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एल्गार परिषद मामला: उच्चतम न्यायालय ने नवलखा को जमानत देने के आदेश पर रोक की अवधि बढ़ाई

Elgar Parishad case : सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा को जमानत देने के आदेश पर रोक की समय सीमा को बढ़ा दिया है. बता दें कि बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले साल 19 दिसंबर को गौतम को जमानत दे दी थी. Gautam Navlakha

Gautam Navlakha
गौतम नवलखा
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By PTI

Published : Jan 5, 2024, 7:21 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवाद से जुड़े मामले में गौतम नवलखा को जमानत पर लगाई गई रोक की अवधि को बढ़ा दिया है. इसके पहले बंबई उच्च न्यायालय ने नवलखा को जमानत देने के अपने आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी. न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की याचिका को भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के समक्ष पेश करने का भी निर्देश दिया ताकि याचिका को अन्य आरोपियों के मामलों के साथ जोड़ने पर निर्णय लिया जा सके.

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह मामले के गुण-दोष पर कुछ भी कहने का इच्छुक नहीं है. बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले साल 19 दिसंबर को नवलखा को जमानत दे दी थी, लेकिन एनआईए द्वारा शीर्ष अदालत में अपील दायर करने के लिए समय मांगने के बाद उसने आदेश के कार्यान्वयन पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी. नवलखा को पिछले साल अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था और पिछले साल नवंबर में उन्हें उनके घर में नजरबंद रखने की अनुमति उच्चतम न्यायालय ने दी थी. फिलहाल वह नवी मुंबई में रह रहे हैं.

यह मामला पुणे में 31 दिसंबर, 2017 को आयोजित एल्गार परिषद के सम्मेलन में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है. इस मामले में पुलिस ने दावा किया है कि सम्मेलन के अगले ही दिन पुणे के बाहरी क्षेत्र में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी. इस मामले में कुल 16 सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था जिनमें से पांच लोग जमानत पर बाहर हैं.

ये भी पढ़ें - यूपी में हलाल उत्पादों पर प्रतिबंध के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवाद से जुड़े मामले में गौतम नवलखा को जमानत पर लगाई गई रोक की अवधि को बढ़ा दिया है. इसके पहले बंबई उच्च न्यायालय ने नवलखा को जमानत देने के अपने आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी थी. न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की याचिका को भारत के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के समक्ष पेश करने का भी निर्देश दिया ताकि याचिका को अन्य आरोपियों के मामलों के साथ जोड़ने पर निर्णय लिया जा सके.

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह मामले के गुण-दोष पर कुछ भी कहने का इच्छुक नहीं है. बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले साल 19 दिसंबर को नवलखा को जमानत दे दी थी, लेकिन एनआईए द्वारा शीर्ष अदालत में अपील दायर करने के लिए समय मांगने के बाद उसने आदेश के कार्यान्वयन पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी. नवलखा को पिछले साल अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था और पिछले साल नवंबर में उन्हें उनके घर में नजरबंद रखने की अनुमति उच्चतम न्यायालय ने दी थी. फिलहाल वह नवी मुंबई में रह रहे हैं.

यह मामला पुणे में 31 दिसंबर, 2017 को आयोजित एल्गार परिषद के सम्मेलन में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है. इस मामले में पुलिस ने दावा किया है कि सम्मेलन के अगले ही दिन पुणे के बाहरी क्षेत्र में स्थित कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी. इस मामले में कुल 16 सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था जिनमें से पांच लोग जमानत पर बाहर हैं.

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