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काबुल में तालिबान : अफगानी नागरिकों का छलका दर्द, परिवार-दोस्तों को लेकर परेशान

अफगानिस्तान में तालिबान रिटर्न्स के बाद हालात बेकाबू हो गए हैं. लोगों में दहशत है कि आने वाला वक्त कैसा होगा. लोग घरों में दुबक कर रहने को मजबूर हैं. वहीं, दिल्ली में रह रहे अफगानी नागरिकों का कहना है कि देश को जब नेताओं की सबसे ज्यादा चिंता थी, उस समय ये लोग देश छोड़कर भाग गए हैं.

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Published : Aug 16, 2021, 8:24 PM IST

नई दिल्ली : अफगानिस्तान पर, अब तालिबान का कब्जा हो चुका है. राष्ट्रपति अशरफ गनी पहले ही देश छोड़कर भाग चुके हैं. यहां फंसे आम लोगों के लिए बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. अफगानिस्तान में अफरा-तफरी मची हुई है. अफगानी मूल के लोग दिल्ली में भी रहते हैं. उनकी भी चिंताएं बढ़ गई हैं. ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली के भोगल इलाके और अफगानिस्तान दूतावास में रहने वाले लोगों से बातचीत कर उनकी चिंता जानने की कोशिश की.

अफगानिस्तान के रहने वाले क़दीर खान अब दिल्ली के भोगल में अपनी जिंदगी संवार रहे हैं, लेकिन उनकी आंखों में काबुल का दर्द और डर दोनों एक साथ नजर आता है. कदीर ने कहा कि कुछ न कुछ ऐसा खेल हुआ कि अचानक तालिबान बढ़ता चला गया. हमें अपने मुल्क की आर्मी पर पूरा भरोसा था. हमारी आर्मी बहुत अच्छी थी. पाकिस्तान, चीन, ईरान सारी ताक़तें हमारे मुल्क का माहौल खराब करने में लग गईं. इसीलिए हमारे मुल्क में तालिबान फिर आ गया.

परिवार-दोस्तों को लेकर परेशान

बताया तालिबान का जुल्म

अफगानिस्तान से सात साल पहले दिल्ली आए कदीर ने अफगानिस्तान में तालिबान का वो दौर देखा है जिसमें कई पाबंदियां थीं. नमाजी मुसलमान को भी जबरन कई बार सिर्फ इसीलिए नमाज पढ़वाई जाती थी ताकि तालिबान शक दूर कर सके. कदीर कहते हैं कि महिलाओं और बच्चियों पर तो जुल्म की इतनी इंतेहा थी कि न खुली हवा नसीब थी और न ही पढ़ाई.

काबुल में तालिबान

दिल्ली के भोगल इलाके में रहने वाले अफगानी लोगों ने बताया कि भारत में लंबे समय से वह रह रहे हैं. कई जानकार और परिजन पाकिस्तान में हैं, उनसे लगातार बात हो रही है. वहां की स्थिति काफी चिंताजनक है. लोग घरों में बंद हैं. लोगों ने बताया कि हमने तालिबान का दौर देखा है. वह काफी जुल्म करते थे. उन्होंने औरतों पर ज्यादा जुल्म किया है. वह जबरदस्ती नमाज पढ़ाते थे. दाढ़ी और मूंछ बढ़ावाते थे. घूमने की आजादी नहीं थी.

पाकिस्तान को ठहराया जिम्मेदार

कई तरीके की बंदिशें तालिबान द्वारा लगाया जाता था. अब एक बार फिर से तालिबानी अफगानिस्तान में आ गए हैं. हम लोग काफी चिंतित हैं. वर्ल्ड कम्युनिटी को इस दिशा में कुछ करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम लोगों को समझ नहीं आ रहा कि इतनी जल्दी अफगान सेना कैसे हार गई. तालिबान का कब्जा अफगानिस्तान पर कैसे हो गया?

