चेन्नई : पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव केशव देसीराजू का सोमवार को चेन्नई के बसंत नगर शवदाह गृह में अंतिम संस्कार किया गया. बता दें कि रविवार सुबह को चेन्नई के एक अस्पताल में केशव देसीराजू का निधन हो गया था. 66 वर्षीय आईएएस अधिकारी तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम (Acute Coronary Syndrome) से पीड़त थे.
देश के पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के पोते केशव देसीराजू उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी थे. उत्तराखंड कैडर के 1978 बैच के आईएएस अधिकारी केशव देसीराजू उत्तराखंड के इतिहास में अब तक के सबसे ईमानदार और जन भावनाओं से जुड़े अधिकारी माने जाते थे. वह वर्ष 1988 से 1990 तक अल्मोड़ा के डीएम रहे.
खास बात यह है कि उनका निधन शिक्षक दिवस पर हुआ, जो उनके दादा और पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में उनके जन्मदिवस पर मनाया जाता है.
देसीराजू 2016 में सेवानिवृत्त हुए थे. उन्होंने केंद्र सरकार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विभिन्न सरकारों में काम किया था. उत्तराखंड में एमरजेंसी सेवा 108 की स्थापना का श्रेय भी केशव देसीराजू को जाता है. 108 सेवा को उत्तराखंड में स्थापित करने की पूरी रणनीति और दूरदर्शिता केशव देसीराजू की ही थी. वह उत्तराखंड के विषम भौगोलिक परिस्थितियों से वाकिफ थे और यहां के पहाड़ जैसे जीवन से भी वह बहुत करीबी नाता रखते थे.
तबादले को लेकर हुआ था विवाद
यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान 2014 में उनके तबादले को लेकर विवाद हो गया था. उस समय वह केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव थे. विवाद इस बात को लेकर था कि बिना अगले स्वास्थ्य सचिव का नाम क्लियर हुए ही, उन्हें पद से हटा दिया गया था. वह इस पद पर मात्र एक साल तक रहे थे. यही सवाल जब पूर्व कैबिनेट सचिव टीएस सुब्रमण्यम से पूछा गया था, तो उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट का उल्लंघन बताया था.
कोर्ट के अनुसार सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनाती के बाद उनका कार्यकाल दो साल का होना चाहिए. हालांकि, यही सवाल जब देसीराजू से पूछा गया तो उन्होंने इसे बहुत अधिक तूल नहीं दिया. उन्होंने कहा था कि तबादला तो रूटिन मामला होता है.
उस समय की मीडिया रिपोर्ट बताती है कि उन्होंने तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद के कई फैसलों पर आपत्ति जताई थी. इन्हीं में से एक फैसला था- इंडियन मेडिकल काउंसल में डॉ. केतन देसाई की वापसी. देसाई पर 2010 में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. सीबीआई ने उनकी गिरफ्तारी की थी.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रायबरेली में एम्स खोलने की घोषणा होने के बाद बहुत सारे क्लियरेंस की जरूरत थी. देसीराजू एक सख्त अधिकारी थे. इसलिए उन्होंने पूरा ब्योरा मांगा. इस फैसले से भी स्वास्थ्य मंत्री थोड़े असहज थे.
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देसीराजू ने स्वास्थ्य विभाग में 2010 में बतौर अतिरिक्त सचिव ज्वाइन किया था. 2012 में उनका प्रमोशन स्पेशल सेकेट्री के तौर पर किया गया था. एक साल तक स्वास्थ्य सचिव रहे. उसके बाद स्वास्थ्य सचिव पद से हटाकर उन्हें उपभोक्ता मामलों के विभाग में भेज दिया गया था. यहीं से वह 2016 में रिटायर हुए. रिटायरमेंट के बाद वह पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन बने थे. उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र से एमएए किया था. पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में जॉन एफ कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्मेंट से एमए की डिग्री ली थी.