लखनऊ : राजधानी में रहने वाला एक युवक बीकॉम की पढ़ाई कर रहा था. इसी दौरान सोशल मीडिया पर एक लड़की से चैट शुरू हुई. कुछ ही दिनों में प्यार हो गया. लड़की का धर्म अलग होने के कारण बाद में विवाद हुआ तो उसने शादी से इंकार कर दिया. तब से युवक डिप्रेशन में है. दो बार घर से भाग चुका है. एक बार बिहार में मिला तो दूसरी बार नेपाल में. एक बार हाथ की नस काट ली. अब युवा का इलाज बलरामपुर अस्पताल के मनोरोग विभाग में चल रहा है. इसी तरह अस्पताल में अन्य केस भी हैं.
कैंसर संस्थान के एमएस और वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. देवाशीष शुक्ला के अनुसार अस्पताल की ओपीडी में रोजाना इस तरह के 10 से 12 केस आते हैं. जिसमें युवा डिप्रेशन के शिकार होते हैं वह भी सोशल मीडिया में हुए चार के कारण होते हैं. मौजूदा समय में हर कोई सोशल मीडिया चला रहा है और सोशल मीडिया से होने वाले नुकसान के बारे में भी जानते हुए भी अंजान बने रहते हैं. बहुत से किस अस्पताल में इस तरह से आते हैं कि युवा के पास कोई फ्रेंड रिक्वेस्ट आई उसने फॉलो किया बातचीत शुरू हुई और फ्रेंडशिप हो गई फ्रेंडशिप के बाद मामला लव में बदल गया फिर प्रॉब्लम होती है. डिप्रेशन की उस समय जब लड़की मूव ऑन करती है या फिर लड़का मूव ऑन करता है तो दिक्कत सिर्फ एक को होती है.
डॉ. देवाशीष शुक्ला ने बताया कि ऐसे बहुत से मरीजों की मैं काउंसिलिंग कर रहा हूं जो डिप्रेशन के शिकार हो चुके हैं. उनकी मोहब्बत सोशल मीडिया से शुरू हुई और सोशल मीडिया पर ही खत्म हो गई और उसके बाद फिर डिप्रेशन में चले गए. क्योंकि उनका साथी अब उनसे बात नहीं करता है. चैटिंग नहीं करता है बाद में पता चलता है वह फेक आईडी थी या फिर वह लड़की चीट करके चली गई थी. ऐसा नहीं है कि सिर्फ लड़कों के साथ ही ऐसे केस होते हैं. लड़कियों के साथ भी ऐसे ही होता है. इस तरह के केस ज्यादा सामने नहीं आते हैं, क्योंकि लड़कियां अपनी बातों को परिजनों के सामने रखने से डरती हैं. जब उनके साथ इस तरह का कोई हादसा होता है तो वह अपने किसी दोस्त मित्र से शेयर करती हैं, लेकिन कभी विशेषज्ञ के पास नहीं जाती हैं. कुछ मामले महिलाओं के भी आते हैं जो ओपन माइंडेड होती हैं. वे अपनी समस्या को सुलझाना चाहती हैं और बीती बातों से उबरना चाहती हैं.
बेशक सोशल मीडिया चलाइए, लेकिन इन बातों का रखें ख्याल |
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डॉ. देवाशीष शुक्ला के अनुसार अलीगंज निवासी एक युवती काॅरपोरेट सेक्टर में नौकरी करती हैं और लखनऊ में अकेले रहती हैं. काउंसिलिंग के दौरान बताया कि किस तरह से वह सोशल मीडिया ट्रैप में फंस गई थी. उनके पास एक लड़के का फेसबुक पर मैसेज आता था और वह अच्छे-अच्छे कमेंट और लाइक किया करता था. धीरे-धीरे बातचीत शुरू हुई और दोस्ती हो गई. दोस्ती के बाद प्यार परवान चढ़ा. दो महीना समय बीता. फेसबुक पर चैटिंग हुआ करती थी. फिर उसके बाद नंबर एक्सचेंज किए और फोन पर बात होने लगी. इसके बाद उसने कुछ पैसों की डिमांड की तो दे दिए, लेकिन कुछ समय बाद फिर पैसों की डिमांड की. दूसरी बार पैसा नहीं मिलने पर लड़के ने बातचीत बंद कर दी. लड़की का मोबाइल लगातार स्विच ऑफ बता रहा है और फेसबुक आईडी भी इनवेलिड दिखा रही है. इस स्थिति में युवती पूरी तरह से टूट गई और डिप्रेशन में चली गई. पिछले सात महीने से उसका इलाज और काउंसिलिंग बलरामपुर अस्पताल में चल रही है. फिलहाल अभी वह ठीक है और चीजों को समझ भी चुकी है.
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