अफगानी नागरिकों का छलका दर्द

अफगानी नागरिक अदीबा ने कहा कि तालिबान ने अफगानिस्तान को पूरी तरह कब्जे में ले लिया है. अफगानिस्तान में स्थिति बहुत खराब हो गई है. वह चिंतित हैं कि आगे क्या होने वाला है. इसके लिये पाकिस्तान जिम्मेदार है. वह हमेशा से अफगानिस्तान के मामलों में दखलअंदाजी करते रहा है. उन्होंने कहा कि वहां पर अभी उनके परिवार के कई सदस्य फंसे हुए हैं वह सभी डरे हुए हैं. वह अपने दोस्तों को लेकर भी काफी चिंतित है. दोस्तों से जब बात हुई, तो वह कहने लगे कि तुम सुरक्षित जगह हो, अपनी पढ़ाई जारी रख सकती हो, लेकिन हम सभी पढ़ाई को लेकर काफी चिंतित है.

'शरणार्थी बनाकर ही लाया जाए'

अदीबा ने कहा कि वहां सभी डरे हुए हैं. इसलिए वह दूतावास आईं है कि उनके परिवार को यहां शरणार्थी बनाकर ही लाया जाए. अफगानिस्तान के नेताओं पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वह स्थिति को संभालने में पूरी तरह से विफल रहे हैं. जब देश संकट में है, तो सभी देश को संभालने की जगह छोड़कर भाग गए हैं. उन्होंने विश्व भर के नेताओं से अफगानिस्तान की मदद करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि वह तालिबान को मान्यता न दें.

अफगानिस्तान के रहने वाले अब्दुल्ला ने कहा कि वह अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर चिंतित हैं. उनके परिवार के कई लोग वहां पर फंसे हुए हैं. उन्होंने सभी विश्व के नेताओं से अफगानिस्तान की मदद करने की भी अपील की है. अफगानिस्तान में जो स्थिति है, उसके लिए पाकिस्तान और इराक पूरी तरह से जिम्मेदार है. बता दें कि कट्टरपंथी संगठन तालिबान ने रविवार को अफगानिस्तान को कब्जे में ले लिया था. देश के तमाम बड़े नेता हालात देखकर देश छोड़कर भाग गए हैं.

ये भी पढ़ें : अफगानिस्तान : काबुल एयरपोर्ट पर हालात बेकाबू, गोलीबारी में पांच की मौत

नई दिल्ली : अफगानिस्तान पर, अब तालिबान का कब्जा हो चुका है. राष्ट्रपति अशरफ गनी पहले ही देश छोड़कर भाग चुके हैं. यहां फंसे आम लोगों के लिए बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. अफगानिस्तान में अफरा-तफरी मची हुई है. अफगानी मूल के लोग दिल्ली में भी रहते हैं. उनकी भी चिंताएं बढ़ गई हैं. ईटीवी भारत की टीम ने दिल्ली के भोगल इलाके और अफगानिस्तान दूतावास में रहने वाले लोगों से बातचीत कर उनकी चिंता जानने की कोशिश की.

अफगानिस्तान के रहने वाले क़दीर खान अब दिल्ली के भोगल में अपनी जिंदगी संवार रहे हैं, लेकिन उनकी आंखों में काबुल का दर्द और डर दोनों एक साथ नजर आता है. कदीर ने कहा कि कुछ न कुछ ऐसा खेल हुआ कि अचानक तालिबान बढ़ता चला गया. हमें अपने मुल्क की आर्मी पर पूरा भरोसा था. हमारी आर्मी बहुत अच्छी थी. पाकिस्तान, चीन, ईरान सारी ताक़तें हमारे मुल्क का माहौल खराब करने में लग गईं. इसीलिए हमारे मुल्क में तालिबान फिर आ गया.

