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Delhi Air Pollution : एक्सपर्ट से जानिए प्रदूषण के लिए कौन है जिम्मेदार - haryana AQI

देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण (Delhi Air Pollution) को लेकर बार-बार हरियाणा और पंजाब पर इसका ठीकर फोड़ा जा रहा है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया कई बार हरियाणा और पंजाब में किसानों द्वारा जलाई जा रही पराली (Haryana And Punjab stubble burning) को दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण बता चुके हैं. क्या वाकई दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर हरियाणा और पंजाब जिम्मेदार हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत ने पर्यावरण एक्सपर्ट से बात की.

Delhi Air Pollution
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Published : Nov 17, 2021, 9:33 PM IST

चंडीगढ़ : दिल्ली में वायु प्रदूषण (Delhi Air Pollution) के कारण हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. दिल्ली सरकार द्वारा बार-बार हरियाणा और पंजाब (Haryana And Punjab stubble burning) को दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. इस बारे में ईटीवी भारत ने पर्यावरण एक्सपर्ट (Environment Expert On Delhi Air Pollution) और चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एडिशनल प्रोफेसर रविंद्र खैवाल से खास बातचीत की.

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर डॉ. रविन्द्र खैवाल कहा कि इस समस्या को समझने के लिए हमें दिल्ली की ज्योग्राफिक कंडीशन को समझना होगा. दिल्ली की ज्योग्राफिक शेप बाउल की शेप की है. इस वजह से वहां प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता. वहीं इस मौसम में हवा हरियाणा, पंजाब से दिल्ली की ओर बहती है जिससे यहां पर होने वाला प्रदूषण भी दिल्ली की ओर जाता है. इससे वहां प्रदूषण में इजाफा हो जाता है. केवल पराली जलने की वजह से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है यह कहना सरासर गलत है.

पर्यावरण एक्सपर्ट से खास बातचीत.

एक रिपोर्ट के अनुसार पराली जलने की वजह से दिल्ली के प्रदूषण में 4 से 7 प्रतिशत इजाफा ही होता है, लेकिन कोई एक या दो दिन जब पराली ज्यादा जलती है या दिल्ली की ओर हवा ज्यादा बहती है तब ये बढ़कर 30 प्रतिशत तक होता है. इससे यह साफ हो जाता है कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए पराली जिम्मेदार नहीं है. डॉ. रविन्द्र खैवाल ने कहा कि दिल्ली का अपना प्रदूषण बहुत है. दिल्ली में वाहनों की संख्या बहुत ज्यादा है जो वहां पर सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं.

इसके अलावा धूल कण से भी प्रदूषण फैलता है और फैक्ट्रियों से भी बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलता है. उन्होंने कहा कि सर्दियां शुरू होते ही हवा में प्रदूषण बढ़ जाता है, क्योंकि प्रदूषण के कण हवा में जमा हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि इंसान मौसम को तो बदल नहीं सकता, लेकिन प्रदूषण को रोकने के लिए काम कर सकता है. डॉक्टर खैवाल ने कहा कि डीजल बसें प्रदूषण फैलाने वाले मुख्य कारणों में से एक हैं. इसलिए हमें यह समझना पड़ेगा कि डीजल बसों की वजह से कितना प्रदूषण फैल रहा है. उसे कम करने के लिए हम क्या कदम उठा सकते हैं.

इस समय शहरों में डीजल बसों की संख्या बढ़ाई जा रही है, लेकिन प्रदूषण कम करने को लेकर उतना काम नहीं किया जा रहा. वहीं अगर पराली जलाने की बात की जाए तो साल 2019 में हरियाणा में 5 हजार 500 स्पॉट दर्ज किए गए थे. जबकि साल 2020 में यह 5 हजार हुए और इस साल अब तक ये 8 हजार तक हो चुके हैं.

पंजाब में जलती है कई गुना पराली

पंजाब में हरियाणा के मुकाबले कई गुना ज्यादा पराली जलाई जाती है. अगर कुल पराली जलाने के मामलों की बात की जाए तो पंजाब में 85 प्रतिशत से 90 प्रतिशत पराली जलाने के मामले सामने आते हैं. जबकि हरियाणा में ये मामले 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक रहते हैं. पंजाब में साल 2019 में पराली जलाने के 40 हजार स्पॉट देखे गए थे. साल 2020 में यह मामले 70 हजार हो गए और इस साल अभी तक ऐसे 72 हजार मामले आ चुके हैं.

