गुवाहाटी : असम विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी और विपक्षी दलों के लिए तमाम चुनौतियां हैं. वहीं, राज्य में असम गण परिषद की हालत भी ठीक नहीं है. बता दें, राज्य के पूर्व सीएम प्रफुल्ल कुमार महंत ने 6 साल चले छात्र आंदोलन के बाद असम गण परिषद नाम से पार्टी की स्थापना की थी. आज इस पार्टी की यह हालत है कि कोई भी क्षेत्रीय पार्टी उसका साथ नहीं दे रही है.
प्रफुल्ल कुमार महंत और उनके समर्थक राज्य में पार्टी को मजबूत करने में जुटे हैं. असम गण परिषद दो बार 1985 और 1996 में राज्य में सत्ता में रही. पार्टी के अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महंत ने 2005 में पार्टी का विभाजन कर एक गुट को असम गण परिषद (प्रगतिशील) नाम दिया. हालांकि तीन साल बाद 2008 में एक बार फिर से दोनों गुट एक हो गए.
इस बार असम विधानसभा चुनाव में असम गण परिषद ने भारतीय जनता पार्टी का साथ पकड़ा है. वहीं, बरहामपुर सीट को भी भगवा पार्टी के हवाले कर दिया है. असम गण परिषद के नेतृत्व का कहना है कि यह सीट बीजेपी को इसलिए दी गई है क्योंकि प्रफुल्ल कुमार महंत के जीतने की कोई उम्मीद नहीं है. बता दें, 2016 के असम विधानसभा चुनाव में महंत केवल 5000 मतों के अंतर से जीते थे. वहीं, भाजपा ने बिना देर किए पहले जीतू गोस्वामी को बरहामपुर सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया है.
पूर्व मुख्यमंत्री को टिकट देने से इंकार करने पर राज्य के लोगों को कोई हैरानी नहीं हुई. इसका कारण यह है कि राज्य के पूर्व सीएम का रुख सीएए के खिलाफ था. 2016 के विधानसभा चुनावों में भी महंत बीजेपी के खिलाफ थे. दो बार के मुख्यमंत्री रह चुके महंत विभिन्न मुद्दों पर असम गण परिषद के वर्तमान नेतृत्व के खिलाफ बहुत मुखर रहे थे.
प्रफुल्ल कुमार महंत की पत्नी, पूर्व सांसद और प्रसिद्ध लेखिका जयश्री गोस्वामी महंत ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में असम गण परिषद की बैठक में भी प्रफुल्ल कुमार महंत को बुलाया तक नहीं गया. उन्होंने कहा कि सीएए ऐसा मुद्दा है जो असम को प्रभावित करने वाला है. इसलिए महंत ने कई बार अपनी बात स्पष्ट की है. उन्होंने कभी सीएए का समर्थन नहीं किया और उन्होंने इसके बारे में खुलकर बात भी की.
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प्रफुल्ल कुमार महंत की पत्नी ने कहा कि महंत बहरामपुर निर्वाचन क्षेत्र से ही चुनाव लड़ेंगे क्योंकि जनता अभी भी उनसे प्यार करती है. उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन का समर्थन करने के पक्ष में हैं ताकि आगामी चुनावों में भाजपा को हराया जा सके.