नई दिल्ली : गंगा के बाद अब झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज, यमुना, ब्रह्मपुत्र, लूनी, नर्मदा, गोदावरी, महानदी, कृष्णा और कावेरी का भी संरक्षण किया जाएगा. पर्यावरण मंत्रालय ने इसका जिम्मा संभाला है. इन नदियों के वानिकी के जरिए संरक्षण की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जारी की गई. केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने ये रिपोर्ट जारी की. करीब 20 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे.
ये नदियां सामूहिक रूप से 18,90,110 वर्ग किमी के कुल बेसिन क्षेत्र को कवर करती हैं जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 57.45% है. 13 नदियों की लंबाई 42,830 किमी है. भूपेंद्र यादव ने कहा कि इन परियोजनाओं से पर्यावरण को राहत मिलेगी. बढ़ते जल तनाव और जलवायु परिवर्तन और सतत विकास से संबंधित राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करना है.
मंत्रालय के अनुसार वानिकी के जरिए 13 नदियों के संरक्षण की योजना बनाई गई है. नदियों के दोनों ओर पौधे लगाए जाएंगे. इससे वनक्षेत्र बढ़ने की उम्मीद है. अगले 10 साल में 50.21 मिलियन टन कार्बन डाई ऑक्साइड सोखने में मदद मिलेगी. इन नदियों को उनकी सहायक नदियों के साथ प्राकृतिक, कृषि और शहरी, वानिकी हस्तक्षेप के लिए प्रस्तावित किया गया है. वानिकी पौधरोपण के तहत औषधीय, घास, झाड़ियां और ईंधन चारा और फलों के पेड़ लगाए जाएंगे, जिनका उद्देश्य पानी, भूजल पुनर्भरण और क्षरण को रोकना है.
विभिन्न परिदृश्यों में प्रस्तावित वानिकी हस्तक्षेप और सहायक गतिविधियों के लिए बनाई गई सभी 13 डीपीआर में कुल 667 ट्रीटमेंट और वृक्षारोपण मॉडल प्रस्तावित हैं. कुल मिलाकर प्राकृतिक परिदृश्य के लिए 283 ट्रीटमेंट मॉडल प्रस्तावित किए गए हैं. कृषि परिदृश्य में 97 और शहरी परिदृश्य में 116 विभिन्न उपचार मॉडल प्रस्तावित किए गए हैं.
पर्यावरण मंत्रालय के आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 13 डीपीआर का प्रस्तावित बजट 19,342.62 करोड़ रुपये है. पौधरोपण के रखरखाव के लिए अतिरिक्त समय के प्रावधान के साथ पांच साल की अवधि बढ़ाने का प्रस्ताव है. परियोजना की शुरुआत में देरी के मामले में डीपीआर के प्रस्तावित खर्च को थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) का उपयोग करके समायोजित किया जाएगा. पौधरोपण से 13 नदियों के परिदृश्य में संचयी वन क्षेत्र में 7,417.36 वर्ग किमी की वृद्धि होने की उम्मीद है.
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