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महाराष्ट्र सरकार ने ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण से वंचित किया: फडणवीस

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Published : May 18, 2022, 7:13 PM IST

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने बुधवार को दावा किया कि महाराष्ट्र में महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार की अक्षमता ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को स्थानीय निकाय में आरक्षण से वंचित कर दिया. उन्होंने कहा कि इसके विपरीत मध्य प्रदेश में ऐसा नहीं हुआ.

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नागपुर/मुंबई: भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण से वंचित किया है. फडणवीस ने मांग की है कि ओबीसी कोटा सुनिश्चित करने में नाकाम रहे एमवीए सरकार के मंत्रियों को इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 12 दिसंबर 2019 को शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार से कहा था कि वह यह स्थापित करने के लिए आवश्यक तिहरी जांच पूरी करे कि ओबीसी को स्थानीय सरकारी निकायों में कोटा दिया जाना चाहिए.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार एक साल तक केंद्र सरकार पर (आवश्यक आंकड़ों की कमी को लेकर) उंगली उठाती रही. फडणवीस ने नागपुर में कहा कि रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक आयोग का गठन किया गया था लेकिन उसे पर्याप्त धन और स्टाफ नहीं दिया गया और इस बीच उच्चतम न्यायालय ने उसकी रिपोर्ट को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि पड़ोसी मध्य प्रदेश की राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद तिहरी जांच पूरी करके एक रिपोर्ट सौंप दी है.

फडणवीस ने कहा कि मैं मध्यप्रदेश सरकार को बधाई देना चाहता हैं और यह कहना चाहता हूं कि महाराष्ट्र सरकार की अक्षमता ने हमारे राज्य में ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण से वंचित कर दिया. अगर महाराष्ट्र सरकार ने समय पर तिहरी जांच पूरी की होती तो राज्य में भी ओबीसी आरक्षण लागू हुआ होता. इस बीच मुंबई में संवाददाताओं से बात करते हुए भाजपा विधायक देवयानी फरांडे ने इस मुद्दे पर एमवीए सरकार की आलोचना की और ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित करने में विफलता के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे की मांग की.

उन्होंने राज्य के कुछ मंत्रियों के बयान को पूरी तरह से भ्रामक करार दिया जिसमें कहा गया था कि मध्य प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी कोटा की अनुमति देने का शीर्ष अदालत का फैसला महाराष्ट्र में भी लागू हो सकता है. देवयानी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने पहले तो आंकड़ों के संग्रह के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग गठित करने में देरी की, फिर आयोग के लिए राशि आवंटित करने में देरी की. देवयानी ने कहा कि ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित करने में नाकाम रहने के लिए उद्धव ठाकरे को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. देवयानी ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के दो मंत्रियों छगन भुजबल और जितेंद्र आव्हाड ने भ्रामक बयान दिये.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता भुजबल पर निशाना साधते हुए देवयानी ने कहा कि उन्होंने यह आरोप लगाकर शिवसेना छोड़ी थी कि वह ओबीसी को लाभ पहुंचाने वाले मंडल आयोग की सिफारिशों का विरोध कर रही है. देवयानी ने भुजबल से पूछा कि ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित करने में नाकाम रही एमवीए सरकार को लेकर क्या वह फिर वही साहस दिखाएंगे?

यह भी पढ़ें- Congress Politics: नव संकल्प घोषणा लागू करेगी कांग्रेस, राज्यों में होगा शिविरों का आयोजन

नागपुर/मुंबई: भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण से वंचित किया है. फडणवीस ने मांग की है कि ओबीसी कोटा सुनिश्चित करने में नाकाम रहे एमवीए सरकार के मंत्रियों को इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा कि उच्चतम न्यायालय ने 12 दिसंबर 2019 को शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस सरकार से कहा था कि वह यह स्थापित करने के लिए आवश्यक तिहरी जांच पूरी करे कि ओबीसी को स्थानीय सरकारी निकायों में कोटा दिया जाना चाहिए.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार एक साल तक केंद्र सरकार पर (आवश्यक आंकड़ों की कमी को लेकर) उंगली उठाती रही. फडणवीस ने नागपुर में कहा कि रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक आयोग का गठन किया गया था लेकिन उसे पर्याप्त धन और स्टाफ नहीं दिया गया और इस बीच उच्चतम न्यायालय ने उसकी रिपोर्ट को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि पड़ोसी मध्य प्रदेश की राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद तिहरी जांच पूरी करके एक रिपोर्ट सौंप दी है.

फडणवीस ने कहा कि मैं मध्यप्रदेश सरकार को बधाई देना चाहता हैं और यह कहना चाहता हूं कि महाराष्ट्र सरकार की अक्षमता ने हमारे राज्य में ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण से वंचित कर दिया. अगर महाराष्ट्र सरकार ने समय पर तिहरी जांच पूरी की होती तो राज्य में भी ओबीसी आरक्षण लागू हुआ होता. इस बीच मुंबई में संवाददाताओं से बात करते हुए भाजपा विधायक देवयानी फरांडे ने इस मुद्दे पर एमवीए सरकार की आलोचना की और ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित करने में विफलता के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे की मांग की.

उन्होंने राज्य के कुछ मंत्रियों के बयान को पूरी तरह से भ्रामक करार दिया जिसमें कहा गया था कि मध्य प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी कोटा की अनुमति देने का शीर्ष अदालत का फैसला महाराष्ट्र में भी लागू हो सकता है. देवयानी ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने पहले तो आंकड़ों के संग्रह के लिए पिछड़ा वर्ग आयोग गठित करने में देरी की, फिर आयोग के लिए राशि आवंटित करने में देरी की. देवयानी ने कहा कि ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित करने में नाकाम रहने के लिए उद्धव ठाकरे को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. देवयानी ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के दो मंत्रियों छगन भुजबल और जितेंद्र आव्हाड ने भ्रामक बयान दिये.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता भुजबल पर निशाना साधते हुए देवयानी ने कहा कि उन्होंने यह आरोप लगाकर शिवसेना छोड़ी थी कि वह ओबीसी को लाभ पहुंचाने वाले मंडल आयोग की सिफारिशों का विरोध कर रही है. देवयानी ने भुजबल से पूछा कि ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित करने में नाकाम रही एमवीए सरकार को लेकर क्या वह फिर वही साहस दिखाएंगे?

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