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एकनाथ शिंदे का राजनीतिक सफर: रिक्शा चालक से लेकर बागी विधायकों के नेता तक

शिवसेना के विधायक दल के नेता का पद ठाणे जिला संरक्षक व मंत्री एकनाथ शिंदे को मिला. इसके बाद से ही पार्टी में एकनाथ शिंदे का राजनीतिक कद बढ़ता ही गया. एकनाथ शिंदे का रिक्शा चालक से शिवसेना के नेता तक का राजनीतिक सफर हैरान व काफी चौंकाने वाला है. विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें ईटीवी भारत के संवाददाता मनोज देवकर की विशेष रिपोर्ट..

एकनाथ शिंदे का राजनीतिक सफर
एकनाथ शिंदे का राजनीतिक सफर
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Published : Jun 25, 2022, 12:48 PM IST

Updated : Jun 25, 2022, 2:09 PM IST

ठाणे : शिवसेना के विधायक दल के नेता का पद ठाणे जिला संरक्षक व मंत्री एकनाथ शिंदे को मिला. इसके बाद से ही पार्टी में एकनाथ शिंदे का वजन निरंतर बढ़ता ही गया. एकनाथ शिंदे का रिक्शा चालक से शिवसेना के नेता तक का राजनीतिक सफर हैरान व काफी चौंकाने वाला है. बता दें कि आनंद दिघे की असामयिक मौत के बाद ठाणे जिले में शिवसेना में एक वैक्युम की स्थित पैदा हो गई थी. परंतु तत्कालीन शिवसेना के जिलाध्यक्ष एकनाथ शिंदे ने सेना को एकजुट रखते हुए उसे जमीनी स्तर पर काफी मजबूत किया. यही वजह है कि नगर निगम चुनाव-2017 में शिवसेना पहली बार सत्ता में आई. साथ ही शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने कल्याण-डोंबिवली नगर निगम, उल्हासनगर नगर निगम, भिवंडी नगर निगम, अंबरनाथ नगर निगम और बदलापुर नगर परिषद में भी सफलता हासिल की. शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे और सेना ठाणे के जिला प्रमुख आनंद दिघे से प्रभावित होकर ही उन्होंने 1980 के दशक में शिवसेना ज्वाइन किया था. यही से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी.

शुरुआती दिनों में एकनाथ शिंदे रिक्शा चलाकर अपनी आजीविका चलाते थे. 1984 में उन्हें किसाननगर में शाखा प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था. सीमा आंदोलन के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. 1997 में वह पहली बार ठाणे नगर निगम में एक नगरसेवक के रूप में निर्वचित हुए थे. साल 2001 में सदन के नेता के रूप में उनका चयन हुआ. फिर उन्होंने लगातार तीन साल तक इस पद को संभाला. साल 2004 में वह तत्कालीन ठाणे विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए.

साल 2005 में ठाणे जिला प्रमुख के रूप में शिवसेना की नियुक्ति हुई. साल 2009 में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद वह कोपारी-पंचपखाड़ी निर्वाचन क्षेत्र से फिर से विधायक चुने गए. फिर विधान सभा चुनाव 2014 में लगातार तीसरी बार जीतकर उन्होंने जीत की हैट्रिक बनायी. इसी कारण उन्हे विपक्ष के नेता के पद से शिवसेना ने नवाजा था. दिसंबर 2014 में उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली. एमएसआरडीसी के मंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण किया और फिर जनवरी 2019 में स्वास्थ्य मंत्री का पद उन्हें मिला.

एकनाथ शिंदे के पुराने दोस्त कहते हैं- हम कल साथ थे, आज भी साथ हैं और भविष्य में भी साथ रहेंगे. दोस्त कहते हैं - 1990 का दशक एकनाथ शिंदे के लिए काफी चुनौतियों से भरा था. उस समय उन्हें अपने परिवार का भरण पोषण के लिए काफी मशक्कत करना पड़ा था. भले ही आज महाराष्ट्र की राजनीति में उनका कद काफी बड़ा हो गया है लेकिन व्यापार में उनके दोस्त अभी भी उन्हें मुसीबत के समय में बेहिचक याद करते हैं और एकनाथ शिंदे हमेशा की तरह उनकी मदद के लिए आगे आते हैं. इसकी बानगी वागले स्टेट ट्रक लॉरी एसोसिएशन कार्यालय के बाहर वागले एस्टेट क्षेत्र में एकनाथ शिंदे जिंदाबाद के नारे आज भी सुनाई देती हैं क्योंकि उनके दोस्तों को आज भी याद है कि कैसे एकनाथ शिंदे ने उनकी मदद की थी. जिस किसी को भी शिंदे ने उनकी मुसीबत के वक्त मदद किया था वे अपने दोस्त (शिंदे) के बारे में चर्चा करते हुए गर्वान्वित महसुस करते हैं.

