हैदराबाद : यूक्रेन में अभी भी 14-15 हजार भारतीय छात्र फंसे हुए हैं. बमबारी के बीच एक भारतीय छात्र की मौत भी हो चुकी है. पीएम मोदी ने दो दिन पहले ही वहां से छात्रों के निकालने के लिए अपने चार मंत्रियों को यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा है, ताकि वे भारतीयों को बाहर निकालने में मदद कर सकें. इस बीच विपक्षी पार्टियों ने मोदी सरकार के ढीले रवैये पर सवाल उठाए हैं. पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा कि खाड़ी युद्ध (1990) के दौरान भारत ने इससे कहीं अधिक नागरिकों को सुरक्षित वापस निकाल लिया था.
सिन्हा ने कहा कि 1990 में अगस्त से लेकर अक्टूबर महीने तक भारत ने 1.70 लाख लोगों को बाहर निकाला था. उस समय देश के इंद्र कुमार गुजराल विदेश मंत्री थे. लेकिन आज की मोदी सरकार मात्र 18 हजार छात्रों को बाहर निकालने में कामयाब नहीं हो पा रही है.
सिन्हा ने पीएम मोदी की आलोचना करते हुए कहा कि 'पीएम यूपी की चुनावी रैलियों में इस ऑपरेशन (ऑपरेशन गंगा) का जिक्र कर रहे हैं.' सिन्हा ने कहा कि पीएम के लिए इन शब्दों का उपयोग करना ठीक नहीं है, क्योंकि फंसे हुए भारतीयों को बाहर निकालना सरकार का कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि वैसे भी सरकार को सफलता तो अभी मिली नहीं है, फिर किस बात की वाहवाही है.
पूर्व विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार को पता था कि संकट आने वाला है. तब यूक्रेन का हवाई क्षेत्र भी खुला था लेकिन भारत ने बहुत देरी कर दी. उन्होंने कहा कि सरकार ने कोई भी इमरजेंसी योजना ही नहीं बनाई थी, और अब चार मंत्रियों को भेज दिया. यह कदम तो पहले ही उठाया जाना चाहिए था.
1990 में करीब पांच सौ उड़ानें भरी गई थीं
आपको बता दें कि 13 अगस्त से 11 अक्टूबर 1990 तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में अम्मान और भारत के बीच करीब पांच सौ उड़ानें भरी गई थीं. दो अगस्त 1990 को खाड़ी युद्ध की शुरुआत हुई थी. वहां फंसे पौने दो लाख भारतीयों को सुरक्षित सरकार ने निकाला था. इसके लिए विदेश मंत्री इंद्र कुमार गुजराल, अतिरिक्त सचिव आईपी खोसला बगदाद पहुंचे थे, जहां गुजराल की मुलाक़ात सद्दाम हुसैन से हुई थी. इस मुलाकात में सद्दाम हुसैन ने गुजराल को गले लगाया था. इसके बाद सद्दाम ने भारतीयों के रेस्क्यू ऑपरेशन करने की इजाजत दे दी थी.
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