नई दिल्ली : इस वर्ष आठ शैक्षणिक संस्थानों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है. जिन शैक्षणिक संस्थानों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है, उन आठ संस्थानों में से चार मुस्लिम समुदाय से हैं. दो ईसाई समुदाय से हैं और एक-एक संस्थान जैन, बौद्ध और सिख समुदाय से हैं.
जिनको अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है, उनमें एलीट पब्लिक स्कूल, गेटवे इंटरनेशनल स्कूल, यूनिटी नर्सरी, तमिलनाडु का प्राइमरी स्कूल, विमला देवी कॉलेज ऑफ एजुकेशन, लाला महादेव प्रसाद वर्मा बालिका महाविद्यालय, रहमानिया मध्य प्रदेश के पब्लिक स्कूल और शाइन कॉलेज ऑफ एजुकेशन, केरल के सेंट पीटर कॉलेज और बिहार के सीमांचल माइनॉरिटी बी. ईडी कॉलेज शामिल हैं.
2019 में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि 13555 शैक्षणिक संस्थान हैं जिन्हें 2 जुलाई तक अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के राष्ट्रीय आयोग (NCMEI) द्वारा अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है. सरकारी सूचना के अनुसार वर्ष 2016-17 में 39 संस्थानों को, 2017-18 में 156 संस्थानों को और 2018-19 में 38 संस्थानों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया था.
एनसीएमईआई अधिनियम की धारा 2 (जी) के अनुसार अल्पसंख्यक संस्थान का अर्थ है एक कॉलेज या संस्थान (विश्वविद्यालय के अलावा) जो अल्पसंख्यक में से किसी व्यक्ति या व्यक्ति के समूह द्वारा स्थापित या अनुरक्षित है. विशेष रूप से संविधान का अनुच्छेद 29 यह प्रावधान करके अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करता है कि भारत के क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों के किसी भी वर्ग, जिनकी एक अलग भाषा, लिपि या संस्कृति है, को उनके संरक्षण का अधिकार है.
अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान की स्थापना और प्रशासन करने का विकल्प देता है, जिसका अर्थ है कि यह उन पर निर्भर करता है कि वे एक शैक्षणिक संस्थान स्थापित करना चाहते हैं जो उनके धर्म, भाषा और संस्कृति की सेवा करेगा.