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केरल विधानसभा चुनाव: सीनियर कम्युनिस्ट नेता ने साझा की पुरानी यादें

केरल विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत गर्मा चुकी है. सभी नेता वोटरों को अपनी ओर खींचना चाहते हैं. यह तो समय बताएगा कि ऊंट किस करवट बैठेगा.

kerala assembly elections
वरिष्ठ कम्युनिस्ट लीडर एमएम लॉरेंस
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Published : Mar 15, 2021, 10:09 AM IST

एर्नाकुलम: केरल विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं. राज्य की सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियां चुनावी मैदान में उतर चुकी है. वहीं, चुनाव से पहले वरिष्ठ कम्युनिस्ट लीडर एमएम लॉरेंस ने अपनी पुरानी यादों को ताजा किया.

पुरानी यादों का पिटारा खोलते हुए लॉरेंस बताते हैं कि जब मैं 18 साल का था तब कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य बना. उसके बाद मुझे एडापल्ली पुलिस स्टेशन पर हमले में मुख्य आरोपी बनाया गया. इस दौरान मुझे अलग-अलग चरणों में 6 साल की सजा सुनाई गई. उन्होंने कहा कि मैं शुरूआत से ही पार्टी का एक कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ता था. इसके बावजूद भी मुझ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई. उनकी यह सब यादें केरल राज्य के गठन से परे हैं. गहरी सांस लेते हुए लॉरेंस ने यादों के पिटारों को खोला. उन्होंने कहा कि इस समय राज्य में चारों तरफ चुनाव का शोर है और मैं पुरानी यादें लेकर बैठा हूं.

कम्युनिस्ट पार्टी के सीनियर लीडर एमएम लॉरेंस ने बताया कि मैंने 1950 में पहला विधानसभा चुनाव थिरु कोच्चि से लड़ा था. उस समय मेरी उम्र मात्र 24 साल थी. उन्होंने कहा कि जिस विधानसभा क्षेत्र से मैं चुनाव लड़ रहा था वहां लैटिन कैथोलिक समुदाय का प्रभुत्व था. लॉरेंस ने कहा कि कांग्रेस के उम्मीदवार एएल जैकब उसी समुदाय के सदस्य थे. पहली बार चुनाव में खड़े एमएम लॉरेंस को जीत की कोई उम्मीद नहीं थी. उनका मात्र उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करना था. लॉरेंस को यह भी याद है कि क्रिश्चियन चर्च ने खुले तौर पर कम्युनिस्टों को वोट देने की बजाए चर्च के गुंडों को वोट देने के लिए कहा था.

लॉरेंस का कहना है कि वह उसी घटना को नहीं भूल सकते जो उसी चुनाव के दौरान हुई थी. जब वह एर्नाकुलम बोलगेट्टी सेंट सेबेटियन स्कूल स्कूल में एक बूथ का दौरा कर रहे थे. लॉरेंस ने एक वृद्ध महिला, जिसे वह अम्मम्मा कहते थे, उससे वोट देने के लिए अनुरोध किया. उनके अनुरोध करने पर वृद्ध महिला ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं एक कम्युनिस्ट को वोट देकर नरक जाना नहीं चाहती. इन सबको देखते हुए लॉरेंस ने कहा कि कम्युनिस्ट को लेकर सबके मन में कैसे ख्याल थे, लेकिन लॉरेंस ने उस समय के चुनाव को पार्टी के लिए एक अवसर पाया. यह समय था कि लोगों को कम्युनिस्ट पार्टी के सिद्धातों को बताया जाए. उन्होंने बताया कि उस समय राजनीतिक पार्टियां उम्मीदवारों के पोस्टर का उपयोग कर अभियान चलाते थे.

हालांकि, कम्युनिस्ट पार्टी ने चित्रों के साथ प्रचार करने से बचने का फैसला किया. तब चुनाव प्रचार में रंगीन पोस्टर छापने के लिए ऑफसेट प्रेस नहीं हुआ करते थे. अखबारी कागजों पर स्याही से लिखकर पोस्टर केवल हाथ से तैयार किए जा सकते थे. उस दौरान एर्नाकुलम में नकली वोटों का बड़ा असर खेल चल रहा था. उन्होंने कांग्रेस पर फर्जी वोटिंग का आरोप भी लगाया.

पढ़ें: केरल महिला कांग्रेस अध्यक्ष लतिका सुभाष का इस्तीफा, पार्टी मुख्यालय के सामने मुंडन

एमएम लॉरेंस ने कहा कि उस समय वोट डालने वालों को शराब परोसने की भी प्रथा थी. लॉरेंस कहते हैं कि हमने ऐसा नहीं किया. चुनावों में जीत या हार ने मुझे बिल्कुल प्रभावित नहीं किया. हालांकि मुझे केरल विधानसभा के लिए चुने जाने की लालसा थी. वर्तमान विधानसभा में चर्चाओं को देखते हुए लॉरेंस को लगता है कि वह विधानसभा में बेहतर तरीके से हस्तक्षेप कर सकते थे. लारेंस ने इडुक्की निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा में 1980 में चुनाव जीता. एमएम लॉरेंस, जिन्होंने एर्नाकुलम में श्रमिक वर्ग के विकास के लिए आंदोलन शुरू किया था.