परिवार-दोस्तों को लेकर परेशान

बताया तालिबान का जुल्म

अफगानिस्तान से सात साल पहले दिल्ली आए कदीर ने अफगानिस्तान में तालिबान का वो दौर देखा है जिसमें कई पाबंदियां थीं. नमाजी मुसलमान को भी जबरन कई बार सिर्फ इसीलिए नमाज पढ़वाई जाती थी ताकि तालिबान शक दूर कर सके. कदीर कहते हैं कि महिलाओं और बच्चियों पर तो जुल्म की इतनी इंतेहा थी कि न खुली हवा नसीब थी और न ही पढ़ाई.

काबुल में तालिबान

दिल्ली के भोगल इलाके में रहने वाले अफगानी लोगों ने बताया कि भारत में लंबे समय से वह रह रहे हैं. कई जानकार और परिजन पाकिस्तान में हैं, उनसे लगातार बात हो रही है. वहां की स्थिति काफी चिंताजनक है. लोग घरों में बंद हैं. लोगों ने बताया कि हमने तालिबान का दौर देखा है. वह काफी जुल्म करते थे. उन्होंने औरतों पर ज्यादा जुल्म किया है. वह जबरदस्ती नमाज पढ़ाते थे. दाढ़ी और मूंछ बढ़ावाते थे. घूमने की आजादी नहीं थी.

पाकिस्तान को ठहराया जिम्मेदार

कई तरीके की बंदिशें तालिबान द्वारा लगाया जाता था. अब एक बार फिर से तालिबानी अफगानिस्तान में आ गए हैं. हम लोग काफी चिंतित हैं. वर्ल्ड कम्युनिटी को इस दिशा में कुछ करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम लोगों को समझ नहीं आ रहा कि इतनी जल्दी अफगान सेना कैसे हार गई. तालिबान का कब्जा अफगानिस्तान पर कैसे हो गया?

अफगानी नागरिकों का छलका दर्द

अफगानी नागरिक अदीबा ने कहा कि तालिबान ने अफगानिस्तान को पूरी तरह कब्जे में ले लिया है. अफगानिस्तान में स्थिति बहुत खराब हो गई है. वह चिंतित हैं कि आगे क्या होने वाला है. इसके लिये पाकिस्तान जिम्मेदार है. वह हमेशा से अफगानिस्तान के मामलों में दखलअंदाजी करते रहा है. उन्होंने कहा कि वहां पर अभी उनके परिवार के कई सदस्य फंसे हुए हैं वह सभी डरे हुए हैं. वह अपने दोस्तों को लेकर भी काफी चिंतित है. दोस्तों से जब बात हुई, तो वह कहने लगे कि तुम सुरक्षित जगह हो, अपनी पढ़ाई जारी रख सकती हो, लेकिन हम सभी पढ़ाई को लेकर काफी चिंतित है.

'शरणार्थी बनाकर ही लाया जाए'

अदीबा ने कहा कि वहां सभी डरे हुए हैं. इसलिए वह दूतावास आईं है कि उनके परिवार को यहां शरणार्थी बनाकर ही लाया जाए. अफगानिस्तान के नेताओं पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वह स्थिति को संभालने में पूरी तरह से विफल रहे हैं. जब देश संकट में है, तो सभी देश को संभालने की जगह छोड़कर भाग गए हैं. उन्होंने विश्व भर के नेताओं से अफगानिस्तान की मदद करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि वह तालिबान को मान्यता न दें.

अफगानिस्तान के रहने वाले अब्दुल्ला ने कहा कि वह अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर चिंतित हैं. उनके परिवार के कई लोग वहां पर फंसे हुए हैं. उन्होंने सभी विश्व के नेताओं से अफगानिस्तान की मदद करने की भी अपील की है. अफगानिस्तान में जो स्थिति है, उसके लिए पाकिस्तान और इराक पूरी तरह से जिम्मेदार है. बता दें कि कट्टरपंथी संगठन तालिबान ने रविवार को अफगानिस्तान को कब्जे में ले लिया था. देश के तमाम बड़े नेता हालात देखकर देश छोड़कर भाग गए हैं.

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