मुंबई : एल्गार परिषद मामले (Elgar Parishad case) में गिरफ्तार कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका (bail plea of Sudha Bhardwaj) का गुरुवार को बंबई उच्च न्यायालय (Bombay HC) में सुनवाई खत्म हो सकती है.
भारद्वाज सितंबर 2018 से जेल में हैं. आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता और वकील सुधा भारद्वाज ने जमानत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रूख किया था. उन्होंने कहा है कि इस मामले में 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल हो जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, इसलिए उन्हें जमानत दी जाए.
उन्होंने इस तकनीकी आधार पर जमानत का अनुरोध किया है कि जिस अदालत ने शुरुआत में आरोपपत्र का संज्ञान लिया, उनके पास ऐसा करने का अधिकार ही नहीं था.
एएसजी अनिल सिंह (ASG Anil Singh) ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी और एजी आशुतोष कुंभकोनी (AG Ashutosh Kumbhkoni) ने महाराष्ट्र सरकार के लिए अपनी दलीलें पूरी कर ली हैं.
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बता दें कि भारद्वाज ने जमानत की गुहार लगाते हुए दलील दी थी कि निचली अदालत के न्यायाधीश को उनके खिलाफ दायर 2019 के आरोपपत्र पर संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है क्योंकि उस समय न्यायाधीश यूएपीए से जुड़े मामलों पर सुनवाई के लिए एनआईए कानून के तहत विशेष न्यायाधीश नहीं थे.
सुधा भारद्वाज ने अपनी याचिका में सूचना के अधिकार कानून के तहत उच्च न्यायालय से प्राप्त दस्तावेजों को आधार बनाते हुए तर्क दिया कि पुणे में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश किशोर वदाने को पुणे पुलिस द्वारा फरवरी 2019 में दाखिल 1,800 पन्नों के पूरक आरोपपत्र पर संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है.
इससे पहले बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संपर्क मामले में आरोपी वकील सुरेंद्र गाडलिंग को अस्थायी जमानत दी थी ताकि वह अपनी मां के लिए कुछ अनुष्ठान कर सकें जिनका पिछले साल निधन हो गया था.