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कर्मचारियों को झटका, EPFO ने पीएफ की ब्याज दरों में कटौती की - EPF Deposits

ईपीएफओ से जुड़े 6 करोड़ कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर नहीं है. सरकार ने प्रॉविडेंट फंड (EPFO) पर मिलने वाले ब्याज में कटौती कर दी है. शनिवार को यह फैसला गुवाहाटी में चल रही सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में लिया गया.

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Published : Mar 12, 2022, 1:21 PM IST

Updated : Mar 12, 2022, 1:52 PM IST

नई दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया है. ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में ( central board of trustees) ईपीएफओ ने जमा रकम पर मिलने वाली ब्याज दर में कटौती करने का फैसला किया. अब कर्मचारियों को ईपीएफओ (EPFO) में जमा रकम पर वित्त वर्ष 2022 के दौरान 8.5 के बजाय 8.1 फीसदी ब्याज मिलेगा. भविष्य निधि में यह ब्याज दर पिछले 40 सालों में सबसे कम है. 1977-78 में ब्याज दर यह 8 प्रतिशत थी, इसके बाद इसमें 2015-16 तक 8.6 फीसद तक बनी रही.

गौरतलब है कि गुवाहाटी में सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक शुरू होने से पहले यह आशंका जताई जा रही थी कि चालू वित्त वर्ष के लिए भविष्य निधि (पीएफ) की ब्याज पर बड़े फैसले हो सकते हैं. बोर्ड ने पीएफ पर ब्याज दर कम करने का फैसला किया है. इसका असर 6 करोड़ लोगों पर पड़ेगा. बता दें कि ईपीएफ योजना में कर्मचारी और उसका नियोक्ता हर महीने बराबर राशि का योगदान करते हैं, जो मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12 प्रतिशत होता है. कंपनी के योगदान का 8.33% हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के लिए जाता है.

नई दिल्ली : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कर्मचारियों को बड़ा झटका दिया है. ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में ( central board of trustees) ईपीएफओ ने जमा रकम पर मिलने वाली ब्याज दर में कटौती करने का फैसला किया. अब कर्मचारियों को ईपीएफओ (EPFO) में जमा रकम पर वित्त वर्ष 2022 के दौरान 8.5 के बजाय 8.1 फीसदी ब्याज मिलेगा. भविष्य निधि में यह ब्याज दर पिछले 40 सालों में सबसे कम है. 1977-78 में ब्याज दर यह 8 प्रतिशत थी, इसके बाद इसमें 2015-16 तक 8.6 फीसद तक बनी रही.

गौरतलब है कि गुवाहाटी में सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक शुरू होने से पहले यह आशंका जताई जा रही थी कि चालू वित्त वर्ष के लिए भविष्य निधि (पीएफ) की ब्याज पर बड़े फैसले हो सकते हैं. बोर्ड ने पीएफ पर ब्याज दर कम करने का फैसला किया है. इसका असर 6 करोड़ लोगों पर पड़ेगा. बता दें कि ईपीएफ योजना में कर्मचारी और उसका नियोक्ता हर महीने बराबर राशि का योगदान करते हैं, जो मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12 प्रतिशत होता है. कंपनी के योगदान का 8.33% हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के लिए जाता है.

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Last Updated : Mar 12, 2022, 1:52 PM IST
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