नई दिल्ली : रविवार 13 फरवरी को माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी है. इस दिन तिल का सेवन, दान और हवन करने की परंपरा है. पुराणों में द्वादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान बताया गया है. नारद और स्कंद पुराण के मुताबिक, माघ महीने की द्वादशी तिथि पर तिल दान करने का भी महत्व बताया गया है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार द्वादशी और सूर्य संक्रांति एक ही दिन होने से भगवान विष्णु और सूर्य पूजा से मिलने वाला पुण्य और बढ़ जाएगा. ज्योतिष ग्रंथों के मुताबिक, माघ मास के शुक्ल पक्ष के 12वीं तिथि यानी द्वादशी के स्वामी भगवान विष्णु हैं. इस दिन रविवार और पुनर्वास नक्षत्र भी रहेगा. रविवार के देवता सूर्य और नक्षत्र के स्वामी आदिति हैं, जो भगवान विष्णु और सूर्य से संबंधित हैं. इसलिए इस दिन किए गए व्रत और स्नान-दान का कई गुना पुण्य फल मिलेगा.
तिल दान से अश्वमेध यज्ञ का फल : इस द्वादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर तिल मिला पानी पीना चाहिए. फिर तिल का उबटन लगाएं. इसके बाद पानी में गंगाजल के साथ तिल डालकर नहाना चाहिए. इस दिन तिल से हवन करें. फिर भगवान विष्णु को तिल का नैवेद्य लगाकर प्रसाद में तिल खाने चाहिए. इस तिथि पर तिल दान करने अश्वमेध यज्ञ और स्वर्णदान करने जितना पुण्य मिलता है.
भगवान विष्णु को तिल के नैवेद्य का लगाएं भोग : द्वादशी तिथि पर सूर्योदय से पहले तिल मिले पानी से नहाने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें. पूजा से पहले व्रत और दान करने का संकल्प लें. फिर 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः' मंत्र का जाप करते हुए पंचामृत और शुद्ध जल से विष्णु भगवान की मूर्ति का अभिषेक करें. इसके बाद फूल और तुलसी पत्र फिर पूजा सामग्री चढ़ाएं. पूजा के बाद तिल का नैवेद्य लगाकर प्रसाद लें और बांट दें. इस तरह पूजा करने से कई गुना पुण्य फल मिलता है और जाने-अनजाने हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं.
तिल दान के लाभ : तिल द्वादशी के दिन तिल दान करने से जीवन में व्याप्त सभी परेशानियों का अंत होता है. तिल द्वादशी को तिल दान करने से दुःख, दर्द, दुर्भाग्य और कष्टों से मुक्ति मिलती है. तिल द्वादशी के दिन तिल युक्त पानी से स्नान करना चाहिए. इससे व्यक्ति के सभी पाप कट जाते हैं. करियर को नया आयाम देने के तिल द्वादशी को स्नान ध्यान कर तिलांजलि करें. धार्मिक मान्यता है कि पितृ के प्रसन्न रहने से व्यक्ति जीवन में सबकुछ प्राप्त कर सकता है. ज्योतिष पितृ को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों को तिल तर्पण करने की सलाह देते हैं. साथ ही तिल द्वादशी को तिल दान अवश्य करें.