ये भी पढ़ें- प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र-दिल्ली से पूछा- क्या किया अब तक ?

वाहनों से निकला प्रदूषण सबसे घातक

डॉक्टर खैवाल ने कहा कि चाहे प्रदूषण वाहनों से फैला हो या पराली के जलाए जाने से दोनों तरह का प्रदूषण ही स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है. हालांकि वाहनों से निकले प्रदूषण को कुछ ज्यादा घातक कहा जा सकता है. प्रदूषण की वजह से लोगों में कैंसर भी फैल रहा है. इसके अलावा इसकी वजह से डायबिटीज भी हो सकती है. प्रीमेच्योर बर्थ और लो आइक्यू लेवल भी प्रदूषण की वजह से हो सकता है. इसके अलावा फेफड़ों की बीमारियां, सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा, सांस की नली पर दुष्प्रभाव, आंखों में जलन आदि बहुत सी बीमारियां प्रदूषण के बढ़ने की वजह से बढ़ रही हैं.

हरियाणा पर आरोप लगाना अनुचित- शिक्षा मंत्री

बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा लगातार हरियाणा और पंजाब को जिम्मेदार ठहराने पर हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने कहा कि प्रदूषण को लेकर सिर्फ किसानों पर आरोप लगाना सरासर अनुचित है. पराली जलाना समस्या जरूर है, लेकिन वही प्रदूषण की वजह नहीं है. दिल्ली की अपनी दिक्कतें भी हैं, जिनसे प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है.

बता दें कि, दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है. बुधवार को भी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है. इस दौरान कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली, दोनों सरकारों को कठघरे में खड़ा किया. सीजेआई ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या कदम उठाए जा रहे हैं, क्या आपने अखबार देखे हैं, हर अखबार का अलग आंकड़ा है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आखिर किसान को पराली जलाना क्यों पड़ता है? पांच सितारा होटल में एसी में बैठकर किसानों को दोष देना बहुत आसान है. आप किसानों को मशीन मुहैया कराने की क्षमता रखते हैं. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 23 नवंबर को करेगा.

पढ़ेंः वायु प्रदूषण पर एक्सपर्ट की राय-सिर्फ निर्देश जारी करने से कुछ नहीं होगा

चंडीगढ़ : दिल्ली में वायु प्रदूषण (Delhi Air Pollution) के कारण हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. दिल्ली सरकार द्वारा बार-बार हरियाणा और पंजाब (Haryana And Punjab stubble burning) को दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. इस बारे में ईटीवी भारत ने पर्यावरण एक्सपर्ट (Environment Expert On Delhi Air Pollution) और चंडीगढ़ पीजीआई के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एडिशनल प्रोफेसर रविंद्र खैवाल से खास बातचीत की.

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर डॉ. रविन्द्र खैवाल कहा कि इस समस्या को समझने के लिए हमें दिल्ली की ज्योग्राफिक कंडीशन को समझना होगा. दिल्ली की ज्योग्राफिक शेप बाउल की शेप की है. इस वजह से वहां प्रदूषण बाहर नहीं निकल पाता. वहीं इस मौसम में हवा हरियाणा, पंजाब से दिल्ली की ओर बहती है जिससे यहां पर होने वाला प्रदूषण भी दिल्ली की ओर जाता है. इससे वहां प्रदूषण में इजाफा हो जाता है. केवल पराली जलने की वजह से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है यह कहना सरासर गलत है.

पर्यावरण एक्सपर्ट से खास बातचीत.

एक रिपोर्ट के अनुसार पराली जलने की वजह से दिल्ली के प्रदूषण में 4 से 7 प्रतिशत इजाफा ही होता है, लेकिन कोई एक या दो दिन जब पराली ज्यादा जलती है या दिल्ली की ओर हवा ज्यादा बहती है तब ये बढ़कर 30 प्रतिशत तक होता है. इससे यह साफ हो जाता है कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए पराली जिम्मेदार नहीं है. डॉ. रविन्द्र खैवाल ने कहा कि दिल्ली का अपना प्रदूषण बहुत है. दिल्ली में वाहनों की संख्या बहुत ज्यादा है जो वहां पर सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं.