यह भी पढ़ें-शिवसेना के 37 बागी विधायकों ने डिप्टी स्पीकर को भेजा पत्र, शिंदे को चुना अपना नेता

ठाणे : शिवसेना के विधायक दल के नेता का पद ठाणे जिला संरक्षक व मंत्री एकनाथ शिंदे को मिला. इसके बाद से ही पार्टी में एकनाथ शिंदे का वजन निरंतर बढ़ता ही गया. एकनाथ शिंदे का रिक्शा चालक से शिवसेना के नेता तक का राजनीतिक सफर हैरान व काफी चौंकाने वाला है. बता दें कि आनंद दिघे की असामयिक मौत के बाद ठाणे जिले में शिवसेना में एक वैक्युम की स्थित पैदा हो गई थी. परंतु तत्कालीन शिवसेना के जिलाध्यक्ष एकनाथ शिंदे ने सेना को एकजुट रखते हुए उसे जमीनी स्तर पर काफी मजबूत किया. यही वजह है कि नगर निगम चुनाव-2017 में शिवसेना पहली बार सत्ता में आई. साथ ही शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने कल्याण-डोंबिवली नगर निगम, उल्हासनगर नगर निगम, भिवंडी नगर निगम, अंबरनाथ नगर निगम और बदलापुर नगर परिषद में भी सफलता हासिल की. शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे और सेना ठाणे के जिला प्रमुख आनंद दिघे से प्रभावित होकर ही उन्होंने 1980 के दशक में शिवसेना ज्वाइन किया था. यही से उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी.

शुरुआती दिनों में एकनाथ शिंदे रिक्शा चलाकर अपनी आजीविका चलाते थे. 1984 में उन्हें किसाननगर में शाखा प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था. सीमा आंदोलन के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. 1997 में वह पहली बार ठाणे नगर निगम में एक नगरसेवक के रूप में निर्वचित हुए थे. साल 2001 में सदन के नेता के रूप में उनका चयन हुआ. फिर उन्होंने लगातार तीन साल तक इस पद को संभाला. साल 2004 में वह तत्कालीन ठाणे विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक चुने गए.

साल 2005 में ठाणे जिला प्रमुख के रूप में शिवसेना की नियुक्ति हुई. साल 2009 में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद वह कोपारी-पंचपखाड़ी निर्वाचन क्षेत्र से फिर से विधायक चुने गए. फिर विधान सभा चुनाव 2014 में लगातार तीसरी बार जीतकर उन्होंने जीत की हैट्रिक बनायी. इसी कारण उन्हे विपक्ष के नेता के पद से शिवसेना ने नवाजा था. दिसंबर 2014 में उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली. एमएसआरडीसी के मंत्री के रूप में कार्यभार ग्रहण किया और फिर जनवरी 2019 में स्वास्थ्य मंत्री का पद उन्हें मिला.

एकनाथ शिंदे के पुराने दोस्त कहते हैं- हम कल साथ थे, आज भी साथ हैं और भविष्य में भी साथ रहेंगे. दोस्त कहते हैं - 1990 का दशक एकनाथ शिंदे के लिए काफी चुनौतियों से भरा था. उस समय उन्हें अपने परिवार का भरण पोषण के लिए काफी मशक्कत करना पड़ा था. भले ही आज महाराष्ट्र की राजनीति में उनका कद काफी बड़ा हो गया है लेकिन व्यापार में उनके दोस्त अभी भी उन्हें मुसीबत के समय में बेहिचक याद करते हैं और एकनाथ शिंदे हमेशा की तरह उनकी मदद के लिए आगे आते हैं. इसकी बानगी वागले स्टेट ट्रक लॉरी एसोसिएशन कार्यालय के बाहर वागले एस्टेट क्षेत्र में एकनाथ शिंदे जिंदाबाद के नारे आज भी सुनाई देती हैं क्योंकि उनके दोस्तों को आज भी याद है कि कैसे एकनाथ शिंदे ने उनकी मदद की थी. जिस किसी को भी शिंदे ने उनकी मुसीबत के वक्त मदद किया था वे अपने दोस्त (शिंदे) के बारे में चर्चा करते हुए गर्वान्वित महसुस करते हैं.

यह भी पढ़ें-शिवसेना के 37 बागी विधायकों ने डिप्टी स्पीकर को भेजा पत्र, शिंदे को चुना अपना नेता

Last Updated : Jun 25, 2022, 2:09 PM IST
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