीआरपीएफ के जवान ताड़मेटला इलाके में सर्चिंग के लिए गए थे. वहां पुलिस जवानों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ में दो नक्सली मारे गए. मारे गए नक्सलियों पर एक-एक लाख का इनाम घोषित था. उनके नाम रवा देवा और सोढ़ी कोसा है. घटना के बाद दोनों के शवों को गांव के पास ही जंगल में जला दिया गया था. गांव के लोग इसे फर्जी एनकाउंटर बता रहे हैं. सीएम ने इस मामले में मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं."
ताड़मेटला एनकाउंटर मामले की जांच के लिए मुख्यमंत्री ने मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं. साथ ही 6 माह के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने की भी बात कही है.- कवासी लखमा, आबकारी मंत्री छत्तीसगढ़
लगातार बढ़ रहा विवाद: इस मामले में ग्रामीणों ने जवानों का विरोध किया है. ग्रामीणों ने ताड़मेटला एनकाउंटर को फर्जी एनकाउंटर करार दिया है. इस पूरे मामले में लगातार विवाद बढ़ रहा है. एक ओर जवान दोनों मृतकों के नक्सली होने का दावा कर रहे हैं. तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि मारे गए दोनों शख्स नक्सली नहीं थे. वहीं, इस मामले में नक्सलियों ने भी विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि ताड़मेटला एनकाउंटर फर्जी है. इस पर बस्तर के आईजी सुन्दरराज पी ने नक्सलियों को सही दस्तावेज पेश करने की बात कही थी. साथ ही चेतावनी भी दी थी. लगातार बढ़ते विवाद के बीच अब मामले मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए गए हैं.
क्या होता है मजिस्ट्रियल जांच: अक्सर ऐसे मुठभेड़ के बाद हो रहे विवाद के बाद मजिस्ट्रियल जांच की जाती है. पुलिस फायरिंग के दौरान होने वाली मौत के सभी मामलों में आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 176 के तहत मजिस्ट्रियल जांच की जाती है. इसकी रिपोर्ट न्यायिक मजिस्ट्रेट को भेजी जाती है.