एर्नाकुलम: केरल विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं. राज्य की सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियां चुनावी मैदान में उतर चुकी है. वहीं, चुनाव से पहले वरिष्ठ कम्युनिस्ट लीडर एमएम लॉरेंस ने अपनी पुरानी यादों को ताजा किया.

पुरानी यादों का पिटारा खोलते हुए लॉरेंस बताते हैं कि जब मैं 18 साल का था तब कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य बना. उसके बाद मुझे एडापल्ली पुलिस स्टेशन पर हमले में मुख्य आरोपी बनाया गया. इस दौरान मुझे अलग-अलग चरणों में 6 साल की सजा सुनाई गई. उन्होंने कहा कि मैं शुरूआत से ही पार्टी का एक कर्तव्यनिष्ठ कार्यकर्ता था. इसके बावजूद भी मुझ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई. उनकी यह सब यादें केरल राज्य के गठन से परे हैं. गहरी सांस लेते हुए लॉरेंस ने यादों के पिटारों को खोला. उन्होंने कहा कि इस समय राज्य में चारों तरफ चुनाव का शोर है और मैं पुरानी यादें लेकर बैठा हूं.

कम्युनिस्ट पार्टी के सीनियर लीडर एमएम लॉरेंस ने बताया कि मैंने 1950 में पहला विधानसभा चुनाव थिरु कोच्चि से लड़ा था. उस समय मेरी उम्र मात्र 24 साल थी. उन्होंने कहा कि जिस विधानसभा क्षेत्र से मैं चुनाव लड़ रहा था वहां लैटिन कैथोलिक समुदाय का प्रभुत्व था. लॉरेंस ने कहा कि कांग्रेस के उम्मीदवार एएल जैकब उसी समुदाय के सदस्य थे. पहली बार चुनाव में खड़े एमएम लॉरेंस को जीत की कोई उम्मीद नहीं थी. उनका मात्र उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा वोट हासिल करना था. लॉरेंस को यह भी याद है कि क्रिश्चियन चर्च ने खुले तौर पर कम्युनिस्टों को वोट देने की बजाए चर्च के गुंडों को वोट देने के लिए कहा था.

लॉरेंस का कहना है कि वह उसी घटना को नहीं भूल सकते जो उसी चुनाव के दौरान हुई थी. जब वह एर्नाकुलम बोलगेट्टी सेंट सेबेटियन स्कूल स्कूल में एक बूथ का दौरा कर रहे थे. लॉरेंस ने एक वृद्ध महिला, जिसे वह अम्मम्मा कहते थे, उससे वोट देने के लिए अनुरोध किया. उनके अनुरोध करने पर वृद्ध महिला ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं एक कम्युनिस्ट को वोट देकर नरक जाना नहीं चाहती. इन सबको देखते हुए लॉरेंस ने कहा कि कम्युनिस्ट को लेकर सबके मन में कैसे ख्याल थे, लेकिन लॉरेंस ने उस समय के चुनाव को पार्टी के लिए एक अवसर पाया. यह समय था कि लोगों को कम्युनिस्ट पार्टी के सिद्धातों को बताया जाए. उन्होंने बताया कि उस समय राजनीतिक पार्टियां उम्मीदवारों के पोस्टर का उपयोग कर अभियान चलाते थे.

हालांकि, कम्युनिस्ट पार्टी ने चित्रों के साथ प्रचार करने से बचने का फैसला किया. तब चुनाव प्रचार में रंगीन पोस्टर छापने के लिए ऑफसेट प्रेस नहीं हुआ करते थे. अखबारी कागजों पर स्याही से लिखकर पोस्टर केवल हाथ से तैयार किए जा सकते थे. उस दौरान एर्नाकुलम में नकली वोटों का बड़ा असर खेल चल रहा था. उन्होंने कांग्रेस पर फर्जी वोटिंग का आरोप भी लगाया.

पढ़ें: केरल महिला कांग्रेस अध्यक्ष लतिका सुभाष का इस्तीफा, पार्टी मुख्यालय के सामने मुंडन

एमएम लॉरेंस ने कहा कि उस समय वोट डालने वालों को शराब परोसने की भी प्रथा थी. लॉरेंस कहते हैं कि हमने ऐसा नहीं किया. चुनावों में जीत या हार ने मुझे बिल्कुल प्रभावित नहीं किया. हालांकि मुझे केरल विधानसभा के लिए चुने जाने की लालसा थी. वर्तमान विधानसभा में चर्चाओं को देखते हुए लॉरेंस को लगता है कि वह विधानसभा में बेहतर तरीके से हस्तक्षेप कर सकते थे. लारेंस ने इडुक्की निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा में 1980 में चुनाव जीता. एमएम लॉरेंस, जिन्होंने एर्नाकुलम में श्रमिक वर्ग के विकास के लिए आंदोलन शुरू किया था.

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