शिमला: घरों से निकलने वाले कचरे से अब हिमाचल प्रदेश का शिमला शहर (Shimla City) जगमगाएगा. शिमला के भरियाल कूड़ा संयंत्र (Bharyal Garbage Plant) में बिजली बनाने का ट्रायल (Trial For Power Generation किया जा रहा है. नगर निगम (Municipal Corporation) की ओर से विदेशी कंपनी एलीफेंट एनर्जी (Foreign Company Elephant Energy) के साथ मिलकर एनर्जी प्लांट (Energy Plant) स्थापित किया है. जहां पर इन दिनों बिजली उत्पादन का ट्रायल किया जा रहा है और जल्द ही नियमित रूप से बिजली तैयार की जाएगी. इस प्लांट से 2.50 मेगावाट बिजली हर रोज तैयार होगी.
साउथ एशिया का पहला एक मात्र प्लांट
नगर निगम का दावा है वायो गैसीफिकेशन (Bio Gasification) की तकनीक से बिजली तैयार करने वाला 100 टन का साउथ एशिया (South Aisa) का पहला एक मात्र प्लांट है. शिमला से रोजाना 70 से 100 टन कूड़ा एकत्रित होता है, जो कि इस कूड़ा संयंत्र(Garbage Plant) में भेजा जाता है. नगर निगम ने कूड़े से बिजली का उत्पादन करने के लिए जर्मनी की एलीफेंट एनर्जी कंपनी (Foreign Company Elephant Energy)के साथ एमओयू साइन किया है.
2.5 मेगावाट होगी बिजली पैदा
कंपनी कूड़े से 2.5 मेगावाट बिजली पैदा करेगी, जिसे विद्युत बोर्ड 7.90 रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीदेगा. विद्युत बोर्ड (Electric Board) आगामी 20 वर्षों तक इस कंपनी से बिजली खरीदेगा. निगम ने 20 वर्षों तक प्लांट को कंपनी को लीज पर दे दिया है. कंपनी ने प्लांट पर करीब 42 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.
विदेशी कंपनी के साथ करार
नगर निगम (Municipal Corporation) के चिकित्सा अधिकारी चेतन चौहान (Medical Officer Chetan Chauhan) का कहना है कि शिमला शहर के कूड़ा निष्पादन (Garbage Disposal) के लिए बरयाल में कूड़ा सयंत्र बनाया गया है, जो 2.4 एकड़ में फैला हुआ है. यह पूरा संयंत्र आगामी 50 वर्षों को देखते हुए बनाया गया है. कूड़ा संयंत्र (Garbage Plant) में नियमित बिजली उत्पादन होता है तो कचरे की बदबू से लोगों को निजात मिलेगी और कचरा एकत्रित भी नहीं होगा. कूड़े से बिजली बनाने के लिए विदेशी कंपनी के साथ करार किया है. फिलहाल बिजली बनाने का ट्रायल किया जा रहा है. कंपनी हर रोज 2.5 मेगावाट बिजली पैदा करेगी, जिसे 7.90 रुपए प्रति यूनिट की दर से विद्युत बोर्ड खरीदेगा.
प्लांट में आता है 70 टन कचरा
बिजली प्लांट के सुपरवाइजर डीपी सिंह (Supervisor DP Singh) का कहना है कि शिमला में कूड़ा निष्पादन की काफी समस्या आ रही थी. यहां से चंडीगढ़ कूड़ा भेजा जा रहा था. इस समस्या को देखते हुए शिमला के भरियाल में संयंत्र स्थापित किया गया है, जहां कूड़े से बिजली बनाने के लिए विदेशी कंपनी से करार किया गया है. पिछले तीन सालों से ट्रायल किया जा रहा है और अब जल्द ही नियमित रूप से बिजली का उत्पादन होगा. उन्होंने कहा की 100 टन की क्षमता वाला वायो गैसीफिकेशन प्लांट साउथ एशिया का पहला प्लांट है, जहां आधुनिक मशीनें स्थापित की गई है. इस प्लांट में अभी फिलहाल 70 टन कचरा आता है. जिला के अन्य हिस्सों से भी यहां कचरा लाने की योजना है.
बचेंगे निगम के लाखों रुपये
कूड़ा संयंत्र में बिजली उत्पादन से नगर निगम को भी बड़ी राहत मिलेगी और खर्च भी बचेगा. अभी तक नगर निगम शिमला को भरियाल से कूड़ा प्रोसेसिंग (Waste Processing) के लिए चंडीगढ़ के डडू माजरा ले जाना पड़ता है. ऐसे में निगम को वाहन मालिकों को बतौर किराया लाखों रुपये देने पड़ रहे हैं. साथ ही निगम को चंडीगढ़ में कंपनी को कूड़ा प्रोसेस करने की एवज में प्रति टन 300 रुपये फीस भी देनी पड़ रही थी. रोजाना करीब 60 से 70 टन कूड़ा चंडीगढ़ भेजा जाता था, प्लांट शुरू होने से निगम के लाखों रुपये खर्च होने से बचेंगे.
विदेशों से मंगवाई गई आधुनिक मशीनें
कूड़े से बिजली बनाने के लिए विदेशों से आधुनिक मशीनें मंगवाई गई है. फिलहाल प्लांट में 2 इंजन कार्य कर रहे हैं, जबकि 4 इंजन चलाने की योजना है. एक इंजन को स्टैंड बाय में रखा गया है. इस प्लांट के नियमित रूप से काम करने से हर रोज बिजली तैयार होगी, जिससे शहर में नगर निगम को कूड़ा निष्पादन में भी कोई दिक्कत नहीं होगी.
हर बार गर्मियों में कूड़ा निष्पादन संयंत्र में आग लग जाती है. यहां से निकलने वाला जहरीला धुआं शिमला शहर के लोगों के लिए परेशानी बनता है. शहर में 10 से 15 दिन तक लगातार धुआं रहता है. संयंत्र में आग बुझाने के लिए नगर निगम ने इस बार चंडीगढ़ से भी उपकरण मंगवाए हैं. इसके बावजूद कूड़े की आग को समय पर बुझाने में ज्यादा सफलता नहीं मिलती है.
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बता दें कि शिमला शहर के 34 वार्डों से हर रोज नगर निगम के कर्मी घरों से कूड़ा एकत्रित करते हैं. कूड़े को पिकअप द्वारा भरियाल में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट (Solid Waste Management Plant) तक पहुंचाया जाता है. निगम के पास 34 गाड़ियां हैं, जो कि सुबह और शाम के समय शहर से कचरा इकट्ठा कर कूड़ा सयंत्र पहुंचाने का काम करती है. कूड़े से बिजली पैदा करने के साथ ही आरएफडी तैयार किया जाता है, जो सीमेंट कंपनियों को दिया जा रहा है.