इसके अलावा धूल कण से भी प्रदूषण फैलता है और फैक्ट्रियों से भी बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलता है. उन्होंने कहा कि सर्दियां शुरू होते ही हवा में प्रदूषण बढ़ जाता है, क्योंकि प्रदूषण के कण हवा में जमा हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि इंसान मौसम को तो बदल नहीं सकता, लेकिन प्रदूषण को रोकने के लिए काम कर सकता है. डॉक्टर खैवाल ने कहा कि डीजल बसें प्रदूषण फैलाने वाले मुख्य कारणों में से एक हैं. इसलिए हमें यह समझना पड़ेगा कि डीजल बसों की वजह से कितना प्रदूषण फैल रहा है. उसे कम करने के लिए हम क्या कदम उठा सकते हैं.

इस समय शहरों में डीजल बसों की संख्या बढ़ाई जा रही है, लेकिन प्रदूषण कम करने को लेकर उतना काम नहीं किया जा रहा. वहीं अगर पराली जलाने की बात की जाए तो साल 2019 में हरियाणा में 5 हजार 500 स्पॉट दर्ज किए गए थे. जबकि साल 2020 में यह 5 हजार हुए और इस साल अब तक ये 8 हजार तक हो चुके हैं.

पंजाब में जलती है कई गुना पराली

पंजाब में हरियाणा के मुकाबले कई गुना ज्यादा पराली जलाई जाती है. अगर कुल पराली जलाने के मामलों की बात की जाए तो पंजाब में 85 प्रतिशत से 90 प्रतिशत पराली जलाने के मामले सामने आते हैं. जबकि हरियाणा में ये मामले 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक रहते हैं. पंजाब में साल 2019 में पराली जलाने के 40 हजार स्पॉट देखे गए थे. साल 2020 में यह मामले 70 हजार हो गए और इस साल अभी तक ऐसे 72 हजार मामले आ चुके हैं.

ये भी पढ़ें- प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र-दिल्ली से पूछा- क्या किया अब तक ?

वाहनों से निकला प्रदूषण सबसे घातक

डॉक्टर खैवाल ने कहा कि चाहे प्रदूषण वाहनों से फैला हो या पराली के जलाए जाने से दोनों तरह का प्रदूषण ही स्वास्थ्य के लिए बेहद घातक है. हालांकि वाहनों से निकले प्रदूषण को कुछ ज्यादा घातक कहा जा सकता है. प्रदूषण की वजह से लोगों में कैंसर भी फैल रहा है. इसके अलावा इसकी वजह से डायबिटीज भी हो सकती है. प्रीमेच्योर बर्थ और लो आइक्यू लेवल भी प्रदूषण की वजह से हो सकता है. इसके अलावा फेफड़ों की बीमारियां, सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा, सांस की नली पर दुष्प्रभाव, आंखों में जलन आदि बहुत सी बीमारियां प्रदूषण के बढ़ने की वजह से बढ़ रही हैं.

हरियाणा पर आरोप लगाना अनुचित- शिक्षा मंत्री

बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा लगातार हरियाणा और पंजाब को जिम्मेदार ठहराने पर हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने कहा कि प्रदूषण को लेकर सिर्फ किसानों पर आरोप लगाना सरासर अनुचित है. पराली जलाना समस्या जरूर है, लेकिन वही प्रदूषण की वजह नहीं है. दिल्ली की अपनी दिक्कतें भी हैं, जिनसे प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है.

बता दें कि, दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है. बुधवार को भी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है. इस दौरान कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली, दोनों सरकारों को कठघरे में खड़ा किया. सीजेआई ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या कदम उठाए जा रहे हैं, क्या आपने अखबार देखे हैं, हर अखबार का अलग आंकड़ा है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आखिर किसान को पराली जलाना क्यों पड़ता है? पांच सितारा होटल में एसी में बैठकर किसानों को दोष देना बहुत आसान है. आप किसानों को मशीन मुहैया कराने की क्षमता रखते हैं. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 23 नवंबर को करेगा.

पढ़ेंः वायु प्रदूषण पर एक्सपर्ट की राय-सिर्फ निर्देश जारी करने से कुछ नहीं होगा

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